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Samrat Chaudhary Biography: बिहार की राजनीति के ‘सम्राट’ — संघर्ष, विवाद और सत्ता की नई कहानी

Samrat Chaudhary Biography: बिहार की राजनीति के ‘सम्राट’ — संघर्ष, विवाद और सत्ता की नई कहानी
Samrat Chaudhary Biography: बिहार की राजनीति के ‘सम्राट’ — संघर्ष, विवाद और सत्ता की नई कहानी (Photo: PTI)
अक्टूबर 31, 2025

बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नाम लगातार सुर्खियों में है — सम्राट चौधरी, जो न सिर्फ़ प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रमुख ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) चेहरा भी माने जाते हैं।

16 नवंबर 1968 को मुंगेर जिले के लखनपुर गांव में जन्मे सम्राट चौधरी, एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता शकुनी चौधरी सात बार के विधायक और सांसद रह चुके हैं, जबकि माता पार्वती देवी भी विधायक रही हैं। राजनीति उन्हें विरासत में मिली, लेकिन पहचान उन्होंने अपने संघर्ष और रणनीति से बनाई।

शिक्षा और विवाद

सम्राट चौधरी ने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की है और उनके पास ‘डॉक्टरेट’ की उपाधि होने का दावा है। हालांकि, उनके शैक्षणिक प्रमाणपत्रों पर विवाद बना रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उनके पुराने हलफनामों में शिक्षा स्तर को लेकर विरोधाभास देखने को मिला।

राजनीतिक यात्रा

  • 1990 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश।

  • 1999 में बिहार सरकार में कृषि मंत्री बने, लेकिन आयु विवाद के कारण पद से हटना पड़ा।

  • 2000 में परबत्‍ता विधानसभा सीट से विधायक बने।

  • 2014 में शहरी विकास मंत्री, फिर 2021 में पंचायती राज मंत्री बने।

  • 2023 में भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष, और

  • 2024 जनवरी में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

उनकी यह यात्रा दर्शाती है कि बिहार की राजनीति में सम्राट चौधरी अब सिर्फ़ चेहरा नहीं, शक्ति बन चुके हैं।

संपत्ति और पारिवारिक पृष्ठभूमि

सम्राट चौधरी की कुल संपत्ति लगभग ₹8.18 करोड़ बताई जाती है। उनकी पत्नी ममता कुमारी, एक बेटा और एक बेटी हैं। वे कोइरी (कुशवाहा) जाति से आते हैं, जिसे बिहार में एक मजबूत ओबीसी वर्ग माना जाता है।

विवाद और बयान

राजनीति के साथ विवाद उनका पीछा नहीं छोड़ते।

  • 1999 में आयु विवाद के कारण मंत्री पद गंवाना पड़ा।

  • 2024 में उन्होंने लालू प्रसाद यादव पर की गई टिप्पणी से बड़ा राजनीतिक तूफ़ान खड़ा कर दिया।

  • 2025 में प्रशांत किशोर ने उन पर गंभीर आरोप, जैसे हत्या के मामलों में संलिप्तता और डिग्री विवाद, लगाए।

भाजपा में ओबीसी चेहरा

भाजपा ने सम्राट चौधरी को बिहार में ओबीसी राजनीति का संतुलन साधने वाले नेता के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने एक बार संकल्प लिया था कि “जब तक भाजपा बिहार में सत्ता में नहीं लौटेगी, मैं भगवा पगड़ी नहीं उतारूंगा।” यह बयान उन्हें जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच एक संघर्षशील योद्धा के रूप में पहचान दिलाता है।

बिहार की सियासत में आज नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी की जोड़ी सत्ता का नया समीकरण गढ़ रही है। विपक्ष के निशाने पर रहने के बावजूद, सम्राट चौधरी का राजनीतिक ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है।
‘राष्ट्र भारत’ की दृष्टि से देखें तो वे उस नई भाजपा राजनीति का चेहरा हैं, जो जाति से ऊपर संगठन और संघर्ष की राजनीति को प्राथमिकता दे रही है।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com

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