नई दिल्ली। छठ पूजा (Chhath Puja 2025) सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में आस्था, सादगी और पवित्रता का प्रतीक है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के लिए समर्पित होता है। इसमें व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और विशेष पारंपरिक व सात्विक भोग चढ़ाकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना करती हैं।
इस बार छठ पूजा 2025 के अवसर पर जानिए वे सभी दिव्य भोग और प्रसाद जो छठी मैया को अर्पित करने से घर में खुशियां बनी रहती हैं।
छठ पूजा का महत्व और परंपरा
छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और चौथे दिन भोर अर्घ्य के साथ पूर्ण होती है। इस दौरान व्रती महिलाएं कठोर नियमों का पालन करती हैं और व्रत के अंत में सूर्य देव को अर्घ्य देकर परिवार की मंगलकामना करती हैं।
इस व्रत की सबसे खास बात यह है कि इसमें जो भी भोग तैयार किए जाते हैं, वे सात्विक, बिना लहसुन-प्याज और पूरी तरह प्राकृतिक सामग्री से बनाए जाते हैं।
1. ठेकुआ – छठ पूजा का महाप्रसाद
ठेकुआ को छठ पूजा का सबसे प्रमुख और अनिवार्य प्रसाद माना जाता है। गेहूं के आटे, गुड़ और घी से तैयार यह प्रसाद स्वाद में लाजवाब होने के साथ-साथ श्रद्धा का प्रतीक भी है।
मान्यता है कि छठी मैया को ठेकुआ बहुत प्रिय है और इसे चढ़ाने से परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। यह संध्या अर्घ्य और भोर अर्घ्य दोनों समय सूप में रखा जाता है।
2. रसियाव या गुड़ की खीर
रसियाव यानी गुड़ से बनी खीर भी छठी मैया को अर्पित की जाती है। इसे कच्चे दूध, चावल और देसी गुड़ से तैयार किया जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि इस मीठे प्रसाद को चढ़ाने से जीवन में सभी प्रकार के दुख-कष्टों से मुक्ति मिलती है और घर में मिठास और समृद्धि बनी रहती है।
3. कसार – चावल के आटे के लड्डू
कसार लड्डू चावल के आटे और गुड़ को मिलाकर बनाए जाते हैं। चावल को पवित्रता का प्रतीक माना गया है।
यह प्रसाद छठी मैया को अर्पित करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
4. फल और सब्जियां – पूजन का आवश्यक हिस्सा
छठ पूजा में फल और कंद-मूल का भी विशेष स्थान होता है।
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गन्ना – समृद्धि और दीर्घायु का प्रतीक।
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केला – शुद्धता और विनम्रता का प्रतीक, जो छठी मैया को अत्यंत प्रिय है।
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डाभ नींबू (लाल नींबू) – जीवन में शुभता और सौभाग्य लाता है।
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सुथनी और शकरकंद – धरती से जुड़े कंद-मूल, जो पवित्रता का प्रतीक हैं।
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नारियल – देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसे हर सूप में रखना शुभ माना जाता है।
5. पूजा मंत्र (Puja Mantra)
छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना के लिए कुछ विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो ऊर्जा और आत्मशुद्धि का प्रतीक माने जाते हैं:
ॐ सूर्याय नमः
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजो राशे जगत्पते,
अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।
इन मंत्रों का उच्चारण श्रद्धा और पवित्र भाव से करने पर जीवन में सुख, सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
छठ पूजा में पवित्रता का पालन जरूरी
छठ व्रत में साफ-सफाई, पवित्रता और सादगी का विशेष ध्यान रखा जाता है। पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है और मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया जाता है।
व्रती महिला अपने घर की छत या नदी-तालाब के किनारे से सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस लेख में उल्लिखित उपाय, मान्यताएं और धार्मिक कथन केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से साझा किए गए हैं। इस लेख की जानकारी पारंपरिक आस्था, पंचांग और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे अंतिम सत्य या दावा न मानें और अपने विवेक का उपयोग करें। राष्ट्र भारत अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता।