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Bihar Chunav में AIMIM की नई रणनीति: दो नॉन-मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में, क्या ओवैसी करेंगे वोट कटवा या नया खेला?

AIMIM Bihar Strategy
AIMIM Bihar Strategy: ओवैसी की नई योजना में दो नॉन-मुस्लिम उम्मीदवार, बिहार चुनाव में बदलाव (file photo)
अक्टूबर 21, 2025

बिहार में AIMIM की नई रणनीति: सीमांचल से बाहर खेला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।
जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, राज्य का राजनीतिक वातावरण गर्म होता जा रहा है। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने आगामी चुनावों के लिए अपनी पहली सूची जारी की है। इस सूची में 25 उम्मीदवारों को शामिल किया गया है, जिनमें 23 मुस्लिम और दो गैर-मुस्लिम उम्मीदवार हैं।

यह कदम AIMIM के लिए नए अवसरों और चुनौतियों दोनों का संकेत देता है। पार्टी, जिसे मुख्य रूप से मुस्लिम-केंद्रित माना जाता है, अब उत्तर और दक्षिण बिहार के जिलों में अपनी उपस्थिति बढ़ाकर खुद को “सभी के लिए न्याय” की पक्षधर पार्टी के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है।


गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों का चयन: क्यों और कैसे?

AIMIM के दो गैर-मुस्लिम उम्मीदवार हैं:

  • ढाका से राणा रणजीत सिंह

  • सिकंदरा से मनोज कुमार दास

इस कदम का उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि पार्टी की छवि को सुधारना और व्यापक वोट बैंक तैयार करना है। पिछली विधानसभा चुनावों में AIMIM ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और पांच सीटें जीतने में सफल रही थी। हालांकि, चार विधायक बाद में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में शामिल हो गए थे।

ओवैसी की पार्टी का यह प्रयास यह दर्शाता है कि वह अब केवल सीमांचल तक ही सीमित नहीं रहना चाहती।


सीमांचल से बाहर वोट बटोरने की कोशिश

2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM को मिली सभी पांच जीतें सीमांचल क्षेत्र से आई थीं। इस बार पार्टी का लक्ष्य उत्तर और दक्षिण बिहार के इलाकों में चुनाव लड़कर खुद को एक गैर-अल्पसंख्यक-केंद्रित पार्टी के रूप में स्थापित करना है।

विशेषज्ञों का मानना है कि AIMIM का यह कदम हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम वोटरों को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा है। इसके साथ ही पार्टी उन क्षेत्रों में भी अपने लिए जमीन बनाने का प्रयास कर रही है, जहां उसे अब तक कोई बड़ी उपस्थिति नहीं रही है।


सभी के लिए न्याय पर जोर

ओवैसी ने बार-बार यह कहा है कि AIMIM का लक्ष्य सांप्रदायिक राजनीति नहीं, बल्कि कमजोर और उपेक्षित वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। पार्टी ने घोषणा की है कि वह केवल अल्पसंख्यक समुदाय के लिए नहीं बल्कि सभी वर्गों के लिए काम करेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि AIMIM की यह रणनीति जनता के बीच यह संदेश देने की कोशिश है कि पार्टी अब “सभी वर्गों की पार्टी” बनने की दिशा में अग्रसर है।


पार्टी की छवि सुधरने का प्रयास

राणा रणजीत सिंह जैसे राजपूत नेताओं को उम्मीदवार बनाकर AIMIM पर लगते सांप्रदायिक आरोपों को कम करने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा पार्टी उदारवादी हिंदू मतदाताओं को भी आकर्षित करने का प्रयास कर रही है।

हाल ही में हुई एक रैली में रणजीत सिंह ने ओवैसी को “तिरंगा पगड़ी” भेंट की थी, जो इस रणनीति का प्रतीक माना जा रहा है। इस प्रकार AIMIM बिहार में सीमांचल से बाहर अपने वोट बैंक का विस्तार करने के साथ-साथ पार्टी की छवि में व्यापक बदलाव करने की तैयारी में है।

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