धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, प्रत्येक वर्ष दीपावली से दो दिन पहले आती है। यह तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पड़ती है। “धन” का अर्थ है संपत्ति और “तेरस” का अर्थ है तेरहवां दिन। इस दिन भगवान धन्वंतरि, आयुर्वेद के देवता और स्वास्थ्य के संरक्षक, तथा देवी लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की प्रतीक हैं, की विशेष पूजा की जाती है।
धनतेरस का पर्व न केवल शुभ कार्यों और पूजा का प्रतीक है, बल्कि इसमें कुछ विशेष भोज्य पदार्थों का सेवन भी अत्यंत महत्व रखता है। मान्यता है कि इन पवित्र भोज्य पदार्थों का सेवन करने से घर में समृद्धि, सौभाग्य और खुशहाली आती है। इस वर्ष धनतेरस 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
पवित्र भोज्य पदार्थों की सूची
खीर

खीर, जो चावल, दूध, घी, शक्कर और मेवों से बनाई जाती है, देवी लक्ष्मी का प्रिय भोजन माना जाता है। इस दिन खीर का भोग अर्पित करना और उसे ग्रहण करना सौभाग्य और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
नैवेद्य

महाराष्ट्र में धनतेरस पर देवी लक्ष्मी को नैवेद्य अर्पित किया जाता है। यह तिल और गुड़ के मिश्रण से तैयार किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इसे ग्रहण करने से घर में धन और सुख समृद्धि आती है।
खील बताशे

खील बताशे चावल की पहली फसल से तैयार किए जाते हैं। यह विशेष रूप से इस दिन अर्पित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खील बताशे का सेवन करने से जीवन में खुशहाली और भाग्य में वृद्धि होती है।
बूंदी लड्डू

बूंदी लड्डू गणेश जी के लिए भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं। यह प्रसाद ग्रहण करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पंचामृत

पंचामृत, जो दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बनाया जाता है, एक पवित्र पेय है। इसमें प्रत्येक तत्व का अपना विशेष महत्व है। दूध शुद्धता का प्रतीक है, शहद एकता का, घी शक्ति का, दही समृद्धि का और शक्कर आनंद का प्रतिनिधित्व करती है। इसे सेवन करने से स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
लप्सी

लप्सी, जो आटे, घी, शक्कर और मेवों से बनाई जाती है, देवी लक्ष्मी को अर्पित की जाती है। इसे ग्रहण करने से सौभाग्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।
धनतेरस के दिन घर की साफ-सफाई और दीपों से सजावट करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दिन नए बर्तन, सोना या चांदी की खरीदारी के लिए भी उत्तम होता है। इन क्रियाओं के माध्यम से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आने वाले वर्ष के लिए खुशहाली सुनिश्चित होती है।
धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों के अनुसार, इन पवित्र भोज्य पदार्थों का सेवन न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति में भी योगदान करता है। इसलिए इस दिन को केवल पूजा और पर्व के रूप में नहीं बल्कि स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य के दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व दिया जाता है।
धनतेरस का पर्व हमें यह सिखाता है कि भौतिक संपत्ति और आध्यात्मिक समृद्धि साथ-साथ चल सकती हैं। घर में पूजा, भोजन और उत्सव का आयोजन इस संतुलन का प्रतीक है। इस वर्ष 2025 में धनतेरस का यह शुभ अवसर हमें अपने परिवार और प्रियजनों के साथ मिलकर खुशियों और समृद्धि का अनुभव करने का अवसर देगा।