ममता बनर्जी पर भाजपा का प्रहार: वृद्ध की मृत्यु को SIR और NRC से जोड़ना “राजनीतिक नाटक” बताया
पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा प्रहार करते हुए आरोप लगाया है कि वे 95 वर्षीय वृद्ध की आत्महत्या को “झूठे रूप में” SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) और NRC (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) से जोड़ रही हैं। भाजपा ने इसे “राजनीतिक नाटक” करार दिया है, जिसका उद्देश्य केवल चुनावी सहानुभूति बटोरना है।
बीरभूम की घटना और राजनीतिक प्रतिक्रिया
बीरभूम ज़िले के इलामबाज़ार क्षेत्र में बुधवार रात 95 वर्षीय क्षितीश मजूमदार का शव उनके बेटी के घर में फंदे से झूलता मिला। पुलिस जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हुआ। परिजनों का कहना है कि वृद्ध अपने नाम के 2002 के मतदाता सूची से गायब होने के बाद से चिंतित थे।
घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मृतक के प्रति संवेदना व्यक्त की और इसे “भाजपा की भय और विभाजन की राजनीति” का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण से जनता में भय का माहौल फैलाया जा रहा है, जिससे कई लोग तनाव में हैं।
भाजपा का पलटवार: “ममता का यह नाटक चुनावी स्क्रिप्ट”
भाजपा ने ममता बनर्जी के बयान को पूरी तरह “राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित” बताया है। पार्टी के पश्चिम बंगाल सह-प्रभारी अमित मालवीय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा —
“ममता बनर्जी की झूठी कहानियाँ अब जनता समझ चुकी है। वे हर मृत्यु को NRC या SIR से जोड़कर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रही हैं।”
मालवीय ने आगे कहा कि ममता बनर्जी “नैतिक पतन” के सबसे निचले स्तर तक पहुँच चुकी हैं, क्योंकि उन्होंने 95 वर्षीय भारतीय नागरिक की आत्महत्या को भी अपने राजनीतिक लाभ का साधन बना लिया।
“95 वर्षीय भारतीय को SIR से क्यों डर लगेगा?” भाजपा का प्रश्न
भाजपा नेताओं ने सवाल उठाया कि एक ऐसे व्यक्ति, जो 1930 में जन्मा और भारत का मूल नागरिक था, उसे SIR या NRC से डरने की क्या आवश्यकता? भाजपा का तर्क है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से गलती से भी हट गया हो, तो यह प्रशासनिक त्रुटि हो सकती है, लेकिन इसे नागरिकता के भय से जोड़ना गलत और भ्रामक है।
मालवीय ने कहा —
“यदि वे किसी कारणवश विभाजन के बाद आए भी हों, तो CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) के तहत उन्हें स्वतः नागरिकता प्राप्त थी, क्योंकि वे हिंदू थे। इसलिए ममता बनर्जी का यह तर्क केवल अफवाह फैलाने वाला है।”
तृणमूल कांग्रेस की सफाई
वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर “संवेदनहीनता” का आरोप लगाया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा मानवता से अधिक राजनीति में रुचि रखती है। “यह दुखद है कि भाजपा एक वृद्ध व्यक्ति की मृत्यु को भी अपने राजनीतिक भाषण का हथियार बना रही है,” प्रवक्ता ने कहा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “SIR प्रक्रिया राज्य की जनता में अनावश्यक भ्रम फैला रही है। कई लोग असम की तरह भयभीत हैं कि उनके नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं।”
राजनीतिक ध्रुवीकरण की नई परत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिम बंगाल में SIR और NRC का मुद्दा अब भाजपा और तृणमूल के बीच नई वैचारिक लड़ाई का केंद्र बन गया है। भाजपा जहां ममता बनर्जी पर “भय की राजनीति” का आरोप लगा रही है, वहीं तृणमूल “जनता के अधिकारों की रक्षा” के नाम पर भाजपा के “कठोर रवैये” की आलोचना कर रही है।
भाजपा का वादा: “सत्ता में आएंगे तो न्याय करेंगे”
अमित मालवीय ने कहा कि भाजपा सत्ता में आने पर सभी संदिग्ध आत्महत्याओं की निष्पक्ष जांच कराएगी और तृणमूल के “दोषी तत्वों” को सजा दिलाएगी। उन्होंने कहा —
“सच्चाई यह है कि इन आत्महत्याओं के पीछे SIR नहीं, बल्कि ममता बनर्जी की भ्रष्ट और अव्यवस्थित प्रशासनिक व्यवस्था जिम्मेदार है।”
यह विवाद स्पष्ट करता है कि पश्चिम बंगाल की राजनीति में NRC और SIR जैसे मुद्दे केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जनभावनाओं से जुड़े संवेदनशील प्रश्न बन चुके हैं। एक वृद्ध की आत्महत्या ने राज्य की राजनीतिक बिसात को फिर हिला दिया है, जहाँ अब हर बयान, हर आँकड़ा और हर घटना का राजनीतिक अर्थ खोजा जा रहा है।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।