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Supreme Court Highlights: सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले, वकील-क्लाइंट गोपनीयता से लेकर स्ट्रे डॉग्स और उमर खालिद की जमानत तक

Supreme Court Highlights – सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले और निर्देश, आज के प्रमुख न्यायिक घटनाक्रम
Supreme Court Highlights – सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले और निर्देश, आज के प्रमुख न्यायिक घटनाक्रम (File Photo)
अक्टूबर 31, 2025

सुप्रीम कोर्ट में आज का दिन कई बड़े फैसलों के नाम

शुक्रवार का दिन देश की सर्वोच्च अदालत में कई महत्वपूर्ण निर्णयों और निर्देशों से भरा रहा। सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की स्वतंत्रता और गोपनीयता की रक्षा से लेकर नागरिक अधिकारों, शिक्षा, और संवैधानिक जिम्मेदारियों तक कई अहम टिप्पणियां कीं।

नीचे आज (31 अक्टूबर 2025) के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य घटनाक्रम और फैसलों की प्रमुख झलकियां दी जा रही हैं —


वकील-क्लाइंट गोपनीयता पर बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि जांच एजेंसियां बिना वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति के किसी वकील को पूछताछ के लिए नहीं बुला सकतीं।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वकील और उनके मुवक्किल के बीच की सलाह और संवाद “गोपनीय” माने जाएंगे और इसे किसी भी जांच एजेंसी द्वारा बाध्य नहीं किया जा सकता।
यह फैसला वकील समुदाय के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है, जिससे कानूनी सलाह को अपराध से जोड़ने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।


स्ट्रे डॉग्स मामले में कठोर रुख – अधिकारियों को हाजिर होना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दोहराया है।
अदालत ने नाराजगी जताई कि राज्यों ने पूर्व आदेशों का पालन नहीं किया, जिससे सड़कों पर आवारा कुत्तों की समस्या लगातार बनी हुई है।
न्यायालय ने कहा कि, “कोर्ट के आदेशों का कोई सम्मान नहीं दिख रहा है, यह गंभीर स्थिति है।”


उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई

दिल्ली दंगों से जुड़े यूएपीए (UAPA) मामले में कार्यकर्ता उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई।
उन्होंने अदालत में कहा कि उनके खिलाफ हिंसा या साजिश का कोई ठोस सबूत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख तय की है।


दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों के लिए UPSC की पहल

सुप्रीम कोर्ट को शुक्रवार को यह जानकारी दी गई कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर को अपनी परीक्षाओं में लागू करने का निर्णय लिया है।
अदालत ने इस निर्णय का स्वागत किया और कहा कि यह कदम समान अवसरों की दिशा में एक ऐतिहासिक परिवर्तन साबित होगा।


पंजाब-हरियाणा बार काउंसिल चुनाव का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश दिया कि वह 10 दिनों के भीतर पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल के चुनावों की अधिसूचना जारी करे और 31 दिसंबर 2025 तक मतदान संपन्न कराए।
अदालत ने कहा कि वकीलों के निकायों का नियमित और निष्पक्ष चुनाव न्याय प्रणाली की पारदर्शिता के लिए आवश्यक है।


असम वीडियो केस: एक्स (X) से वीडियो हटाने की मांग पर सुनवाई तय

सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर को सुनवाई के लिए एक याचिका सूचीबद्ध की है, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) और ‘BJP Assam Pradesh’ अकाउंट से एक वीडियो हटाने की मांग की गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि उक्त वीडियो मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने और नफरत फैलाने के लिए प्रसारित किया गया है।


भूपेश बघेल के बेटे की याचिका पर नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र की याचिका पर केंद्र सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा है।
यह याचिका मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की कुछ धाराओं की संवैधानिक वैधता और शराब घोटाले से संबंधित गिरफ्तारी को चुनौती देती है।


उत्तर प्रदेश के दो शिक्षकों की नौकरी बहाल

अदालत ने दो ऐसे सहायक शिक्षकों की बर्खास्तगी रद्द कर दी, जिन्हें 2018 में टीईटी (TET) परीक्षा पास न करने के कारण हटाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी शिक्षक ने नियुक्ति के बाद पात्रता परीक्षा पास कर ली है, तो उसे नौकरी से हटाना अनुचित और मनमाना कदम होगा।


CAPF मामले में केंद्र को झटका

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में IPS अधिकारियों की डेप्यूटेशन सीमित की जाएगी।
साथ ही अदालत ने छह महीने में कैडर रिव्यू पूरा करने का निर्देश बरकरार रखा।


निष्कर्ष – एक दिन, कई नजीरें

आज का दिन सुप्रीम कोर्ट के लिए संविधान, नागरिक अधिकारों और प्रशासनिक जवाबदेही की दिशा में एक और ठोस कदम साबित हुआ।
जहां एक ओर वकीलों और नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए फैसले दिए गए, वहीं दूसरी ओर समाज में संवेदनशील विषयों पर अदालत ने संतुलन और मर्यादा का संदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट के ये फैसले बताते हैं कि भारतीय न्यायपालिका अब केवल “विवाद सुलझाने” की संस्था नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की संरक्षक बन चुकी है।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com

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