लक्ष्मी पूजा 2025: शहरवार मुहूर्त, भोग की पारंपरिक रेसिपी और पूजा का महत्व
दीपावली का पर्व आते ही घर-आंगन दीपों से जगमगा उठते हैं, रंगोली से आँगन सजता है और चारों ओर मिठाइयों की खुशबू फैल जाती है। इस पवित्र पर्व का सबसे शुभ क्षण होता है — लक्ष्मी पूजा, जब श्रद्धालु माता लक्ष्मी को अपने घर में आमंत्रित करते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।
2025 में लक्ष्मी पूजा का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि यह अमावस्या की सबसे अंधेरी रात को सम्पन्न होगी — जो आध्यात्मिक रूप से “अंधकार से प्रकाश की ओर” यात्रा का प्रतीक है।
लक्ष्मी पूजा का महत्व
माता लक्ष्मी धन, सौभाग्य और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। मान्यता है कि जो भक्त स्वच्छता, श्रद्धा और सात्विक भावना से पूजा करते हैं, उनके घर देवी लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है। दीपों की रोशनी से अंधकार मिटता है और जीवन में सकारात्मकता, सुख और सौभाग्य का संचार होता है।
लक्ष्मी पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त (Mahurat Timings)
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प्रदोष काल: शाम 05:45 बजे से 08:17 बजे तक
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वृषभ काल: शाम 07:07 बजे से 09:02 बजे तक
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अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर 2025, दोपहर 03:44 बजे
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अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2025, शाम 05:54 बजे
शहरवार लक्ष्मी पूजा का समय (City-wise Lakshmi Puja Timings)
शहर | पूजा का समय |
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पुणे | 07:38 PM – 08:37 PM |
नई दिल्ली | 07:08 PM – 08:18 PM |
चेन्नई | 07:20 PM – 08:14 PM |
जयपुर | 07:17 PM – 08:25 PM |
हैदराबाद | 07:21 PM – 08:19 PM |
गुरुग्राम | 07:09 PM – 08:19 PM |
चंडीगढ़ | 07:06 PM – 08:19 PM |
कोलकाता (21 अक्टूबर) | 05:06 PM – 05:54 PM |
मुंबई | 07:41 PM – 08:41 PM |
बेंगलुरु | 07:31 PM – 08:25 PM |
अहमदाबाद | 07:36 PM – 08:40 PM |
नोएडा | 07:07 PM – 08:18 PM |
लक्ष्मी पूजा में भोग की पारंपरिक रेसिपी
भोग केवल प्रसाद नहीं होता, यह देवी के प्रति कृतज्ञता और भक्ति का प्रतीक है। लक्ष्मी पूजा में तैयार किए जाने वाले पांच प्रमुख भोग इस प्रकार हैं —
पंचामृत
दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना यह पवित्र मिश्रण पूजा की शुरुआत में चढ़ाया जाता है। इसे चांदी या तांबे के पात्र में रखा जाता है और बाद में प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।
ताजे फल
केला, सेब, अनार और संतरा जैसे मौसमी फल देवी को अर्पित किए जाते हैं। यह प्रकृति के प्रति आभार और स्वास्थ्य का प्रतीक है।
गुड़ का हलवा
सूजी या गेहूं के आटे को घी में भूनकर, गुड़ के शीरे में पकाया जाता है। इसमें बादाम, काजू और केसर डालने से इसका स्वाद और बढ़ जाता है।
बूंदी लड्डू
चने के बेसन से बने ये लड्डू हर त्यौहार की शान होते हैं। मीठी चाशनी और इलायची की खुशबू के साथ यह देवी को समर्पित किए जाते हैं।
खीर / फिरनी
चावल और दूध से बनी यह मिठाई मां लक्ष्मी की प्रिय मानी जाती है। इसमें केसर, इलायची और मेवे डालकर इसे सुगंधित बनाया जाता है।
स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए मिठास बनाए रखें
दीपावली पर मिठाइयों का प्रलोभन तो हर कोई टाल नहीं पाता, लेकिन संतुलन जरूरी है।
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सुबह पौष्टिक नाश्ता करें ताकि दिनभर अनावश्यक भूख न लगे।
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मिठाइयाँ छोटे हिस्सों में खाएँ।
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पानी अधिक पिएँ, ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।
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भोजन में सब्ज़ियाँ और प्रोटीन शामिल करें।
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पूजा के बाद परिवार संग टहलने की आदत डालें।
लक्ष्मी पूजा केवल धन प्राप्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि यह आत्मिक और पारिवारिक समृद्धि की साधना है। स्वच्छता, भक्ति और सात्विकता — यही इस पर्व की सच्ची भावना है। दीपों की रोशनी से न केवल घर, बल्कि मन भी प्रकाशित होता है।
इस दीपावली 2025 पर, लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और भोग की पवित्रता के साथ अपने जीवन में खुशहाली और शांति का स्वागत करें।