मधेपुरा की राजनीति में मचा बवाल: अंतिम क्षण में टिकट बदला
मधेपुरा विधानसभा सीट पर आरजेडी के प्रत्याशी चयन को लेकर बड़ा उलटफेर हो गया है। जहां एक ओर शांतनु बुंदेला को टिकट मिलने की खबरें लगभग तय मानी जा रही थीं, वहीं आखिरी क्षण में पार्टी ने प्रोफेसर चंद्रशेखर का नाम फाइनल कर दिया। गुरुवार देर रात करीब 1:30 बजे यह फैसला हुआ और शुक्रवार को चंद्रशेखर ने नामांकन दाखिल कर दिया।
शांतनु बुंदेला को मिला था भरोसा
शांतनु बुंदेला ने बताया कि बुधवार की रात उनकी तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव से मुलाकात हुई थी। उस दौरान उन्हें चुनाव की तैयारी करने का निर्देश भी मिला। उन्होंने मधेपुरा लौटकर हलफनामा तैयार कराया और नामांकन की तैयारी शुरू की। सूत्रों के मुताबिक, राजद कार्यालय से एसडीएम कार्यालय तक उनके नाम की पुष्टि तक हो गई थी।
गुरुवार तक जिले में यह खबर फैल चुकी थी कि टिकट शांतनु को मिल चुका है। राजद जिलाध्यक्ष ने भी इसकी पुष्टि की थी। मगर रात के वक्त परिस्थितियां अचानक बदल गईं।
“टिकट छीना गया, लेगेसी नहीं” – शांतनु बुंदेला
शांतनु बुंदेला ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पार्टी नेतृत्व ने उनके साथ धोखा किया है। उन्होंने कहा,
“तेजस्वी यादव ने मुझे बुलाकर चुनाव लड़ने का भरोसा दिया था, मैंने सभी दस्तावेज तैयार कराए। रात एक बजे मुझे बताया गया कि टिकट प्रो. चंद्रशेखर को दिया जा रहा है। यह सरासर विश्वासघात है। कोई मुझसे टिकट छीन सकता है, पर मेरी लेगेसी नहीं।”
उन्होंने आगे कहा कि उनके पिता शरद यादव ने मधेपुरा और कोसी क्षेत्र के विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। अब वे अपने समर्थकों से बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
प्रो. चंद्रशेखर बोले – “नेतृत्व का उचित निर्णय”
वहीं, लगातार तीन बार विधायक रहे प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि टिकट को लेकर कोई सस्पेंस नहीं था। उन्होंने कहा,
“नेतृत्व ने उचित समय पर उचित व्यक्ति को देखकर सही निर्णय लिया है। मुझे चौथी बार जनता की सेवा का मौका देने के लिए मैं पार्टी नेतृत्व का आभारी हूं।”
चंद्रशेखर ने लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह फैसला सामाजिक न्याय की परंपरा को मजबूत करने वाला है।
सोशल मीडिया पर बवाल: शांतनु और सुभाषिणी की पोस्ट वायरल
घटना के बाद इंटरनेट मीडिया पर राजनीतिक हलचल और बढ़ गई। शांतनु बुंदेला ने एक्स और फेसबुक पर एक पोस्ट कर कहा कि “मेरे खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र हुआ, समाजवाद की हार हुई।”
उनकी यह पोस्ट कुछ ही मिनटों में वायरल हो गई। इसके तुरंत बाद उनकी बहन सुभाषिणी यादव ने एक्स पर लिखा,
“जो अपने खून के नहीं हुए, वो दूसरों के क्या सगे होंगे। यह विश्वासघात की पराकाष्ठा है। अब जनता ही जवाब देगी।”
मधेपुरा में नए समीकरण
इस फैसले ने मधेपुरा की राजनीति में नए समीकरण बना दिए हैं। जहां एक ओर शांतनु समर्थकों में नाराजगी है, वहीं चंद्रशेखर खेमे में जश्न का माहौल है। स्थानीय विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में शांतनु बुंदेला की अगली रणनीति क्या होगी। क्या वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे या पार्टी के भीतर ही रहकर अपनी नाराजगी जताएंगे — यह मधेपुरा की सियासत का अगला बड़ा सवाल बन गया है।