भाई दूज का पर्व और चार योग संयोग
नई दिल्ली। भाई दूज भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, जो दिवाली के बाद 19 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। इस वर्ष यह पर्व चार शुभ योग संयोग — आयुष्मान योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवियोग, जयद् योग — में संपन्न होगा।
शुभ मुहूर्त
भाई दूज का मुख्य शुभ मुहूर्त दोपहर 01:10 बजे से 03:21 बजे तक रहेगा। इस समय बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र और कुशल जीवन की कामना करेंगी।
पूजा विधि और परंपराएं
भाई दूज के दिन बहनें यमराज और उनके दूतों की पूजा करके भाई के ललाट पर तिलक करती हैं। इसके बाद भाई बहन की सुरक्षा और सम्मान का संकल्प लेते हैं तथा उन्हें उपहार देते हैं।
कायस्थ समुदाय के श्रद्धालु भगवान चित्रगुप्त की पूजा विधिपूर्वक करेंगे। पटना में गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी समेत अन्य जगहों पर धूमधाम से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
मिथिलांचल में अरिपन और भोजन
मिथिलांचल में बहनें अपने भाई के हाथों की पूजा करती हैं। अरिपन, चंदन, पान-सुपारी, फूल और धान के बाली से पूजा कर भाई के हाथों पर विशेष टीका करती हैं। भाई के लिए बहन के घर भोजन करना और उपहार देना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से आयु में वृद्धि और सांसारिक कष्टों की कमी मानी जाती है।
चौमुखी दीपक का महत्व
सांध्य बेला में बहनें चौमुखी दीपक जलाकर घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रखती हैं। मान्यता है कि इससे भाई के प्राण सुरक्षित रहते हैं और उसके चतुर्दिक विकास में वृद्धि होती है।
दीपक का प्रकाश तमाम नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और भाई की उन्नति में सहायक होता है।
पूजन सामग्री और उनका महत्व
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रेगनी का कांटा: बहन इसे जीभ पर चुभोती हैं और संकल्प लेती हैं कि भाई के लिए कभी बुरा वचन नहीं निकलेगा।
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बजरी: दलहन फसलों में बजरी को कठोर माना जाता है; इसे खाकर भाई मजबूत और निष्ठावान बने।
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नारियल: कठोर बाहरी परंतु श्वेत हृदय वाला, सरल स्वभाव और मधुर व्यवहार के लिए।
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पान: मुख मंडल की लालिमा और सबका प्रिय बने रहने के लिए।
भाई दूज पूजन का समय सारिणी
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द्वितीया तिथि: सुबह से रात्रि 08:23 बजे तक
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शुभ योग मुहूर्त: प्रातः 05:53 बजे से 07:19 बजे तक
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चर-लाभ-अमृत मुहूर्त: सुबह 10:09 बजे से शाम 02:24 बजे तक
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अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:11 बजे से 11:56 बजे तक
भाई दूज 2025 का पर्व भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और आशीर्वाद का पर्व है। यह त्योहार न केवल संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के पालन का अवसर भी प्रदान करता है।