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Chhath Puja 2025: कौन हैं छठी मैया और कैसे हुआ यह लोक आस्था का महापर्व शुरू

Chhath Puja 2025: जानें कौन हैं छठी मैया और छठ पूजा का महत्व | Chhathi Maiya Significance | Rashtra Bharat
Chhath Puja 2025: जानें कौन हैं छठी मैया और छठ पूजा का महत्व | Chhathi Maiya Significance
अक्टूबर 25, 2025

छठ पूजा 2025: छठी मैया कौन हैं और पूजा का महत्व

छठ पूजा बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में लोक आस्था का महापर्व माना जाता है। इस दौरान भगवान सूर्य और छठी मैया की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान को दीर्घायु, परिवार में सुख-शांति और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।


छठी मैया की उत्पत्ति

पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा प्रियंवद और उनकी पत्नी मालिनी संतानहीन थे। संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने ऋषि कश्यप के पास जाकर यज्ञ किया। यज्ञ से उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ, लेकिन वह बालक मृत अवस्था में था। राजा ने इस अपूर्णता से दुखी होकर प्राण त्यागने का निर्णय लिया। तभी कन्या देवसेना अवतरित हुईं और उन्होंने कहा कि वे मूल प्रवृत्ति में छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं। इस कारण उन्हें षष्ठी कहा गया।

Chhath Puja 2025: जानें कौन हैं छठी मैया और छठ पूजा का महत्व
Chhath Puja 2025: जानें कौन हैं छठी मैया और छठ पूजा का महत्व

राजा ने छठी मैया की पूजा-अर्चना की और उसी से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से यह व्रत और महापर्व का आयोजन प्रारंभ हुआ।


छठ पूजा 2025 का आयोजन

इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। इसकी चार मुख्य परंपराएं हैं:

  1. नहाय-खाय (25 अक्टूबर) – व्रती का शुद्धिकरण और भोजन का प्रारंभ।

  2. खरना (26 अक्टूबर) – उपवास समाप्त कर प्रसाद का वितरण।

  3. संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर) – डूबते सूर्य को अर्घ्य।

  4. सुप्रभात अर्घ्य (28 अक्टूबर) – उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन।

छठ पूजा के दौरान विशेष रूप से ठेकुआ, फल, और गुड़ का प्रसाद अर्पित किया जाता है।


छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, छठ पूजा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और व्रती आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करता है। यह व्रत 36 घंटे तक चलता है और इसमें उपवास, नदी/तालाब में अर्घ्य देना और प्रसाद बनाना शामिल है।

छठ महापर्व में न केवल भगवान सूर्य की पूजा की जाती है, बल्कि छठी मैया को भी अर्घ्य अर्पित कर विशेष आशीर्वाद लिया जाता है।


निष्कर्ष

छठ पूजा न केवल लोक आस्था का महापर्व है, बल्कि यह परिवार और समाज में सकारात्मक ऊर्जा, एकता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक भी है। छठी मैया की कथा और पूजा-अर्चना को समझकर इस व्रत को मनाना विशेष पुण्य का कार्य माना जाता है।


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