बिहार में चुनावी गर्माहट: सात सीटों पर सबकी निगाहें
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने राजनीतिक हलकों में उत्सुकता की लहर दौड़ा दी है। राज्य की 243 सीटों में से कुछ विशेष सीटों को लेकर सभी दलों की निगाहें तनी हुई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, दरभंगा, समस्तीपुर और मधुबनी की सात सीटें इस बार चुनावी परिणाम को निर्णायक रूप दे सकती हैं। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं।
सात हॉट सीटों का राजनीतिक महत्व
इन सात सीटों में दरभंगा का एक, समस्तीपुर के चार और मधुबनी के दो विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। वर्तमान में राजद और माकपा इन सीटों पर सत्तारूढ़ हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2020 में लोजपा ने इन क्षेत्रों में एनडीए के लिए चुनौती पेश की थी। इस बार चिराग पासवान के नेतृत्व में लोजपा एनडीए के साथ जुड़ चुकी है, जिससे एनडीए इन सीटों को हर हाल में अपने झोली में डालना चाहता है।
दरभंगा: जदयू के लिए चुनौतीपूर्ण मैदान
दरभंगा जिले की दस में नौ सीटें एनडीए के पास हैं। लेकिन दरभंगा ग्रामीण क्षेत्र में जदयू की हार ने पार्टी में हलचल पैदा की थी। 2020 में लोजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार झा ने 17605 मत प्राप्त कर एनडीए की जीत में बाधा डाली थी। इस बार एनडीए इस हार को सुधारने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है।
समस्तीपुर: एनडीए और महागठबंधन का कड़ा संघर्ष
समस्तीपुर जिले की चार सीटों पर एनडीए को 2020 में लोजपा के कारण नुकसान हुआ था। महेंद्र प्रधान, चंद्रबली ठाकुर, अर्जुन प्रसाद यादव और अभय कुमार सिंह जैसे लोजपा उम्मीदवारों ने एनडीए और जदयू की जीत में बाधा डाली थी। इस बार, लोजपा एनडीए के साथ है, जिससे एनडीए इन क्षेत्रों में अपना दबदबा बनाने की कोशिश में लगी है।
मधुबनी: राजद के लिए चुनौती
मधुबनी जिले की दो सीटों पर एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल है। 2020 में लोजपा के चार उम्मीदवारों ने कुछ सीटों पर एनडीए की जीत में बाधा डाली थी। इस बार, राजद और एनडीए दोनों ही इन सीटों पर पूरी ताकत लगा रहे हैं। मधुबनी और लौकहा से राजद के उम्मीदवारों की जीत का समीकरण इस बार भी रोचक हो सकता है।
तीसरे स्थान के मतों का महत्व
विशेषज्ञों का कहना है कि इन सात सीटों पर तीसरे स्थान के मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। 2020 में लोजपा और अन्य छोटे दलों ने एनडीए को नुकसान पहुंचाया था। इस बार स्थिति बदल चुकी है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि तीसरे स्थान के मतदाता किस दिशा में झुकते हैं।
मतदाता और राजनीति: निर्णय का क्षण नजदीक
राज्य के मतदाता इस बार इन सात सीटों के परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक भी यह मानते हैं कि इन सीटों का नतीजा पूरे बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकता है। प्रशांत किशोर की पार्टी की भूमिका, गठबंधनों की रणनीति और स्थानीय उम्मीदवारों की लोकप्रियता चुनाव के अंतिम परिणाम को निर्णायक रूप दे सकती है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इन सात हॉट सीटों पर होने वाला मुकाबला राज्य की राजनीतिक दिशा को निर्धारित करेगा। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही अपने संसाधन और रणनीति का पूरा प्रयोग कर रहे हैं। राजनीतिक हलकों और जनता की निगाहें इस परिणाम पर टिकी हैं कि कौन सा दल इस बार इन चुनिंदा सीटों पर अपने झंडे गाड़ता है।