गंगा में मासूमों की मौत से मातम पसरा, नवगाछिया में फिर दोहराई गई लापरवाही
भागलपुर जिले के नवगाछिया अनुमंडल के इस्माईलपुर प्रखंड अंतर्गत नवटोलिया बजरंगबली मंदिर के समीप गंगा नदी में रविवार को स्नान करने पहुंचे चार बच्चों की डूबकर मौत हो गई। यह हृदय विदारक घटना न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर गई, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता पर भी सवाल खड़े कर गई।
गंगा में स्नान करने गए मासूम बने हादसे के शिकार
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रविवार सुबह गांव के ही कुछ बच्चे दो साइकिलों पर सवार होकर नवटोलिया घाट पहुंचे थे। वे सभी नहाने के दौरान आनंदपूर्वक गंगा में उतर गए। तभी एक बच्चा अचानक गहरे पानी में चला गया। उसे बचाने के प्रयास में तीन अन्य बच्चे भी आगे बढ़े, परंतु वे भी गहराई में समा गए। कुछ ही पलों में चारों बच्चे लहरों के बीच गायब हो गए।
पहचान और परिजनों का विलाप
मृत बच्चों में एक की पहचान नवटोलिया निवासी मिथिलेश मंडल के 10 वर्षीय पुत्र के रूप में की गई है। जबकि अन्य तीन बच्चे पास के छठु सिंह टोला के बताए जा रहे हैं। सभी की उम्र 15 वर्ष से कम बताई जा रही है। घटना की सूचना मिलते ही गांव में कोहराम मच गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है, और पूरा इलाका मातम में डूब गया है।

स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची, लेकिन बचा न सके मासूमों की जान
सूचना पाते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने नवगाछिया और गोपालपुर से एम्बुलेंस भेजी। लेकिन जब तक सहायता दल घटनास्थल पर पहुंचा, तब तक सभी बच्चों ने गंगा की गोद में अंतिम सांस ले ली थी। स्थानीय अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
हर वर्ष दोहराई जाती है ऐसी त्रासदी
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब गंगा में इस प्रकार की दुर्घटना घटी हो। इस्माईलपुर और गोपालपुर प्रखंड में हर वर्ष बरसात या त्योहारी मौसम के दौरान ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन या अनुमंडल प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।
पूर्व मुखिया मनोहर कुमार मंडल और वर्तमान मुखिया अनिल कुमार ने कहा कि “अगर प्रशासन ने घाटों की नियमित निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की होती, तो शायद ये मासूम आज जिंदा होते।” उन्होंने जिला प्रशासन से घाटों पर चेतावनी बोर्ड लगाने, लाइफगार्ड की नियुक्ति और गश्ती दल की व्यवस्था की मांग की।

स्थानीय प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल
स्थानीय नागरिकों ने कहा कि जिलाधिकारी और सीनियर एसएसपी द्वारा भागलपुर और अन्य घाटों का तो निरीक्षण किया जाता है, किंतु नवगाछिया जैसे क्षेत्रों की अनदेखी होती है। यदि समय रहते स्थानीय प्रशासन सक्रिय कदम उठाता, तो हर साल होने वाली इन दर्दनाक घटनाओं को रोका जा सकता था।
गंगा घाटों पर सुरक्षा इंतज़ाम की सख्त ज़रूरत
यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि गंगा किनारे स्थित सभी स्नान घाटों पर उचित सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। गहरे पानी में चेतावनी पट्ट, बांस की बाड़ और लाइफ जैकेट की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही, बच्चों को बिना वयस्क निगरानी के गंगा स्नान से रोका जाना चाहिए।
लोगों में आक्रोश और प्रशासन से जवाबदेही की मांग
घटना के बाद नवगाछिया व आसपास के क्षेत्रों में आक्रोश व्याप्त है। लोग प्रशासन से जिम्मेदारी तय करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस नीति लागू करने की मांग कर रहे हैं।
भागलपुर जिले की यह त्रासदी केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की करुण परिणति है। हर वर्ष इसी तरह मासूम बच्चों की जान जाती है, लेकिन हालात जस के तस बने रहते हैं। जब तक घाटों की सुरक्षा को लेकर ठोस पहल नहीं होगी, तब तक “गंगा में स्नान” जैसी धार्मिक परंपरा, मासूम जिंदगियों के लिए खतरा बनी रहेगी।