अररिया में बीजेपी टिकट विवाद ने पकड़ा राजनीतिक रंग
अररिया जिले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता पंडित अजय झा को आगामी चुनाव के लिए टिकट न मिलने से राजनीतिक हलचल मच गई है। 1985 से पार्टी की सेवा करने वाले अजय झा ने हमेशा पार्टी के हित में कार्य किया है। लेकिन इस बार टिकट न मिलने से वे गहरे आहत हैं। विरोध स्वरूप उन्होंने ‘कफ़न’ ओढ़कर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए।
अजय झा के परिवार की प्रतिक्रिया
बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अजय झा की पत्नी संजू झा ने कहा कि पार्टी में ब्राह्मण समुदाय के लिए शायद अब कोई स्थान नहीं बचा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके पति ने लंबे समय से पार्टी की सेवा की है और शीर्ष नेतृत्व ने पहले टिकट का वादा किया था। संजू झा ने यह भी कहा कि वे अपने पति के सम्मान के लिए नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी।
पार्टी नेतृत्व पर सवाल
संजू झा ने पार्टी के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब उन्हें यह ज्ञात था कि नरपतगंज यादव और फारबिसगंज बनिया के लिए आरक्षित सीट हैं, तो लंबे समय तक उन्हें क्यों नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी का मूल सिद्धांत ‘सबका साथ-सबका विकास’ है, लेकिन इस बार ब्राह्मणों के साथ न्याय नहीं हुआ।
अजय झा की भावनात्मक प्रतिक्रिया
पंडित अजय झा ने प्रेस वार्ता के दौरान अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए कहा कि वे अत्यंत दुखी और मर्माहत हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने उनके लंबे समय के योगदान की अनदेखी की और उनकी बलि लेना चाहा। अजय झा ने यह भी कहा कि उनका जीवन उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और ऐसे हालात में वे किसी भी कदम के लिए तैयार हैं। उनकी आँखों से आंसू छलक उठे और वे भावुक हो उठे।
पार्टी में ब्राह्मणों की स्थिति पर सवाल
संजू झा ने यह भी बताया कि बीजेपी में ब्राह्मणों के लिए अब कोई अवसर नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि उनके पति ने पार्टी की सेवा में वर्षों तक अपना योगदान दिया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें टिकट नहीं मिला। उन्होंने कहा कि पार्टी का नेतृत्व उनके समुदाय के प्रति पक्षपात कर रहा है।
निर्दलीय चुनाव की घोषणा
प्रेस वार्ता में संजू झा ने स्पष्ट किया कि वे नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र से मित्रता के आधार पर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने पार्टी के फैसले को अनुचित और समुदाय विरोधी बताया। संजू झा ने कहा कि उनके पति ने पार्टी के लिए जो समर्पण किया, उसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है।
निष्कर्ष
अररिया जिले में यह राजनीतिक विवाद केवल टिकट न मिलने का मामला नहीं है, बल्कि यह पार्टी के अंदर समानता और समुदाय के प्रतिनिधित्व पर भी प्रश्न उठाता है। अजय झा का यह विरोध और संजू झा का निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरना आगामी चुनाव के लिए बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।