भागलपुर में गुरुवार को हुई एक प्रेस वार्ता ने बिहार की सियासी गर्मी को और बढ़ा दिया। झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने महागठबंधन पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस द्वारा तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करना एक “राजनीतिक लॉलीपॉप” से ज़्यादा कुछ नहीं है। उन्होंने दावा किया कि यह रणनीति केवल मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए बनाई गई है, जबकि गठबंधन के अंदर ही आपसी खटास और अहं की लड़ाई चरम पर है।
कांग्रेस-राजद के बीच सीट बंटवारे पर उठाए सवाल
दुबे ने बताया कि जिन सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें से कई ऐसी हैं जहाँ पहले से ही राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रत्याशी मैदान में हैं। यह बताता है कि महागठबंधन के भीतर तालमेल की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि “अगर एक ही सीट पर दो साथी दल उतरते हैं, तो यह गठबंधन नहीं बल्कि आपसी टकराव की कहानी कहता है।” दुबे के अनुसार, यह स्थिति बताती है कि सत्ता के लिए बनाए गए ऐसे गठबंधन केवल नाम भर के सहयोगी हैं, जिनके पास जनता के विकास का स्पष्ट खाका नहीं है।
मुकेश सहनी पर भी साधा निशाना
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान निशिकांत दुबे ने मुकेश सहनी पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “जब मुकेश सहनी खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, तो उन्हें उपमुख्यमंत्री घोषित करने का क्या औचित्य है?” दुबे ने व्यंग्य करते हुए कहा कि महागठबंधन की राजनीति अब ‘कुर्सी-संतुलन’ की राजनीति बन गई है, जिसमें जनसेवा से ज़्यादा तवज्जो व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं पर है।
जनता को बताया जागरूक, गठबंधन की रणनीति को बताया भ्रामक
निशिकांत दुबे ने विश्वास जताया कि बिहार की जनता अब इस दिखावटी राजनीति को समझ चुकी है। उन्होंने कहा, “महागठबंधन के नेता हर चुनाव में नए चेहरे, नए वादे और नए भ्रम का सहारा लेते हैं, जबकि जनता अब विकास और स्थिरता चाहती है।” दुबे ने दावा किया कि आने वाले विधानसभा चुनावों में एनडीए पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगा।
उनके अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही नीतियों से जनता को भरोसा है, और भाजपा-जेडीयू गठबंधन विकास कार्यों के दम पर जनता का विश्वास फिर से हासिल करेगा।
भागलपुर से सियासत का नया संदेश
भागलपुर की यह प्रेस वार्ता राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह क्षेत्र न केवल सीमांचल और अंग प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करता है, बल्कि यहाँ से दिए गए बयानों का असर बिहार की सियासी दिशा भी तय कर सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि निशिकांत दुबे के इस बयान ने महागठबंधन की रणनीति को चुनौती दी है।
चुनावी माहौल में बढ़ी बयानबाज़ी की गरमी
बिहार में जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, नेताओं की बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ होता जा रहा है। महागठबंधन जहां बेरोज़गारी और महगाई के मुद्दे पर एनडीए को घेरने में लगा है, वहीं एनडीए के नेता विपक्ष की आपसी खींचतान और अस्पष्ट नेतृत्व को उजागर कर रहे हैं। इस बीच निशिकांत दुबे जैसे नेताओं के बयान भाजपा कैम्प के भीतर नई सक्रियता का संकेत दे रहे हैं।
एनडीए के लिए विकास और स्थिरता प्रमुख एजेंडा
सांसद दुबे ने सभा समाप्त करते हुए कहा कि एनडीए सरकार का सबसे बड़ा लक्ष्य बिहार में विकास और स्थिरता लाना है। उन्होंने कहा कि “बिहार अब वैचारिक भ्रम नहीं, बल्कि वास्तविक प्रगति चाहता है।”
उनका विश्वास है कि जनता प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक बार फिर स्थिर और विकासोन्मुख सरकार को ही चुनेंगे।
बाइट:
“कांग्रेस का लॉलीपॉप मतदाता को लुभा नहीं पाएगा। बिहार अब जाग चुका है और हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विकास ही चुनाव का असली मुद्दा होगा।”
— निशिकांत दुबे, सांसद, गोड्डा