नई दिल्ली: विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100वें स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ की ऐतिहासिक यात्रा, उसके योगदान और राष्ट्रनिर्माण में निभाई गई भूमिका पर अपने विचार साझा किए। पीएम मोदी ने कहा कि संघ केवल एक संगठन नहीं, बल्कि अनुशासन, सेवा और राष्ट्र भावना की जीवन्त धारा है, जिसने बीते एक सदी में भारत समाज और संस्कृति को नई दिशा दी है।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ और अपने ब्लॉग के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित करते हुए लिखा कि 1925 में विजयदशमी के दिन डॉ. हेडगेवार ने जिस उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी थी, आज सौ वर्षों की यात्रा के बाद वह भारतीय जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। उन्होंने कहा— “यह हमारी पीढ़ी का सौभाग्य है कि हम संघ के शताब्दी वर्ष के इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं।”
संघ – अनादि राष्ट्र चेतना का पुनर्स्थापन
पीएम मोदी ने अपने संदेश में कहा कि संघ का उदय केवल एक संगठन का निर्माण नहीं था, बल्कि यह भारत की अनादि राष्ट्र चेतना का पुनर्स्थापन था। जिस प्रकार युग-युगांतरों से राष्ट्र की चेतना समय-समय पर नए रूपों में प्रकट होती रही है, उसी परंपरा को संघ ने आधुनिक काल में आगे बढ़ाया। उन्होंने संघ को “अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार” बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से राष्ट्र सेवा का संकल्प और सुदृढ़ हुआ है।
राष्ट्र निर्माण का मार्ग – व्यक्ति निर्माण
प्रधानमंत्री ने संघ की कार्यपद्धति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ ने शुरुआत से ही व्यक्ति निर्माण को राष्ट्र निर्माण का आधार माना। संघ की शाखाएं, मैदान और नियमित दिनचर्या केवल अभ्यास का साधन नहीं, बल्कि वे जीवन मूल्यों की पाठशाला हैं। मोदी ने कहा— “संघ की शाखा वह भूमि है, जहां स्वयंसेवक की यात्रा ‘अहम्’ से ‘वयं’ की ओर बढ़ती है।”
उन्होंने इसे संघ की सौ वर्षीय यात्रा का मूल स्तंभ बताया— राष्ट्र निर्माण का महान उद्देश्य, व्यक्ति निर्माण का स्पष्ट पथ और शाखा जैसी सरल कार्यप्रणाली। इन्हीं तीन स्तंभों पर खड़ा होकर संघ ने लाखों स्वयंसेवकों का निर्माण किया, जो विभिन्न क्षेत्रों में देश को आगे बढ़ा रहे हैं।
सामाजिक विविधता में सेवा का संकल्प
प्रधानमंत्री मोदी ने संघ के कार्यक्षेत्रों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ केवल विचारधारा तक सीमित नहीं है, बल्कि शिक्षा, कृषि, समाज कल्याण, महिला सशक्तिकरण और आदिवासी कल्याण जैसे विविध क्षेत्रों में सक्रिय रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कोई नदी अपने किनारे बसे समाज को जीवन देती है, उसी प्रकार संघ ने देश के हर हिस्से को स्पर्श किया है।
पीएम मोदी ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि सेवा भारती, विद्या भारती, वनवासी कल्याण आश्रम और एकल विद्यालय जैसे संगठन आदिवासी समाज और दूरस्थ क्षेत्रों के उत्थान में अभूतपूर्व योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि संघ ने समाज के हर वर्ग में आत्मबोध और स्वाभिमान का संचार किया है।
शताब्दी वर्ष पर स्मृति चिन्ह
संघ की इस गौरवपूर्ण यात्रा की स्मृति में भारत सरकार ने विशेष डाक टिकट और स्मृति सिक्के भी जारी किए। प्रधानमंत्री ने इसे राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित करोड़ों स्वयंसेवकों के तप और त्याग को सम्मानित करने वाला कदम बताया।
गांधीजी और शास्त्रीजी की जयंती के साथ संदेश
इस अवसर का संयोग यह भी रहा कि 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी मनाई गई। पीएम मोदी ने कहा कि गांधीजी की अहिंसा और सत्य की राह तथा शास्त्रीजी का “जय जवान, जय किसान” का नारा आज भी राष्ट्र जीवन में प्रासंगिक है।
आगे की राह
प्रधानमंत्री मोदी ने अंत में कहा कि संघ का उद्देश्य केवल संगठन विस्तार नहीं, बल्कि समाज में अनुशासन, सेवा और राष्ट्र भावना को गहराई से स्थापित करना है। उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा— “आज जब हम संघ के 100 वर्ष पूरे कर रहे हैं, यह समय है कि हर स्वयंसेवक और नागरिक बापू के सत्य-अहिंसा और शास्त्रीजी की सादगी से प्रेरणा लेकर ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को जीवन में उतारे।”
इस प्रकार RSS का शताब्दी वर्ष केवल संगठन की यात्रा का उत्सव नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्र चेतना के पुनर्जागरण का अवसर है।