महागठबंधन में सीट बंटवारे की उलझन
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन के अंतिम दिन महागठबंधन के दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची अलग-अलग जारी की। इससे पहले यह संभावना जताई जा रही थी कि साझा मंच से उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी, लेकिन अंतिम समय तक सीटों के बंटवारे पर मतभेद के कारण यह सम्भव नहीं हो पाया।
आधिकारिक रूप से राजद ने 143 सीटों पर, कांग्रेस 61 सीटों पर, वाम दल 30 सीटों पर और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) 9 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। हालांकि, कुल मिलाकर महागठबंधन के 254 उम्मीदवार मैदान में हैं।
राजद और कांग्रेस के बीच झुकाव
राजद इस बार महागठबंधन में सबसे बड़े दल के रूप में 143 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। कांग्रेस ने 61 सीटों पर चुनाव लड़ने की स्वीकृति दी, जबकि अंतिम समय तक वह कम से कम 70 सीटों की मांग कर रही थी। सीटों के विवाद और मतभेद के कारण कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बिहार भेजा है।
अशोक गहलोत का मुख्य उद्देश्य महागठबंधन के भीतर बढ़ती दूरियों और मतभेदों को कम करना है। उनकी बैठक में तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद से मुलाकात संभावित है। इससे महागठबंधन की साझा एकता को मजबूती देने का प्रयास किया जाएगा।
वाम दल और वीआईपी की स्थिति
वाम दल इस बार 30 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके कुल 35 उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं, वीआईपी को नौ सीटें मिली हैं, लेकिन पार्टी ने कुल 15 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। यह दर्शाता है कि कई सीटों पर घटक दलों के बीच असहमति है।
विश्लेषक मानते हैं कि सीट बंटवारे और टिकट चयन को लेकर चल रहे मतभेद महागठबंधन के चुनावी अभियान को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, नेता दावा करते हैं कि नामांकन के बाद सभी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे।
एनडीए ने पहले ही जारी की सूची
वहीं, एनडीए ने उम्मीदवारों की सूची सप्ताह भर पहले ही जारी कर दी थी। भाजपा और जदयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। लोजपा रामविलास 29, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा 6 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा 6 सीटों पर चुनाव में उतरे हैं। एनडीए की यह रणनीति महागठबंधन के उलझे हालात के विपरीत स्थिरता दिखाती है।
आगामी रणनीति और राजनीतिक कवायद
महागठबंधन की एकता को लेकर चिंता के बीच कांग्रेस की ओर से डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू हो गई है। 23 अक्टूबर को पटना में महागठबंधन के नेताओं की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की योजना है। इसे कांग्रेस और राजद के बीच दूरी कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
कुल मिलाकर बिहार में महागठबंधन के 254 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें राजद के 143, कांग्रेस के 61, भाकपा माले के 20, सीपीआई के 9, सीपीएम के 6 और वीआईपी के 15 उम्मीदवार शामिल हैं। यह स्थिति गठबंधन में तालमेल और विश्वास की कमी को दर्शाती है।
जनता की उम्मीदें और चुनावी मुद्दे
विश्लेषक यह भी मानते हैं कि महागठबंधन और एनडीए के बीच मुकाबला महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और वोट चोरी जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहेगा। राजनीतिक दलों की तैयारी और जनता की अपेक्षाएं तय करेंगी कि बिहार की आगामी विधानसभा में किस गठबंधन की सरकार बनेगी।