बांका (Banka), बिहार। नवरात्र और दशहरा के अवसर पर बिहार के बांका जिले का Tilidiha Durga Mandir आस्था का विशाल केंद्र बन जाता है। बदुआ नदी के पूर्वी तट पर स्थित यह प्राचीन शक्तिपीठ हर साल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां केवल बिहार ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल और झारखंड से भी भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं।
400 साल पुराना इतिहास
Banka Tilidiha Durga Mandir: मां तिलडीहा दुर्गा मंदिर का इतिहास लगभग 400 साल पुराना है। माना जाता है कि इसकी स्थापना वर्ष 1603 में राड़ी कायस्थ परिवार के हरबल्लव दास ने की थी। कथा है कि हरबल्लव दास को स्वप्न में मां दुर्गा ने दर्शन दिए और मंदिर निर्माण का आदेश दिया। उस समय यह इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ था।
मंदिर बनने के बाद वे पूजा के लिए खडग, शंख और अर्घा लेकर आए थे, जो आज भी विशेष पूजा और बलि के समय प्रयोग किए जाते हैं। उनके नाम पर ही पास के इलाके का नाम हरिवंशपुर पड़ा।
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अद्वितीय पूजा परंपरा
Banka Tilidiha Durga Mandir की सबसे खास बात इसकी अनूठी पूजा परंपरा है। एक ही मेढ़ पर कृष्ण, काली, दुर्गा, महिषासुर, शिव-पार्वती और गणेश-कार्तिक समेत 13 देव प्रतिमाएं स्थापित हैं।
पूजा यहां सदियों से बंगाली रीति-रिवाज के अनुसार होती है।
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प्रथम पूजा में 108 बेलपत्र से आहुति दी जाती है और बकरे (पाठा) की बलि होती है।
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चतुर्थ पूजा में केले का वृक्ष, पान की माला और कद्दू (कोहड़ा) की बलि दी जाती है।
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सप्तमी पूजा के समय प्रतिमा का भव्य श्रृंगार किया जाता है और रात में मां की आंखों में पुतली बनाने की रस्म संपन्न होती है।
यह परंपरा दर्शाती है कि किस तरह बंगाल और बिहार की सांस्कृतिक कड़ी यहां आज भी जीवित है।
Banka Tilidiha Durga Mandir: दशहरा पर श्रद्धा का ज्वार
हर साल दशहरा के मौके पर Tilidiha Durga Mandir में भक्तों की भीड़ चरम पर होती है। मंदिर प्रबंध समिति के अनुसार, पूरे पूजा काल में लगभग 40 से 45 हजार पाठा (बकरों) की बलि दी जाती है।
इस दौरान मंदिर परिसर और आसपास का इलाका विशाल मेले का रूप ले लेता है। यहां पूजा-अर्चना के अलावा ग्रामीण मेलों की पारंपरिक झलक भी देखने को मिलती है। बिहार, बंगाल और झारखंड से आए श्रद्धालु माता से आशीर्वाद लेकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने का विश्वास लेकर लौटते हैं।
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धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
Tilidiha Durga Mandir केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि बिहार की समृद्ध परंपरा और संस्कृति का प्रतीक भी है। चार सौ साल से अधिक पुरानी मान्यताओं और पूजा-विधियों को आज भी पूरी आस्था और भव्यता के साथ निभाया जा रहा है।
यहां की पूजा-पद्धति दर्शाती है कि कैसे बिहार, बंगाल और झारखंड की सांस्कृतिक धारा एक-दूसरे से जुड़ी हुई है।
नवरात्र और दशहरा के दौरान Tilidiha Durga Mandir, Banka श्रद्धालुओं के लिए आस्था का विशाल समुद्र बन जाता है। जहां मां के दरबार में भक्त सिर झुकाते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। यह मंदिर केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि उस सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण है जो सदियों से लोगों की जीवन-शैली और परंपरा का हिस्सा बनी हुई है।