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Bihar Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 उम्मीदवारों की जातीय समीकरण पर नजर, सत्ता की कुंजी अब सामाजिक संतुलन में

Bihar Assembly Election 2025
Bihar Assembly Election 2025, उम्मीदवारों की जाति आधारित रणनीति और राजनीतिक समीकरण पर सबकी नजर, सत्ता के समीकरण में जातीय गणित अहम भूमिका निभा रहा है।
अक्टूबर 31, 2025

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: जातीय समीकरण से तय होगी जीत की दिशा

उम्मीदवार सूची से साफ संदेश

बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव का रण पूरी तरह तैयार है। प्रमुख दलों, भाजपा, जदयू, राजद, कांग्रेस और लोजपा (आर), ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। उम्मीदवारों की सूची में जातीय संतुलन स्पष्ट दिखाई देता है। हर दल ने समाज के हर वर्ग को शामिल कर राजनीतिक गणित साधने की कोशिश की है।

भाजपा और जदयू की साझा रणनीति

भाजपा और जदयू, जो NDA का मुख्य चेहरा हैं, ने उम्मीदवारों के चयन में जातीय संतुलन पर खास ध्यान दिया है।

  • भाजपा ने ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार और पिछड़े वर्गों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की।

  • जदयू ने कुर्मी, कोईरी, धानुक, तैली और दलित वर्गों पर फोकस रखा है।

  • नीतीश कुमार की पार्टी ने अपने परंपरागत यादव विरोधी वोटबैंक को मजबूत करने के लिए गैर-यादव पिछड़ों और अतिपिछड़ों को प्राथमिकता दी है।

राजद और कांग्रेस का यादव-मुस्लिम समीकरण

राजद, जो लालू प्रसाद यादव के सामाजिक न्याय के एजेंडे पर कायम है, ने यादव और मुस्लिम उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी है।

  • लगभग हर जिले में राजद ने यादव-मुस्लिम उम्मीदवारों की जोड़ी उतारी है।

  • कांग्रेस ने अल्पसंख्यक और दलित वर्ग के उम्मीदवारों को आगे बढ़ाया है ताकि वह राजद के साथ मिलकर अपनी जमीनी पकड़ बढ़ा सके।

लोजपा (रामविलास) का दलित-पिछड़ा समीकरण

चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने इस बार अनुसूचित जाति और पिछड़ी जातियों पर भरोसा जताया है।

  • पार्टी ने भूमिहार, पासवान और दुसाध वर्ग को प्रतिनिधित्व देकर सीमित सीटों पर प्रभावी उपस्थिति दर्ज की है।

  • चिराग पासवान की रणनीति NDA के समानांतर खुद को दलित-पिछड़ा चेहरा के रूप में स्थापित करने की है।

उत्तर बिहार में जदयू का प्रभाव

सीमांचल, मिथिलांचल और तिरहुत क्षेत्र में जदयू ने यादव, कुर्मी और धानुक समाज को टिकट देकर जातीय संतुलन साधा है।

  • सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा और सीतामढ़ी में जदयू के उम्मीदवारों की सूची सामाजिक समीकरणों को साधने वाली दिखती है।

  • नीतीश कुमार का फोकस गैर-यादव पिछड़े वोटरों को NDA के पक्ष में बनाए रखना है।

दक्षिण बिहार में भाजपा की मजबूती

पटना, नालंदा, गया, और भोजपुर बेल्ट में भाजपा का दबदबा बरकरार है।

  • भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत, और कायस्थ वर्ग भाजपा की रीढ़ बने हुए हैं।

  • भाजपा ने शहरी सीटों पर मध्यम वर्गीय उम्मीदवारों को भी प्राथमिकता दी है।

  • सियाराम सिंह (बाढ़), नितिन नवीन (बांकीपुर), और संजय गुप्ता (कुम्हरार) जैसे नाम पार्टी के भरोसे को दिखाते हैं।

राजद की चुनौती

तेजस्वी यादव इस बार युवाओं और पिछड़े वर्गों को जोड़ने की कोशिश में हैं।

  • उन्होंने यादव और मुस्लिम वर्ग के अलावा निषाद, पासी, और कोरी वर्ग के उम्मीदवारों को भी टिकट देकर सामाजिक विस्तार की नीति अपनाई है।

  • लेकिन, कई सीटों पर जातीय एकजुटता की जगह स्थानीय असंतोष देखने को मिल रहा है।

महिला उम्मीदवारों की भागीदारी

इस बार महिला उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि हुई है।

  • भाजपा और जदयू दोनों ने 10-12 प्रतिशत सीटें महिलाओं को दी हैं।

  • कांग्रेस और राजद ने भी महिला उम्मीदवारों को जातीय आधार पर जगह दी है, जैसे रेणु देवी (बेतिया), मैथिली ठाकुर (अलीनगर), और वीणा देवी (मोकामा)।

सामाजिक समीकरण ही बनेगा निर्णायक

बिहार की राजनीति हमेशा से जातीय गणित पर आधारित रही है। 2025 का यह चुनाव भी उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।

  • कोईरी, कुर्मी, यादव, भूमिहार और मुसलमान वोटरों का झुकाव ही सीटों का समीकरण तय करेगा।

  • विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि NDA अपने गैर-यादव पिछड़े वोटरों को बनाए रखता है तो उसे बढ़त मिल सकती है, अन्यथा RJD-कांग्रेस गठबंधन को मौका मिलेगा।

बिहार चुनाव 2025 का असली मुकाबला जातीय आधार पर तय होगा।
सभी दल जानते हैं कि सत्ता तक पहुंचने का रास्ता सामाजिक संतुलन से होकर जाता है।
हर उम्मीदवार अपनी जाति के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों को भी केंद्र में रखे हुए है।
इसलिए आने वाले हफ्तों में यह साफ होगा कि जनता किस जातीय-सामाजिक रणनीति पर भरोसा जताती है।

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Aakash Srivastava

Writer & Editor at RashtraBharat.com | Political Analyst | Exploring Sports & Business. Patna University Graduate.

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