भारत की डिजिटल पेमेंट क्रांति अब यूरोप की धरती पर भी अपने कदम रखने जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक और एनपीसीआई इंटरनेशनल ने यूरोपीय सेंट्रल बैंक के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक पहल की है जो भविष्य में यूरोपीय देशों की यात्रा पर जाने वाले भारतीय पर्यटकों और व्यापारियों के लिए वरदान साबित होगी। इस पहल के तहत भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई जल्द ही यूरोप के इंस्टैंट पेमेंट सिस्टम टिप्स से जुड़ जाएगा, जिससे सीमा पार लेनदेन बेहद आसान और तेज हो जाएगा।
यूपीआई और टिप्स का ऐतिहासिक एकीकरण
भारतीय रिजर्व बैंक और एनपीसीआई इंटरनेशनल ने यूरोपीय सेंट्रल बैंक के साथ मिलकर यूपीआई को टार्गेट इंस्टैंट पेमेंट सेटलमेंट यानी टिप्स से जोड़ने की योजना पर सहमति व्यक्त की है। दोनों पक्षों ने इसके कार्यान्वयन चरण यानी रियलाइजेशन फेज को शुरू करने पर सहमति दे दी है।
टिप्स यूरोप का सबसे तेज और सुरक्षित इंस्टैंट पेमेंट सिस्टम है जो यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देशों में काम करता है। इस एकीकरण के बाद फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, नीदरलैंड और अन्य यूरोपीय देशों में घूमने गए भारतीय पर्यटक सीधे अपने स्मार्टफोन से यूपीआई स्कैन करके खरीदारी कर सकेंगे।
यह कदम न केवल भारतीयों के लिए बल्कि यूरोपीय पर्यटकों के लिए भी फायदेमंद होगा। यूरोप से भारत आने वाले पर्यटक भी अपने देश के पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल करके भारत में आसानी से भुगतान कर सकेंगे।
कहां-कहां मिलेगी यूपीआई की सुविधा
यूपीआई-टिप्स एकीकरण के बाद यूरोपीय देशों में हर जगह भारतीय यूजर्स यूपीआई का इस्तेमाल कर सकेंगे। रेस्तरां, होटल, दुकानें, टैक्सी, पर्यटन स्थल, मॉल और अन्य सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में यूपीआई से भुगतान संभव होगा। इससे भारतीय पर्यटकों को विदेशी क्रेडिट या डेबिट कार्ड की आवश्यकता नहीं होगी और न ही नकदी के झंझट में पड़ना होगा।
सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि पैसा तुरंत ट्रांसफर होगा और बहुत ही कम शुल्क देना होगा। पारंपरिक विदेशी लेनदेन की तुलना में यूपीआई के माध्यम से भुगतान बेहद सस्ता, तेज और पारदर्शी होगा। मुद्रा परिवर्तन का खर्च भी काफी कम हो जाएगा।
छोटे और मध्यम उद्यमियों को मिलेगा बड़ा लाभ
विशेषज्ञों का मानना है कि इस एकीकरण से सबसे अधिक लाभ छोटे और मध्यम उद्यमियों को होगा। भारत और यूरोप के बीच व्यापार करने वाले छोटे कारोबारी अब महंगी बैंकिंग सेवाओं के बजाय यूपीआई के माध्यम से तुरंत और कम लागत में भुगतान कर सकेंगे।
यह व्यवस्था विशेष रूप से निर्यात-आयात व्यवसाय, ई-कॉमर्स, पर्यटन उद्योग और अन्य सेवा क्षेत्रों के लिए क्रांतिकारी साबित होगी। लेनदेन में पारदर्शिता बढ़ेगी और धोखाधड़ी की संभावना कम होगी। व्यापारिक लेनदेन के लिए अलग-अलग बैंकों से डील करने की जरूरत नहीं होगी।
कब से शुरू होगी यह सुविधा
आरबीआई और एनपीसीआई इंटरनेशनल तकनीकी एकीकरण, जोखिम प्रबंधन और निपटान व्यवस्था पर तेजी से काम कर रहे हैं। वर्तमान में दोनों पक्षों की तकनीकी टीमें नियमित रूप से बैठकें कर रही हैं और प्रणाली के परीक्षण चरण में हैं।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह सुविधा 2026 की पहली छमाही तक पूरी तरह से चालू हो जाएगी। हालांकि, आधिकारिक तौर पर सटीक तारीख की घोषणा अभी नहीं की गई है। प्रारंभिक चरण में कुछ चुनिंदा शहरों और स्थानों पर पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा सकता है, जिसके बाद पूरे यूरोप में इसे लागू किया जाएगा।
भारत-यूरोप मुक्त व्यापार समझौते से संबंध
वर्तमान में भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौता यानी एफटीए की बातचीत अपने अंतिम चरण में है। विशेषज्ञों का मानना है कि यूपीआई-टिप्स एकीकरण इस समझौते को तेजी से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जब दोनों पक्षों के बीच वित्तीय एकीकरण की मजबूत नींव पहले से ही तैयार होगी, तो व्यापारिक समझौते को अमल में लाना आसान हो जाएगा। यह कदम भारत और यूरोप के बीच आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएगा और द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होगी।
जी-20 दिशानिर्देशों के तहत उठाया गया कदम
आरबीआई की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार यह ऐतिहासिक कदम जी-20 दिशानिर्देशों के तहत उठाया गया है। जी-20 के सभी सदस्य देशों ने आपस में वित्तीय लेनदेन को सुविधाजनक बनाने और सीमा पार भुगतान प्रणाली को मजबूत करने की सहमति दी है।
भारत ने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया था। यूपीआई को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य बनाना भारत की प्राथमिकता रही है। यूरोप के साथ यह साझेदारी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यूपीआई की वैश्विक यात्रा
यह पहली बार नहीं है जब यूपीआई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार कर रहा है। पहले ही यूपीआई कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, खाड़ी देशों और कुछ अफ्रीकी देशों में काम कर रहा है। सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, यूएई, भूटान, नेपाल और मॉरीशस में भारतीय पर्यटक पहले से ही यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं।
यूरोप के साथ एकीकरण यूपीआई के वैश्विक विस्तार में एक बड़ा मील का पत्थर होगा। यूरोप दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और वहां करोड़ों भारतीय पर्यटक हर साल जाते हैं। यह कदम भारत की डिजिटल पेमेंट तकनीक की श्रेष्ठता को दुनिया के सामने स्थापित करेगा।
तकनीकी सुरक्षा और विश्वसनीयता
यूपीआई-टिप्स एकीकरण में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। दोनों प्रणालियां अत्याधुनिक एन्क्रिप्शन और सुरक्षा तकनीक का उपयोग करती हैं। लेनदेन की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन लागू किया जाएगा।
आरबीआई और यूरोपीय सेंट्रल बैंक दोनों ही जोखिम प्रबंधन पर गहनता से काम कर रहे हैं। धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए उन्नत एल्गोरिदम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल किया जाएगा। ग्राहकों के डेटा की गोपनीयता को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाएगा।
यह एकीकरण भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति का एक नया अध्याय है जो देश की तकनीकी क्षमता और वैश्विक आर्थिक एकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।