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टेलिकॉम कंपनियों ने फिर बढ़ाए प्रीपेड रिचार्ज के दाम, जानिए कितना महंगा हुआ आपका प्लान

Telecom recharge price hike 2025: Vi, Airtel और BSNL के नए रेट्स जानें
Telecom recharge price hike 2025: Vi, Airtel और BSNL के नए रेट्स जानें (File Photo)
नवंबर 2025 से Vi, Airtel और BSNL ने प्रीपेड रिचार्ज प्लान्स महंगे किए। Vi ने 12% तक, Airtel ने 10 रुपए और BSNL ने वैलिडिटी घटाई। 5G खर्च, स्पेक्ट्रम फीस और घटती कमाई इसकी मुख्य वजहें हैं। बजट यूजर्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। यूजर्स को प्लान तुलना कर समझदारी से चुनाव करना होगा।
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देश भर में मोबाइल यूजर्स के लिए एक बुरी खबर सामने आई है। नवंबर 2025 से कई बड़ी टेलिकॉम कंपनियों ने अपने प्रीपेड रिचार्ज प्लान्स की कीमतें बढ़ा दी हैं। Vodafone Idea, Bharti Airtel और BSNL जैसी कंपनियों ने अपने विभिन्न प्लान्स में 7 से 12 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की है। यह वृद्धि उन करोड़ों यूजर्स को प्रभावित करेगी जो रोजाना इन सेवाओं का उपयोग करते हैं। इकनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यह सिर्फ शुरुआत है और आने वाले समय में और भी प्लान्स महंगे हो सकते हैं।

भारत में टेलिकॉम सेवाएं पहले से ही काफी किफायती मानी जाती थीं, लेकिन अब यह स्थिति बदल रही है। कंपनियां लगातार अपनी कीमतें बढ़ा रही हैं और यूजर्स को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। खासकर बजट यूजर्स और छोटे शहरों के लोगों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।

किन कंपनियों ने बढ़ाई कीमतें

Vodafone Idea की बढ़ोतरी

Vodafone Idea ने अपने दो प्रमुख प्लान्स में भारी वृद्धि की है। 84 दिन वाले 509 रुपए प्लान में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं सालाना वाले 1,999 रुपए प्लान में 12 प्रतिशत तक का इजाफा किया गया है। यह वृद्धि काफी बड़ी मानी जा रही है क्योंकि यह यूजर्स के सालाना खर्च को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। जो लोग लंबी वैलिडिटी वाले प्लान लेते हैं उन्हें अब पहले से कहीं ज्यादा पैसे देने होंगे।

Bharti Airtel का फैसला

Bharti Airtel ने अपने बेस वॉइस-ओनली प्लान में 10 रुपए की वृद्धि की है। पहले यह प्लान 189 रुपए का था लेकिन अब यह लगभग 199 रुपए का हो गया है। यह प्लान उन यूजर्स के लिए है जो सिर्फ कॉलिंग की सुविधा चाहते हैं और डेटा का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते। हालांकि यह बढ़ोतरी छोटी लग सकती है लेकिन बार-बार रिचार्ज कराने वाले यूजर्स के लिए यह सालाना आधार पर काफी बड़ी रकम बन सकती है।

BSNL की रणनीति

BSNL ने कीमतें तो नहीं बढ़ाई हैं लेकिन कुछ एंट्री-लेवल प्रीपेड प्लान्स की वैलिडिटी कम कर दी है। इसका मतलब है कि अब यूजर्स को पहले की तुलना में जल्दी-जल्दी रिचार्ज कराना होगा। वैलिडिटी कम होने से प्रति दिन का खर्च भी बढ़ जाता है। यह एक अलग तरीके से यूजर्स पर बोझ डालने जैसा है।

आने वाले समय में और वृद्धि संभव

विश्लेषकों का मानना है कि 1.5 GB प्रति दिन वाले लोकप्रिय डेटा प्लान्स की कीमतें भी जल्द ही बढ़ सकती हैं। हर 28 दिन के चक्र में लगभग 50 रुपए की बढ़ोतरी हो सकती है। यह वृद्धि पूरे उद्योग में देखने को मिल सकती है।

दाम बढ़ने की असली वजहें

5G नेटवर्क पर भारी खर्च

पिछले कुछ सालों में सभी बड़ी टेलिकॉम कंपनियों ने 5G नेटवर्क लगाने में हजारों करोड़ रुपए खर्च किए हैं। नए टावर लगाना, पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना और तकनीकी सुधार करने में भारी निवेश हुआ है। इन खर्चों को वापस पाने के लिए कंपनियां अब अपने प्लान महंगे कर रही हैं।

स्पेक्ट्रम फीस और लाइसेंस शुल्क

टेलिकॉम कंपनियों को सरकार को स्पेक्ट्रम फीस और लाइसेंस शुल्क भी देना होता है। यह रकम बहुत बड़ी होती है और हर कुछ सालों में इसे रिन्यू कराना पड़ता है। इस खर्च को पूरा करने के लिए भी कंपनियां यूजर्स से ज्यादा पैसे वसूल रही हैं।

