ममता बनर्जी ने किया समाजिक एकता का आह्वान
कोलकाता, 29 अक्तूबर (पीटीआई): पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को लोगों से समाज में एकता बनाए रखने का आग्रह करते हुए कहा कि किसी भी सच्चे मतदाता को किसी भी प्रकार की उत्पीड़न या भेदभाव का सामना नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश और राज्य को उन ताकतों से सावधान रहना चाहिए जो समाज में ‘डिवाइड एंड रूल’ की नीति अपनाकर लोगों के बीच दरार पैदा करना चाहती हैं।
लोकतांत्रिक आदर्शों की रक्षा का संदेश
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल और डॉ. भीमराव अंबेडकर के आदर्शों और लोकतांत्रिक भावना की रक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन महान विभूतियों ने हमेशा समानता, एकता और भाईचारे का संदेश दिया है, जिसे आज के समाज में और अधिक मजबूती से अपनाने की आवश्यकता है।
ममता बनर्जी ने जगद्धात्री पूजा के उद्घाटन समारोह में कहा, “हम सभी एक हैं, हमारे बीच कोई भेदभाव या विभाजन नहीं होना चाहिए। याद रखिए, पांच उंगलियाँ मिलकर मुट्ठी बनती हैं, जो हर चुनौती का सामना कर सकती है।”
‘विभाजन की राजनीति’ के विरोध में सख्त रुख
मुख्यमंत्री ने बिना किसी का नाम लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसे अभियानों की ओर इशारा करते हुए कहा कि “सच्चे मतदाताओं को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।” उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि “जब विदेशी शासन के विरुद्ध संघर्ष हुआ, तब सब एकजुट थे। आज भी हमें उसी भावना की आवश्यकता है।”
उन्होंने कहा कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है और हमें मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि रखना चाहिए। “आप वृक्ष से फल तोड़कर ईश्वर को अर्पित करते हैं, कांटे नहीं। पूजा में कांटे नहीं, सकारात्मकता के फूल चढ़ाइए,” उन्होंने कहा।
धर्म और अध्यात्म में सकारात्मकता का संदेश
कार्यक्रम में उन्होंने देवी से सभी पर आशीर्वाद की प्रार्थना की। उन्होंने कहा, “मैं कोई पंडित या विदुषी नहीं हूं, लेकिन प्रतिदिन चंडी पाठ करती हूं और अनेक श्लोकों का ज्ञान रखती हूं। परंतु कुछ लोग इसे भी विवाद का विषय बना देते हैं। इतनी नकारात्मकता क्यों? मैं उन सबकी भलाई और सुख की कामना करती हूं।”
राज्य में विकास परियोजनाओं की समीक्षा
ममता बनर्जी ने इस अवसर पर चंदननगर और कृष्णानगर के कई जगद्धात्री पूजा पंडालों का वर्चुअल दर्शन किया और चंदननगर में 120 करोड़ रुपये की लागत से बनी भूमिगत बिजली लाइन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, “अब चंदननगर में ऊपर से बिजली के तार नहीं दिखेंगे। ऐसी ही व्यवस्था कोलकाता और अन्य नगरपालिकाओं में भी होनी चाहिए।”
साथ ही, उन्होंने दार्जिलिंग में आयोजित आठवें ‘सरस मेला’ का उद्घाटन किया और राज्य की महिला स्व-सहायता समूहों (SHGs) की सराहना करते हुए कहा कि “हमारे राज्य में 12 लाख स्व-सहायता समूह सक्रिय हैं और हम इस मामले में पूरे भारत में प्रथम स्थान पर हैं।”
प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावितों को राहत का आश्वासन
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि हाल ही में जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, मिरिक और कालिम्पोंग में आई बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित परिवारों को आवास योजना के अंतर्गत सहायता राशि शीघ्र वितरित की जाएगी।
उन्होंने कहा, “सरकार हर नागरिक के साथ है। किसी को भी अपनी नागरिकता या अधिकारों को लेकर भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।”
एकता में ही शक्ति है
ममता बनर्जी के इस संबोधन का सार यही था कि समाज को बांटने वाली ताकतों से सतर्क रहना होगा और मानवता, सहिष्णुता तथा लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा करना ही आज के युग की सच्ची साधना है। उनका यह संदेश केवल पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए साम्प्रदायिक सौहार्द और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।