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सावरकर जी सबसे दीप्तिमान नक्षत्र और मार्गदर्शक प्रकाश हैं – मोहन भागवत, अंडमान में अमित शाह के साथ दी श्रद्धांजलि

Savarkar Tribute: मोहन भागवत और अमित शाह ने अंडमान में दी सावरकर को श्रद्धांजलि
Savarkar Tribute: मोहन भागवत और अमित शाह ने अंडमान में दी सावरकर को श्रद्धांजलि (X Photo)
अंडमान के श्री विजयपुरम में आरएसएस प्रमुख डॉ मोहन भागवत और गृह मंत्री अमित शाह ने वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी। सावरकर की रचना सागर प्राण तलमलला के 116 वर्ष पूरे होने पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। भागवत ने सावरकर को राष्ट्र का मार्गदर्शक नक्षत्र बताया। कार्यक्रम में देशभक्ति गीत नाटक और सावरकर के जीवन पर फिल्म प्रस्तुत की गई।
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अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के श्री विजयपुरम में एक ऐतिहासिक और भावपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत और देश के गृह मंत्री अमित शाह एक साथ मंच पर नजर आए। यह कार्यक्रम स्वतंत्रता सेनानी और विचारक वीर सावरकर को समर्पित था जिन्होंने इसी धरती पर कई साल कठोर कारावास काटा था। डीबीआरएआईटी ऑडिटोरियम में आयोजित इस विशेष सांस्कृतिक समारोह में सावरकर जी की प्रसिद्ध रचना सागर प्राण तलमलला के रचनाकाल के 116 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया गया।

डॉ भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि सावरकर जी हमारे लिए सबसे अग्रणी और सर्वाधिक दीप्तिमान नक्षत्र हैं जो हम सभी के लिए मार्गदर्शक प्रकाश हैं। उन्होंने कहा कि सावरकर जी का जीवन संघर्ष त्याग और देशभक्ति की अनुपम मिसाल है। उनके विचार आज भी राष्ट्र निर्माण में हमारा मार्गदर्शन करते हैं।

सावरकर जी का अंडमान से गहरा नाता

वीर सावरकर को 1911 में अंग्रेजी हुकूमत ने काला पानी की सजा देकर अंडमान की सेलुलर जेल में भेजा था। यहां उन्होंने अमानवीय यातनाएं सहीं लेकिन अपने विचार और देशप्रेम को कभी कमजोर नहीं होने दिया। इसी जेल में रहते हुए उन्होंने कई रचनाएं लिखीं जिनमें सागर प्राण तलमलला सबसे प्रसिद्ध है। यह कविता समुद्र के माध्यम से मातृभूमि के प्रति उनकी गहरी व्याकुलता को दर्शाती है। इस रचना के 116 साल पूरे होने पर आयोजित यह कार्यक्रम ऐतिहासिक महत्व रखता है।

अमित शाह ने भी सावरकर जी के योगदान को याद किया और कहा कि उन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में अपना जीवन समर्पित किया बल्कि राष्ट्रीय एकता और हिंदुत्व के विचार को मजबूत आधार दिया। उन्होंने कहा कि अंडमान की यह धरती सावरकर जी की तपस्थली है और यहां उनको याद करना हर भारतीय के लिए गौरव का विषय है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में दिखी विविधता

इस कार्यक्रम में सावरकर जी के जीवन और विचारों पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। स्थानीय कलाकारों ने देशभक्ति गीत और नाटक प्रस्तुत किए। सागर प्राण तलमलला कविता का सस्वर पाठ भी किया गया जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम में सावरकर जी के जीवन संघर्ष पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई जिसमें उनके द्वारा सेलुलर जेल में झेली गई यातनाओं को दर्शाया गया।

युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत

डॉ भागवत ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सावरकर जी का जीवन हमें सिखाता है कि किसी भी परिस्थिति में राष्ट्रहित सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को सावरकर जी के विचारों का अध्ययन करना चाहिए और उनके आदर्शों पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सावरकर जी केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे बल्कि एक दूरदर्शी विचारक समाज सुधारक और कुशल लेखक भी थे।

अमित शाह ने भी कहा कि सरकार सावरकर जी के योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अंडमान में सेलुलर जेल को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संरक्षित किया जा रहा है ताकि आने वाली पीढ़ियां अपने वीर सेनानियों के त्याग को जान सकें।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका

इस कार्यक्रम में संघ के स्वयंसेवकों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। संघ ने हमेशा से सावरकर जी को अपना प्रेरणा स्रोत माना है। डॉ भागवत ने कहा कि संघ का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण है और सावरकर जी का विचार हमारे इस लक्ष्य की नींव है। उन्होंने कहा कि हम सब को मिलकर ऐसे भारत का निर्माण करना है जिसका सावरकर जी ने सपना देखा था।

स्थानीय जनता की भागीदारी

अंडमान निकोबार के स्थानीय लोगों ने भी इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। उपस्थित लोगों ने कहा कि सावरकर जी की स्मृति यहां हर जगह जीवित है। सेलुलर जेल आज भी उनकी वीरता की गवाही देती है। लोगों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाते हैं और इतिहास को जीवित रखते हैं।

सावरकर जी के विचारों की प्रासंगिकता

आज के समय में भी सावरकर जी के विचार बेहद प्रासंगिक हैं। उन्होंने हिंदुत्व की जो व्याख्या की वह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का आधार बनी। उन्होंने समाज सुधार पर भी जोर दिया और छुआछूत जाति भेद जैसी बुराइयों का विरोध किया। उन्होंने विज्ञान और तर्क को प्राथमिकता दी और अंधविश्वास का विरोध किया।

डॉ भागवत ने कहा कि सावरकर जी एक आधुनिक विचारक थे जो परंपरा और प्रगति के बीच संतुलन बनाने में विश्वास करते थे। उनकी रचनाएं आज भी पढ़ी और सराही जाती हैं।

अंडमान में आयोजित यह कार्यक्रम एक ऐतिहासिक घटना थी जिसमें राष्ट्र के दो बड़े नेताओं ने एक साथ आकर वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी। यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिकता नहीं बल्कि सावरकर जी के विचारों को पुनर्जीवित करने का प्रयास था। सागर प्राण तलमलला के 116 वर्ष पूरे होने पर यह आयोजन उनकी अमर कृतियों को याद करने का एक सुंदर अवसर था। सावरकर जी का जीवन और उनके आदर्श आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।