असम विधानसभा का शीतकालीन सत्र 25 नवम्बर से प्रारम्भ
गुवाहाटी, 27 अक्टूबर (पीटीआई): असम विधानसभा का शीतकालीन सत्र आगामी 25 नवम्बर से आरम्भ होने जा रहा है। राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने सोमवार को जारी अधिसूचना में सदन की बैठक 25 नवम्बर की प्रातः 9:30 बजे बुलाने का निर्देश दिया। विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी आधिकारिक वक्तव्य के अनुसार, इस सत्र में राज्य की नीतिगत दिशा और विभिन्न विभागों की प्रगति रिपोर्ट पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
विधानसभा सचिवालय ने की आधिकारिक घोषणा
विधानसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सदन की कार्य सलाहकार समिति (Business Advisory Committee – BAC) आगामी नवम्बर के प्रथम सप्ताह में बैठक करेगी, जिसमें सत्र की अवधि और कार्यसूची को अंतिम रूप दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “प्रस्ताव रखा गया है कि सत्र पाँच दिनों का हो, जिसे बीएसी द्वारा अनुमोदन के बाद अधिसूचित किया जाएगा।”
राज्य की नीति एवं शासन पर केन्द्रित रहेगा सत्र
यह शीतकालीन सत्र राज्य के लिए कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। असम सरकार इस सत्र में कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ी नीतियों की समीक्षा करने के साथ-साथ आगामी वित्तीय वर्ष के लिए प्राथमिक योजनाओं पर भी चर्चा करेगी।
राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा इस सत्र में नई औद्योगिक नीति से सम्बंधित एक संशोधन विधेयक प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण विकास और युवा सशक्तिकरण से जुड़ी योजनाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
सदन में विपक्ष की रणनीति पर भी निगाहें
विधानसभा में विपक्षी दलों की रणनीति भी इस सत्र में चर्चा का विषय रहेगी। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सरकार से बाढ़ प्रबंधन, बेरोज़गारी, तथा मूल्यवृद्धि जैसे मुद्दों पर जवाब मांगने की तैयारी में हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र आगामी लोकसभा चुनावों से पहले राज्य की राजनीतिक दिशा को स्पष्ट कर सकता है। विपक्ष सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों पर तीखा रुख अपना सकता है।
महत्त्वपूर्ण विधेयकों की सम्भावना
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस सत्र में राज्य सरकार शिक्षा सुधार, महिला सुरक्षा और डिजिटल प्रशासन से संबंधित तीन प्रमुख विधेयक प्रस्तुत करने की योजना बना रही है।
इन विधेयकों का उद्देश्य शासन व्यवस्था को अधिक सशक्त एवं पारदर्शी बनाना है। विधानसभा के कई सदस्यों ने पहले ही यह संकेत दिया है कि जनता से जुड़े विषयों पर गहन बहस कराना आवश्यक है ताकि नीतियाँ जमीनी स्तर पर प्रभावी हों।
लोकहित और विकास पर होगा जोर
राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि विधानसभा लोकतांत्रिक विमर्श का केंद्र है और इसके माध्यम से जनता की आकांक्षाओं का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को लोकहित के मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए विकास की गति को और सशक्त करना चाहिए।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, असम सरकार आगामी बजट सत्र की तैयारी इसी सत्र में प्रारम्भ करेगी ताकि विकास परियोजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन सुनिश्चित किए जा सकें।
असम विधानसभा का यह शीतकालीन सत्र केवल औपचारिकता नहीं बल्कि राज्य के शासन तंत्र के लिए दिशा-निर्धारण का एक महत्त्वपूर्ण अवसर होगा। यह सत्र जहाँ सरकार के कार्यों की समीक्षा करेगा, वहीं जनता के मुद्दों को नीतिगत बहस के केन्द्र में लाने का भी माध्यम बनेगा।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।