असम के होजई जिले में आज सुबह एक दुखद घटना सामने आई है। साइरंग से नई दिल्ली जा रही राजधानी एक्सप्रेस ने हाथियों के एक झुंड को टक्कर मार दी, जिसमें सात हाथियों की मौत हो गई और एक घायल हो गया। यह हादसा सुबह करीब 2.17 बजे हुआ। इस टक्कर में ट्रेन के पांच डिब्बे और इंजन भी पटरी से उतर गए, लेकिन सौभाग्य से किसी भी यात्री को चोट नहीं आई।
घने कोहरे के कारण हुआ हादसा
नागांव के डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर सुहाश कदम ने बताया कि चंगजुराई गांव के पास हुई इस घटना का मुख्य कारण इलाके में छाया घना कोहरा माना जा रहा है। कोहरे की वजह से ड्राइवर को हाथियों का झुंड समय पर दिखाई नहीं दिया और ट्रेन रुक नहीं पाई। यह इलाका जंगलों से घिरा हुआ है और अक्सर यहां जंगली जानवरों का आना-जाना लगा रहता है।
वन अधिकारियों का कहना है कि इस समय सर्दियों का मौसम है और सुबह के समय घना कोहरा छाया रहता है। इससे दृश्यता बहुत कम हो जाती है। ऐसे में जंगली जानवरों और ट्रेनों के बीच टकराव का खतरा बढ़ जाता है। पिछले कुछ सालों में ऐसी घटनाएं कई बार सामने आ चुकी हैं।
घटनास्थल और ट्रेन का विवरण
नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के मुख्य प्रवक्ता कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि यह हादसा लुमडिंग डिवीजन के अंतर्गत जमुनामुख-कामपुर सेक्शन में हुआ। यह स्थान गुवाहाटी से करीब 126 किलोमीटर दूर है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां यह हादसा हुआ है, वह कोई आधिकारिक रूप से घोषित हाथी गलियारा नहीं है।
हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके से हाथी अक्सर गुजरते रहते हैं। जंगल से खेतों की तरफ जाते समय हाथियों को रेलवे लाइन पार करनी पड़ती है। ऐसे में यह इलाका हाथियों के लिए एक प्राकृतिक रास्ता बन चुका है।
साइरंग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस मिजोरम के साइरंग (आइजोल के पास) से दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल तक चलती है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश की राजधानी से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण ट्रेन है।
राहत कार्य और बचाव अभियान
घटना की जानकारी मिलते ही रेलवे अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन और डिवीजनल हेडक्वार्टर के वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। पटरी से उतरे डिब्बों को फिर से पटरी पर लाने का काम जारी है। वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची है और मरे हुए हाथियों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है।
घायल हाथी का इलाज करने की कोशिश की जा रही है। वन्यजीव विशेषज्ञों को भी बुलाया गया है ताकि घायल हाथी को बचाया जा सके। अधिकारियों ने बताया कि मृत हाथियों में दो बच्चे भी शामिल हैं, जो इस घटना को और भी दुखद बना देते हैं।
हाथी गलियारों की जरूरत
यह घटना एक बार फिर हाथी गलियारों की जरूरत को रेखांकित करती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जिन इलाकों से हाथी नियमित रूप से गुजरते हैं, वहां सुरक्षित गलियारे बनाने की जरूरत है। रेलवे लाइनों के पास चेतावनी प्रणाली लगाई जानी चाहिए जो ट्रेन चालकों को जंगली जानवरों की मौजूदगी के बारे में समय पर सूचना दे सके।
असम में हाथियों की आबादी काफी है और वे अक्सर एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते हैं। जंगलों के कटने और मानवीय गतिविधियों के बढ़ने से उनके प्राकृतिक रास्ते बाधित हो गए हैं। ऐसे में वे रेलवे लाइनों और सड़कों को पार करने के लिए मजबूर होते हैं।
पिछली घटनाएं और चिंताएं
यह पहली बार नहीं है जब असम में ट्रेन की टक्कर से हाथियों की मौत हुई है। पिछले कुछ सालों में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हर बार वन विभाग और रेलवे प्रशासन सुरक्षा उपायों की बात करते हैं, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए जाते।
वन्यजीव संरक्षणकर्ताओं ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि हाथी भारत के राष्ट्रीय धरोहर जानवर हैं और इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी की है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को तत्काल कदम उठाने चाहिए।
आवश्यक सुरक्षा उपाय
विशेषज्ञों ने कुछ जरूरी सुझाव दिए हैं। पहला, जिन इलाकों से हाथी गुजरते हैं, वहां ट्रेनों की रफ्तार सीमित की जाए। दूसरा, रात के समय और कोहरे के मौसम में अतिरिक्त सावधानी बरती जाए। तीसरा, हाथियों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाए।
रेलवे को वन विभाग के साथ मिलकर एक ठोस योजना बनानी चाहिए। स्थानीय लोगों की मदद से हाथियों के मुख्य रास्तों की पहचान की जा सकती है। उन जगहों पर अंडरपास या ओवरब्रिज बनाए जा सकते हैं ताकि हाथी सुरक्षित रूप से पार हो सकें।
आज की यह घटना मनुष्य और प्रकृति के बीच बढ़ते टकराव का एक और उदाहरण है। विकास के नाम पर हम जंगली जानवरों के प्राकृतिक आवास को छीन रहे हैं। सात हाथियों की मौत एक बड़ी क्षति है, जिसे टाला जा सकता था। अब समय आ गया है कि हम गंभीरता से सोचें और ऐसे उपाय करें जिससे मनुष्य और वन्यजीव दोनों सुरक्षित रह सकें।