बिहार की नरकटियागंज विधानसभा सीट पर चुनावी संग्राम का आरंभ
बेतिया जिले की नरकटियागंज विधानसभा सीट पर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी अपने चरम पर है। महागठबंधन के प्रमुख घटक दल, राजद और कांग्रेस, लंबे समय तक सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान में रहे। अंततः सहमति न बनने के कारण दोनों दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने का निर्णय लिया। इस सीट पर चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प और कड़ा होने की संभावना है।
राजद और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने दिखाया दोस्ताना चेहरा
राजद के उम्मीदवार के रूप में प्रमुख उद्योगपति और बगहा चीनी मिल के मालिक दीपक यादव ने सोमवार को गाजे-बाजे और भारी समर्थकों की भीड़ के बीच अपना नामांकन दाखिल किया। वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार शाश्वत केदार पांडेय, जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पौत्र हैं, ने भी नामांकन दाखिल कर चुनावी मैदान में कदम रखा।
जब शाश्वत केदार पांडेय नामांकन प्रक्रिया पूरी करके बाहर निकल रहे थे, उसी समय दीपक यादव भी नामांकन दाखिल करने पहुंचे। दोनों उम्मीदवारों ने एक-दूसरे से गले मिलकर सद्भावना व्यक्त की, जिससे महागठबंधन कार्यकर्ताओं में मिश्रित भावनाएँ देखने को मिलीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दोस्ताना शुरुआत मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है, लेकिन असली मुकाबला वोटिंग के दिन तय होगा।
लौरिया विधानसभा से वीआईपी उम्मीदवार का नामांकन
लौरिया विधानसभा क्षेत्र से वीआईपी पार्टी के रण कौशल प्रताप सिंह ने सोमवार को अपने नामांकन की घोषणा गाजे-बाजे के साथ की। उनके काफिले ने कई गांवों का भ्रमण किया और पार्टी कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों के बीच उत्साह का माहौल तैयार किया। कलेक्ट्रेट पहुंचने से पूर्व उम्मीदवार ने नामांकन सह आशीर्वाद यात्रा निकाली, जिसमें महागठबंधन के घटक दलों के नेता भी शामिल रहे।
भाजपा के बागी पूर्व विधायक का चनपटिया से नामांकन
चनपटिया विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक प्रकाश राय ने सोमवार को अपना नामांकन दाखिल किया। प्रकाश राय 2015 में इस क्षेत्र से विधायक चुने गए थे, लेकिन 2020 में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके बावजूद उन्होंने संगठन से जुड़े रहने और क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ाव बनाए रखा। उनके नामांकन ने भाजपा और अन्य दलों के बीच नई राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।
चुनावी रणनीति और संभावित प्रभाव
नरकटियागंज विधानसभा सीट पर राजद और कांग्रेस का आमने-सामने मुकाबला महागठबंधन की छवि और स्थानीय समीकरणों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। दीपक यादव की उद्योगपति पृष्ठभूमि और शाश्वत केदार पांडेय का राजनीतिक परिवार मतदाताओं के बीच अलग-अलग संदेश दे रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह सीट पारंपरिक वोट बैंक और नए मतदाताओं के रुझान पर निर्भर कर सकती है।
लौरिया और चनपटिया से भी उम्मीदवारों की सक्रियता ने स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य को और जटिल बना दिया है। इस बार के चुनाव में युवा मतदाताओं की भागीदारी, सोशल मीडिया अभियानों और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता सबसे अहम रहेगी।
निष्कर्ष
बिहार की नरकटियागंज विधानसभा सीट इस बार महागठबंधन के दो बड़े दलों के सीधे मुकाबले का केंद्र बन गई है। चुनावी शुरुआत में दोनों उम्मीदवारों का गले मिलकर सद्भावना दिखाना एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन असली परीक्षा मतदान के दिन होगी। इस सीट पर किसकी किस्मत चमकती है और किसकी रणनीति काम आती है, यह देखने योग्य रहेगा।