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Bengal SIR: एसआईआर घोषणा के बाद बंगाल में घुसपैठियों में दहशत, बांग्लादेश की ओर पलायन शुरू

SIR in Bengal: मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद बांग्लादेशी घुसपैठियों में दहशत, सीमा पर बढ़ी बीएसएफ की चौकसी
SIR in Bengal: मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद बांग्लादेशी घुसपैठियों में दहशत, सीमा पर बढ़ी बीएसएफ की चौकसी | (Photo: BLO Protest in Kolkata via PTI)
नवम्बर 2, 2025

एसआईआर का असर: बंगाल में मचा हड़कंप, सीमा से लौट रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा के बाद बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं में दहशत फैल गई है।
सूत्रों के अनुसार, सीमावर्ती जिलों से बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी बांग्लादेश वापस भाग रहे हैं।

बीएसएफ (BSF) ने पिछले चार दिनों में करीब 400 घुसपैठियों को सीमा पार करने की कोशिश में पकड़ा, जबकि पिछले तीन महीनों में 8,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।


घुसपैठियों में डर: ‘एसआईआर के बाद भेज देंगे वापस’

एसआईआर की घोषणा के बाद बंगाल के सीमावर्ती जिलों उत्तर 24 परगना, नदिया, मुर्शिदाबाद और मालदा में बांग्लादेशियों के बीच डर फैल गया है कि अगर उनके दस्तावेज पुराने मतदाता सूची में नहीं हैं, तो उन्हें देश से निकाला जा सकता है।

कई इलाकों में घरों में काम करने वाली महिलाएं और प्रवासी मजदूर अपने बैंक खातों से पैसे निकालकर बांग्लादेश लौट रहे हैं।
बीरभूम जिले के इलमबाजार में स्थानीय लोगों ने बैंकों से अपनी पूरी जमा राशि निकालनी शुरू कर दी है।


बैंक खाते बंद होने और नाम हटने का डर

लोगों को डर है कि यदि उनका नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं मिला, तो उनके बैंक खाते बंद कर दिए जाएंगे।
इस डर के कारण कई परिवार अपने गृहनगर लौट गए हैं, जबकि कुछ ने स्थायी रूप से पलायन करने की तैयारी शुरू कर दी है।


डर के माहौल में आत्महत्या के मामले भी

सूत्रों के अनुसार, बीरभूम और उत्तर 24 परगना जिलों में दो लोगों ने कथित तौर पर एसआईआर के डर से आत्महत्या कर ली।
कूचबिहार में एक व्यक्ति ने ज़हर खाकर जान देने की कोशिश की, जबकि बर्द्धमान के जमालपुर के एक प्रवासी मजदूर की तमिलनाडु में इसी तनाव के चलते बीमारी से मौत हो गई।


राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़: बीजेपी बनाम टीएमसी

भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि जो लोग भाग रहे हैं, वे वास्तव में ममता बनर्जी का वोटबैंक हैं।
उन्होंने कहा, “तृणमूल सरकार ने इन अवैध बांग्लादेशियों को राजनीतिक संरक्षण दिया था। अब एसआईआर के बाद ये लोग खुद भाग रहे हैं।”

विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी कहा,
“चुनाव आयोग ने मानो कार्बोलिक एसिड डाल दिया हो, इसलिए सांप की तरह घुसपैठिए अपने बिलों से निकल रहे हैं।”

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने इसे भाजपा और केंद्र की “राजनीतिक साजिश” बताया।
उन्होंने कहा, “एसआईआर, बंगाल में एनआरसी लागू करने की दिशा में एक कदम है। भाजपा जानबूझकर डर का माहौल बना रही है।”


बीएसएफ की निगरानी और बढ़ी सख्ती

बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ की चौकसी बढ़ा दी गई है।
सीमावर्ती इलाकों में रात के गश्त को तेज़ किया गया है और अवैध आवाजाही पर रोक के लिए तकनीकी निगरानी तंत्र को और मज़बूत किया गया है।


विश्लेषण: चुनावी मौसम में नया समीकरण

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एसआईआर का यह कदम राज्य की मतदाता सूची को शुद्ध करने की दिशा में बड़ा कदम है।
लेकिन इसके साथ ही यह चुनावी समीकरणों को गहराई से प्रभावित कर सकता है, क्योंकि बंगाल में अवैध मतदाता मुद्दा लंबे समय से राजनीतिक विवाद का केंद्र रहा है।


एसआईआर की घोषणा ने जहां प्रशासनिक स्तर पर पारदर्शिता की बहस शुरू की है, वहीं यह बंगाल की राजनीति और समाज दोनों में गहरी हलचल पैदा कर रही है।
सीमा पार से लौट रहे लोगों का यह डर सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का नहीं, बल्कि आगामी चुनावी परिदृश्य का संकेत भी बन गया है।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com

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