बिहार की राजनीति में एक बार फिर राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला है। जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ. अरुण कुमार ने आज जनता दल (यू) का दामन थाम लिया। कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे डॉ. अरुण कुमार अब फिर सीएम नीतीश कुमार के खेमे में लौट आए हैं।
भूमिहार समाज का सशक्त चेहरा
डॉ. अरुण कुमार भूमिहार समाज से आते हैं और बिहार की राजनीति में उनकी मजबूत पकड़ और प्रभावशाली पहचान है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह वापसी सीधे तौर पर घोसी विधानसभा क्षेत्र की सियासत को प्रभावित करेगी।
नई राजनीतिक समीकरण
हाल ही में घोसी के पूर्व विधायक जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल शर्मा ने जदयू छोड़कर आरजेडी का दामन थामा था। इसके तुरंत बाद डॉ. अरुण कुमार की जदयू में वापसी ने नया राजनीतिक समीकरण तैयार कर दिया है।
माना जा रहा है कि घोसी सीट से जदयू डॉ. अरुण कुमार को उम्मीदवार बना सकती है, वहीं आरजेडी की ओर से राहुल शर्मा मैदान में उतर सकते हैं।
जदयू में स्वागत और वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी
इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह, मंत्री अशोक चौधरी, विजय कुमार चौधरी, वरिष्ठ नेता संजय झा और एमएलसी गांधी जी उपस्थित रहे।
डॉ. अरुण कुमार की जदयू में वापसी ने पार्टी में एक नया उत्साह और शक्ति का संचार किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से जदयू को भूमिहार वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी।
टिकट बंटवारे के बीच संभावित बदलाव
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि आने वाले दिनों में टिकट बंटवारे की प्रक्रिया के दौरान और भी कई नेता अपने राजनीतिक ठिकाने बदल सकते हैं। जदयू इस समय अपने उम्मीदवारों की अंतिम सूची तैयार कर रही है और अरुण कुमार की वापसी ने पार्टी की रणनीति में अहम भूमिका निभाई है।
डॉ. अरुण कुमार की जदयू में वापसी नीतीश कुमार की राजनीतिक ताकत को बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में इस घर वापसी से जदयू को कितना लाभ मिलता है और घोसी सीट पर उम्मीदवारों के बीच मुकाबला किस रूप में सामने आता है।