Bihar Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव 2025: लोकतंत्र का उत्सव और मतदान का रिकॉर्ड
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) के पहले चरण में 121 सीटों पर 64.69 प्रतिशत मतदान हुआ, जो राज्य के इतिहास में अब तक का सर्वोच्च आंकड़ा है। चुनाव आयोग ने इसे लोकतंत्र की विजय बताया। मतदान के इस उछाल ने राजनीतिक विश्लेषकों में उत्सुकता पैदा कर दी है कि क्या यह नीतीश कुमार की सरकार के लिए चुनौती बनेगा या उन्हें और मजबूत करेगा।
चुनाव आयोग की सराहना और मतदान प्रक्रिया
Bihar Chunav: चुनाव आयोग ने कहा कि बिहार ने पूरे देश को चुनावी आदर्श प्रस्तुत किया। 100 प्रतिशत पोलिंग स्टेशनों पर लाइव वेबकास्टिंग और ईवीएम में उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरों ने मतदाता भ्रम कम किया। विशेष समरी रिवीजन (SIR) के तहत मृत और डुप्लिकेट मतदाता नाम हटाने से शुद्ध वोटर रोल तैयार हुआ।
ऐतिहासिक दृष्टि: बिहार में बड़े मतदान का राजनीतिक असर
बिहार के इतिहास में जब भी मतदान में पांच प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई, सत्ता का परिदृश्य बदल गया। उदाहरण के लिए:
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1967: मतदान में 7 प्रतिशत वृद्धि, कांग्रेस का वर्चस्व टूटा।
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1980: 6.8 प्रतिशत वृद्धि, कांग्रेस की वापसी।
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1990: 5.8 प्रतिशत वृद्धि, लालू यादव के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी।
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2005: 16.1 प्रतिशत की गिरावट, नीतीश कुमार का सुशासन स्थापित।
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2010: सात प्रतिशत की वृद्धि, महिलाओं की भागीदारी बढ़ी और नीतीश मजबूत बने।
इस बार 8.98 प्रतिशत की बढ़ोतरी ने राजनीतिक परिदृश्य को फिर से अस्थिर कर दिया है।
विशेषज्ञों की राय: नीतीश मजबूत या सत्ता परिवर्तन?
विश्लेषकों की राय इस बार बंटी हुई है।
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पुष्यमित्र (सीनियर पत्रकार): महिलाओं और कोर वोटर की भागीदारी से नीतीश को फायदा।
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ओमप्रकाश अश्क (राजनीतिक विश्लेषक): जनता जल्दबाजी में सत्ता परिवर्तन नहीं कर रही।
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अरुण अशेष: लोक लुभावन वादों ने सभी वर्ग के वोटर को आकर्षित किया।
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प्रमोद मुकेश: तीसरा पक्ष प्रशांत किशोर की अगुवाई में उभर सकता है।
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हेमंत कुमार: एग्रेसिव मतदान सत्ता बदलाव का संकेत।
वोटिंग बढ़ोतरी के कारण
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महिला केंद्रित वादे: NDA और महागठबंधन ने महिलाओं को वित्तीय लाभ देने के वादे किए।
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जन जागरूकता: SIR ने 65 लाख निष्क्रिय मतदाताओं को हटाकर प्रतिशत बढ़ाया।
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त्योहार का असर: छठ पर्व के बाद बाहर से आए लोग मतदान में शामिल हुए।
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लोकल घोषणापत्र: रोजगार और आर्थिक सुधार वादों ने युवा वर्ग को सक्रिय किया।
चुनावी हिंसा और तनाव
चुनावी दिन कुछ हिंसक घटनाएं हुईं। छपरा में एक विधायक के वाहन पर हमला, सहरसा में शुरुआती टर्नआउट रिकाॅर्ड और डिप्टी सीएम के काफिले पर हमला सुर्खियों में रहा। फिर भी चुनाव आयोग ने इसे शांतिपूर्ण बताया।
राजनीतिक परिदृश्य के संभावित परिणाम
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नीतीश कुमार का मजबूती: एनडीए को लाभ, JDU की सीटों में बढ़ोतरी।
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तीसरा विकल्प: जन सुराज और प्रशांत किशोर की भूमिका।
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महागठबंधन की चुनौती: तेजस्वी यादव को सत्ता हासिल करने में कठिनाई।
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सहयोगी दलों का नुकसान: छोटी पार्टियों में नाराजगी और सीटें हानि।
बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में रिकॉर्ड मतदान ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को रोमांचक बना दिया है। इतिहास कहता है कि उच्च मतदान परिवर्तन की ओर इशारा करता है, परंतु मौजूदा माहौल नीतीश कुमार के पक्ष में प्रतीत होता है। 14 नवंबर के परिणाम बताएंगे कि बिहार में सत्ता का नया समीकरण किस दिशा में जाएगा।