Aurangabad Urea Shortage in Bihar: लंबी कतारों के बीच किसानों का प्रदर्शन, बिस्कोमान केंद्र पर तनाव
औरंगाबाद (बिहार) – धान की खेती में इस समय Urea fertilizer की सबसे अधिक जरूरत होती है, लेकिन जिले में यूरिया की कमी ने किसानों को बेहाल कर दिया है। हालात इस कदर बिगड़े कि मंगलवार को जिला केंद्रीय सहकारी बैंक परिसर स्थित Biscoman fertilizer center रणभूमि में तब्दील हो गया।
सुबह से सैकड़ों किसान सरकारी दर पर खाद पाने के लिए लंबी कतारों में खड़े थे। जैसे-जैसे सूरज सिर पर चढ़ा, वैसे-वैसे किसानों का सब्र टूटता गया। स्टॉक कम होने की अफवाह फैलते ही अफरा-तफरी मच गई और देखते ही देखते किसानों के बीच धक्का-मुक्की, लात-घूंसे और गाली-गलौज शुरू हो गई। कई किसानों को चोटें भी आईं। मौके पर मौजूद कर्मचारी पूरी तरह मूकदर्शक बने रहे।
किसानों की मजबूरी और Aurangabad Urea Shortage in Bihar
धान के खेतों में इस समय टॉप ड्रेसिंग का दौर है। खरपतवार हटाने के बाद अगले कुछ ही दिनों में पौधों में बालियां निकलने वाली हैं। ऐसे में Urea fertilizer shortage ने किसानों को परेशान कर दिया है। जो किसान आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे कालाबाजारी से महंगे दामों पर खाद खरीद रहे हैं। लेकिन छोटे और सीमांत किसान सरकारी बिक्री केंद्रों पर निर्भर हैं, जहां उन्हें केवल अव्यवस्था और निराशा हाथ लग रही है।
यूरिया की मांग बढ़ने का एक बड़ा कारण इस बार अच्छी बारिश है। जिले में धान की खेती का रकबा बढ़ा है। खेती में उर्वरक की मांग पहले की तुलना में दोगुनी हो चुकी है। लेकिन government fertilizer supply किसानों की जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं दिख रही।
हंगामा और अव्यवस्था का आलम
मंगलवार सुबह से ही बिक्री केंद्र पर किसानों की लंबी-लंबी कतारें थीं। जैसे ही यह खबर फैली कि स्टॉक खत्म होने वाला है, किसानों में पहले खाद पाने की होड़ मच गई। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप, धक्का-मुक्की और लात-घूंसे चलते रहे। नौबत सिरफुटौव्वल तक पहुंच गई। Aurangabad Urea Shortage in Bihar
स्थिति बिगड़ती देख कुछ जिम्मेदार किसानों ने बीच-बचाव कर माहौल संभाला। वरना बिस्कोमान परिसर में बड़ी घटना हो सकती थी। खास बात यह रही कि न तो केंद्र पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था थी और न ही कर्मचारियों ने हालात को काबू करने की कोशिश की।
प्रशासन का दावा – कमी नहीं, जल्द मिलेगा समाधान
जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने घटना की जानकारी देते हुए कहा कि जिले में खाद की वास्तविक कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि अब तक किसानों को 2 लाख बोरी Urea दी जा चुकी है। मंगलवार को 4 हजार बैग वितरित किए गए और शाम तक 4 हजार और आने वाले हैं।
डीएम ने यह भी कहा कि अगले दो दिनों में 27 हजार बोरी Urea fertilizer जिले में पहुंच जाएगी। कालाबाजारी रोकने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। उन्होंने किसानों से अपील की कि धैर्य बनाए रखें, उनकी जरूरतों के अनुसार खाद उपलब्ध कराई जाएगी।
किसानों का दर्द – वादों और हकीकत में फर्क
किसानों का कहना है कि सरकार और प्रशासन के दावों के बावजूद fertilizer distribution system जमीनी स्तर पर पूरी तरह असफल साबित हो रहा है। जब तक बिस्कोमान और सहकारी केंद्रों पर पारदर्शी व्यवस्था नहीं होगी, तब तक किसानों को कालाबाजारी और मारामारी दोनों झेलनी पड़ेंगी।
किसानों का यह भी आरोप है कि कई बार खाद का स्टॉक आने के बाद भी कुछ प्रभावशाली लोगों को “बैकडोर सप्लाई” कर दी जाती है, जिससे आम किसान को लाइन में खड़े-खड़े निराशा झेलनी पड़ती है।
निष्कर्ष
औरंगाबाद की यह घटना बताती है कि Aurangabad Urea Shortage in Bihar केवल एक प्रशासनिक समस्या नहीं, बल्कि किसानों की जीविका और खाद्य सुरक्षा से जुड़ा हुआ बड़ा संकट है। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो इसका असर सीधे फसल उत्पादन और आम जनता की थाली पर पड़ेगा।