आज के राजनीतिक माहौल में, नरेंद्र मोदी ने बिहार के बेगूसराय में आयोजित एक विशाल जनसभा में स्पष्ट संदेश दिया है। यह केवल एक चुनावी सभा नहीं थी, बल्कि बिहार में विकास, सुशासन और नए संकल्पों का मेला थी। उन्होंने विरोधी दलों को कठोर भाषा में संबोधित किया, साथ ही जनसमर्थन तथा विकास की दिशा में आने वाले अवसरों पर जोर दिया।
बेगूसराय में सभा का मनो-माहौल
बेगूसराय जिले के उलाव हवाई अड्डा के निकट आयोजित इस सभा में उन्होंने कहा कि यह सिर्फ सभा नहीं बल्कि “बिहार के नए संकल्पों का मेला” है। उन्होंने सभा में छठ महापर्व की शुभकामनाएं दीं और छठी मैया के आशीर्वाद का संदेश जनता को दिया।
सभास्थल पर भारी जनसमूह था, जिसमें विकास-वाणी और सियासी जश्न का मिश्रण दिखा। पीएम ने मंच पर छठ व्रतियों को सूप बांटे, जिससे कार्यक्रम का सांस्कृतिक-जनभावुक आयाम भी सामने आया।
विरोधी दलों को नए अंदाज में संदेश
पीएम मोदी ने इस सभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को “भ्रष्टाचार का परिवार” कहा। उन्होंने कहा कि इस परिवार के सदस्य आज-कल जमानत पर हैं।
इसी तरह उन्होंने महागठबंधन को ‘अटक, लटक, झटक, पटक’ वाला गठबंधन करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राजद-कांग्रेस-वीआईपी और लेफ्ट दल बिहार को पिछले दशकों में विकास की बजाय विभाजन, लूट-धमकी और अहंकार में उलझा कर छोड़ गए हैं।
विकास-वोकस और सुशासन का प्रस्ताव
पीएम ने कहा कि उनका लक्ष्य अब “जंगलराज से सुशासन, सुशासन से समृद्धि” तक ले जाने का है। उन्होंने बिहार के इतिहास में सुशासन की कमी तथा विकास-अवसरों के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राज्य में अब विकास की गति बढ़ी है, न सिर्फ प्रतिज्ञाएँ बल्कि प्रगति भी महसूस की जा रही है।
सामाजिक-सांस्कृतिक संकेत और चुनावी रणनीति
सभा के दौरान छठ महापर्व की बात आना यह संकेत देता है कि भाजपा-नीतिश गिरोह चुनावी सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रख रहा है। पीएम ने छठी मैया का आशीर्वाद लिया और कहा कि बिहार एवं हम सभी पर उनका आशीर्वाद बना रहे। इस सांस्कृतिक-राजनीतिक संकेत से यह फ़ील होता है कि अभियान सिर्फ सियासत-तक सीमित नहीं बल्कि सामाजिक भाव-जाल में भी सक्रिय है।
आगामी चुनावी परिदृश्य व संदेश
इस सभा के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि भाजपा-एलायंस (राजग) बिहार की राजनीति में सक्रियता बढ़ा रहा है। पीएम ने कहा कि जब से चुनाव की घोषणा हुई है, जनता देख रही है, और उन्होंने समझदार नेताओं की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया—जैसे कि नीतीश कुमार, चिराग पासवान, पाशवान कुशवाहा।
वहीं दूसरी ओर, उन्होंने महागठबंधन को गतिहीन करार दिया—“दो दशक से राजद कोई चुनाव नहीं जीता है, लेकिन अहंकार में अटका हुआ है”-यह मतदान-संदेश का हिस्सा था।
बेगूसराय की इस सभा ने स्पष्ट रूप से संदेश दिया है कि भाजपा-नेतृत्व बिहार में विकास-संकल्प और सुशासन-वोट को जोर देना चाहती है। विपक्षियों को नए अंदाज में निशाना बनाया गया है — भ्रष्टाचार-परिवार, अटक-लटक वाले दल, पुराने ढर्रे के नेता। साथ ही सामाजिक-सांस्कृतिक लोकभावनाओं को भी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बनाया गया है। अब देखना यह होगा कि जनमानस इस संदेश को कितना स्वीकार करता है और आने वाले चुनाव में इसका क्या असर पड़ता है।