काली पूजा विसर्जन के अवसर पर अनुशासनहीनता
भागलपुर जिले में काली पूजा विसर्जन जुलूस के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन सामने आया है। स्थानीय प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद कुछ युवकों ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के झंडे लहराते हुए और पार्टी के समर्थन में नारेबाज़ी करते हुए धार्मिक आयोजन को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया। यह घटना विधानसभा उपचुनाव की घोषणा के कुछ ही समय बाद हुई है, जब पूरे जिले में आचार संहिता लागू है।
प्रशासन की उदासीनता पर उठ रहे सवाल
स्थानीय प्रशासन की ओर से ऐसी गतिविधियों पर कोई ठोस रोकथाम नहीं की गई, जिससे उनकी उदासीनता पर सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों ने हाल ही में नागरिकों से अपील की थी कि किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन में राजनीतिक संदेश न फैलाएँ। बावजूद इसके, कुछ लोग धार्मिक उत्सव का लाभ उठाकर राजनीतिक प्रचार में लगे दिखाई दिए।
राजनीतिक गतिविधियों और धार्मिक आयोजनों का मिश्रण
विशेषज्ञों का कहना है कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में राजनीतिक झंडे या नारे का प्रदर्शन सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकता है। त्योहारों का उद्देश्य समाज में भाईचारा, सौहार्द और एकता को बढ़ावा देना होना चाहिए। राजनीतिक रंग देने से न केवल धार्मिक भावनाओं का अपमान होता है, बल्कि समाज में तनाव और अशांति का भी खतरा बढ़ जाता है।
निर्वाचन आयोग की चेतावनी
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार का राजनीतिक प्रचार सार्वजनिक और धार्मिक आयोजनों में निषिद्ध है। इसमें झंडे, पोस्टर, नारेबाज़ी या किसी भी दल का प्रतीक शामिल है। आयोग ने भविष्य में ऐसे उल्लंघनों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
भागलपुर जिले के अधिकारियों ने कहा कि घटना की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आम नागरिकों से भी अनुरोध किया कि वे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहें। अधिकारियों का कहना है कि त्योहारों का उद्देश्य केवल सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ाना है, न कि राजनीतिक संदेश देना।
नागरिकों की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन की उदासीनता पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि धार्मिक आयोजनों में राजनीतिक झंडे और नारेबाज़ी से त्योहारों की पवित्रता प्रभावित होती है। वहीं, कुछ लोग इसे राजनीतिक दलों की रणनीति के रूप में देख रहे हैं, ताकि जनता के बीच अपनी उपस्थिति को मजबूत किया जा सके।
भागलपुर जिले में काली पूजा विसर्जन जुलूस के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन यह दर्शाता है कि प्रशासन और नागरिकों को राजनीतिक और धार्मिक गतिविधियों में स्पष्ट विभाजन बनाए रखने की आवश्यकता है। त्योहार केवल आनंद और सामाजिक समरसता के लिए मनाए जाने चाहिए, न कि राजनीतिक संदेश फैलाने के लिए। भविष्य में प्रशासन की सतर्कता और जनता की जागरूकता ही ऐसे उल्लंघनों को रोक सकती है।