घटती रेवेन्यू ग्रोथ

सितंबर 2025 की तिमाही में कई टेलिकॉम कंपनियों की रेवेन्यू वृद्धि घटकर सिर्फ 10 प्रतिशत रह गई जो पहले 14 से 16 प्रतिशत हुआ करती थी। कमाई में इस गिरावट को रोकने के लिए कंपनियों ने टैरिफ बढ़ाने का रास्ता चुना है। कंपनियों का कहना है कि बिना दाम बढ़ाए वे अपनी सेवाओं की गुणवत्ता बनाए नहीं रख सकतीं।

बढ़ते परिचालन खर्च

टावर रखरखाव, बिजली बिल, कर्मचारियों की सैलरी और अन्य रोजमर्रा के खर्च भी लगातार बढ़ रहे हैं। महंगाई के इस दौर में हर चीज महंगी हो रही है और टेलिकॉम कंपनियां भी इससे अछूती नहीं हैं। ऑपरेटिंग मार्जिन को बनाए रखने के लिए यह जरूरी हो गया है कि कीमतें बढ़ाई जाएं।

यूजर्स पर क्या पड़ेगा असर

बजट यूजर्स को झटका

सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो कम पैसों में रिचार्ज कराते हैं। छोटे शहरों और गांवों में रहने वाले लोग जो पहले से ही सीमित बजट में अपना खर्च चलाते हैं उन्हें अब और मुश्किल होगी। कई यूजर्स को अपने प्लान बदलने पड़ सकते हैं या फिर कम सुविधाओं वाले सस्ते प्लान लेने पड़ सकते हैं।

सालाना खर्च में इजाफा

अगर हर 28 दिन में 50 रुपए की बढ़ोतरी होती है तो सालाना आधार पर यह लगभग 600 से 700 रुपए का अतिरिक्त खर्च बन जाता है। परिवार में अगर तीन-चार सदस्य हैं तो यह खर्च हजारों रुपए तक पहुंच सकता है।

प्लान चुनने में दिक्कत

पहले यूजर्स आसानी से अपनी जरूरत के हिसाब से प्लान चुन लेते थे। लेकिन अब कीमतें बढ़ने से यूजर्स को ज्यादा सोच-समझकर प्लान लेना होगा। कई बार यूजर्स को वह सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी जो उन्हें चाहिए क्योंकि वे महंगे हो गए हैं।

क्या करें यूजर्स

प्लान की तुलना करें

सभी कंपनियों के प्लान को ध्यान से देखें और तुलना करें। कई बार छोटी कंपनियां या BSNL जैसे सरकारी ऑपरेटर सस्ते विकल्प देते हैं। अपनी जरूरत के हिसाब से सबसे सही प्लान चुनें।

लंबी वैलिडिटी वाले प्लान लें

अगर संभव हो तो लंबी वैलिडिटी वाले प्लान लें। हालांकि इनमें भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन प्रति दिन के हिसाब से यह सस्ते पड़ते हैं। सालाना प्लान लेने से आप कुछ पैसे बचा सकते हैं।

ऑफर्स का फायदा उठाएं

कई बार त्योहारों या खास मौकों पर कंपनियां डिस्काउंट या एक्स्ट्रा डेटा देती हैं। इन ऑफर्स का फायदा उठाएं और समय से पहले रिचार्ज करा लें।

वाई-फाई का इस्तेमाल बढ़ाएं

घर और ऑफिस में वाई-फाई का ज्यादा इस्तेमाल करें ताकि मोबाइल डेटा की खपत कम हो। इससे आप कम डेटा वाला सस्ता प्लान ले सकते हैं।

सरकार की क्या भूमिका

टेलिकॉम सेक्टर में नियमन का काम ट्राई यानी Telecom Regulatory Authority of India करती है। यूजर्स की शिकायतें बढ़ने पर सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। हालांकि कंपनियां कहती हैं कि यह बढ़ोतरी जरूरी है ताकि वे बेहतर सेवाएं दे सकें। लेकिन यूजर्स के हितों की रक्षा भी जरूरी है।

टेलिकॉम कंपनियों द्वारा रिचार्ज प्लान्स की कीमतें बढ़ाना यूजर्स के लिए एक बड़ी चुनौती है। Vodafone Idea, Airtel और BSNL जैसी कंपनियों ने अपने प्लान महंगे कर दिए हैं और आने वाले समय में यह सिलसिला जारी रह सकता है। हालांकि कंपनियों के पास अपनी वजहें हैं लेकिन आम यूजर्स को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। ऐसे में जरूरी है कि यूजर्स समझदारी से अपने प्लान चुनें और खर्च को नियंत्रित रखें। सरकार को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि कीमतें इतनी ज्यादा न बढ़ें कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएं।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।