आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी अथवा दशहरा (Dussehra 2025) का पर्व मनाया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की पुनर्स्थापना की थी। इस वर्ष 2 अक्टूबर 2025 को दशहरा पर्व विशेष योगों के संयोग में मनाया जाएगा।
इस वर्ष का विशेष संयोग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार दशहरा पर रवि योग (Ravi Yog) और सुकर्मा योग (Sukarma Yog) का अद्भुत महासंयोग बन रहा है। इन योगों में पूजा और शस्त्र पूजन करने से साधकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। रवि योग दिनभर रहेगा, जबकि सुकर्मा योग का समापन देर रात 11 बजकर 29 मिनट पर होगा।
इस बार दशहरा के दिन श्रवण नक्षत्र भी रहेगा, जो धार्मिक दृष्टि से अति शुभ माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यता है कि इस योग में पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन, शत्रु भय से मुक्ति और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
दशहरा का धार्मिक महत्व
दशहरा का पर्व न केवल रामायण की घटनाओं से जुड़ा है, बल्कि इसका उल्लेख विभिन्न पुराणों और धर्मग्रंथों में भी मिलता है। यह दिन विजय और पराक्रम का प्रतीक है। इसे ‘आयुध पूजन’ का पर्व भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन शस्त्रों की पूजा करने से जीवन में सफलता और विजय की प्राप्ति होती है।
भारत के विभिन्न राज्यों में दशहरा अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। कहीं रावण दहन होता है तो कहीं देवी दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन। परंतु मूल संदेश एक ही है—सत्य और धर्म की सदैव विजय होती है।
दशहरा 2025 के शुभ मुहूर्त
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पूजा का समय (Puja Timing): दोपहर 01:21 बजे से 03:44 बजे तक (कुल 2 घंटे 23 मिनट)
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विजय मुहूर्त (Vijay Muhurat): दोपहर 02:09 बजे से 02:56 बजे तक
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रावण दहन (Ravan Dahan Time): संध्या के बाद गोधूलि बेला में 06:06 बजे से 06:30 बजे तक शुभ माना गया है।
पंचांग के अनुसार दिनभर के विशेष योग
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सूर्योदय – सुबह 06:15 बजे
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सूर्यास्त – शाम 06:06 बजे
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चन्द्रोदय – दोपहर 03:09 बजे
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चन्द्रास्त – रात 01:56 बजे (3 अक्टूबर)
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ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:38 से 05:26 तक
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गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:06 से 06:30 तक
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निषिता मुहूर्त – रात 11:46 से 12:35 तक
क्या करें दशहरा के दिन?
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भगवान श्रीराम की पूजा – इस दिन रामचरितमानस का पाठ और भगवान राम के मंत्रों का जप करना श्रेष्ठ माना गया है।
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शस्त्र पूजन (Ayudh Puja) – अपने व्यवसायिक साधनों, उपकरणों और शस्त्रों की पूजा करने से उन्नति और सफलता प्राप्त होती है।
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रावण दहन – बुराई का प्रतीक रावण का दहन करने से जीवन में नकारात्मकता का नाश होता है।
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दान और सेवा – दशहरा पर जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और सहायता देना पुण्यकारी होता है।
सांस्कृतिक महत्व
देशभर में दशहरा का पर्व उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। उत्तर भारत में रावण दहन सबसे प्रमुख आकर्षण होता है। वहीं पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का समापन विजयादशमी के साथ होता है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में शस्त्र पूजन की परंपरा है। दक्षिण भारत में इसे विजयादशमी के रूप में शिक्षा और विद्या की शुरुआत का दिन माना जाता है।
इस वर्ष दशहरा केवल पारंपरिक धार्मिक महत्व के कारण ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष है। Ravi Yog और Sukarma Yog का यह संयोग भक्तों के लिए जीवन में नई ऊर्जा, सफलता और विजय का मार्ग प्रशस्त करेगा।
शुभ मुहूर्त में पूजा और रावण दहन करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होगा।