जैशंकर: आधुनिक युद्ध में बदलाव और भारत की रणनीति
नई दिल्ली। विदेश मामलों के मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा है कि हाल के वर्षों में युद्ध की प्रकृति में मौलिक परिवर्तन हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि आधुनिक युग में युद्ध अब संपर्क रहित (contactless) और उन्नत हथियारों व तकनीक से संचालित हो रहे हैं।
आधुनिक युद्ध की विशेषताएँ
डॉ. जयशंकर ने काकेशियाई संघर्षों से लेकर यूक्रेन-रूस और इजरायल-ईरान तक के उदाहरण देते हुए कहा कि आज के युद्ध में स्टैंडऑफ हथियारों का प्रयोग हो रहा है, जिनका प्रभाव कभी-कभी निर्णायक भी होता है। उन्होंने इसे आज के अस्थिर वैश्विक परिदृश्य की विशेषता बताया।
उन्होंने कहा कि अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और रणनीतिक संसाधनों पर कब्जा एक निर्णायक भूमिका निभाता है। इसके साथ ही व्यापार, तकनीक, वित्त और सप्लाई चैन को हथियार के रूप में उपयोग करने की प्रवृत्ति भी बढ़ी है।
भारत की रणनीति और आंतरिक क्षमता
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की ताकत उसकी आंतरिक क्षमता में निहित है। उन्होंने बताया कि अधिक जटिल वैश्विक परिदृश्य में भारत का समाधान बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक सुधार में है – उद्योग निर्माण, मानव संसाधन विकास, आधारभूत संरचना सुधार और नए व्यापार मार्गों की खोज।
डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत का दृष्टिकोण जितने संभव हो उतने उत्पादक संबंध बनाए रखना है, बिना उन्हें अनन्य (exclusive) बनाए, ताकि रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित हो और कई वैश्विक साझेदारों के साथ सकारात्मक जुड़ाव बना रहे।
बहुपक्षीय प्रतिस्पर्धा और भारत का दृष्टिकोण
जैशंकर ने कहा कि दुनिया अब बहु-क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा के युग में प्रवेश कर रही है, जहां अर्थव्यवस्था, तकनीक और युद्ध एक दूसरे के साथ इंटरसेक्ट कर रहे हैं। भारत का उत्तरदायित्व है कि वह सहनशीलता, नवाचार और आत्मनिर्भरता के साथ प्रतिक्रिया दे।
भारत-अमेरिका संबंध
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत वाशिंगटन के साथ व्यापारिक मुद्दों पर सक्रिय बातचीत कर रहा है। उन्होंने भारत-अमेरिका के मजबूत और परिपक्व संबंधों को स्वीकार किया, साथ ही व्यापार और ऊर्जा सहयोग में मौजूदा चुनौतियों की भी चर्चा की।
रणनीतिक और आर्थिक पहलू
जैशंकर ने कहा कि उत्पादन, सप्लाई चेन, व्यापार, कनेक्टिविटी, डेटा और संसाधनों के सदुपयोग से वैश्विक बदलावों के रणनीतिक परिणाम हैं। भारत का उद्देश्य उद्योग विकास, जीवन की सुगमता और समग्र राष्ट्रीय शक्ति में वृद्धि करना है।