Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति हमेशा से जातीय समीकरणों पर आधारित रही है। 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले यह समीकरण और भी तेज़ी से चर्चा का विषय बन गए हैं। राजपूत नेता Anand Mohan ने हाल ही में मुजफ्फरपुर की एक सभा में ऐसा बयान दिया जिसने पूरे राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया। उनका कहना था—“भूरा बाल तय करेगा कि सिंहासन पर कौन बैठेगा।” यह वाक्यांश सीधा-सीधा 1990 के दशक के उस नारे की याद दिलाता है जिसने बिहार की राजनीति को दशकों तक प्रभावित किया।
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Bihar Chunav 2025: ‘भूरा बाल’ का ऐतिहासिक संदर्भ
90 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव ने सत्ता की बागडोर संभाली थी, तब “भूरा बाल साफ करो” जैसा नारा खूब गूंजा। इसका सीधा संकेत था— Bhumihar, Rajput, Brahmin और Lala (कायस्थ) समुदायों के वर्चस्व को चुनौती देना। यह नारा पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों की एकजुटता का प्रतीक बन गया और बिहार की राजनीति को पूरी तरह बदलकर रख दिया।
आज जब Anand Mohan ने उसी शब्दावली का इस्तेमाल किया है, तो यह साफ है कि चुनावी माहौल में जातीय पहचान और समीकरण फिर से केंद्र में आ रहे हैं।
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Anand Mohan की राजनीतिक हैसियत
Bihar Election 2025: Anand Mohan केवल एक नाम नहीं, बल्कि राजपूत समुदाय के लिए एक बड़े प्रतीक हैं। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काटने के बाद 2023 में नीतीश कुमार की सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव करके उनकी रिहाई का रास्ता साफ किया। रिहाई के बाद से Anand Mohan लगातार सक्रिय राजनीति में वापसी की कोशिश में लगे हैं।
उनकी पत्नी Lovely Anand सांसद हैं और बेटा Chetan Anand विधायक। ऐसे में Anand Mohan का मैदान में उतरना न केवल JDU-BJP गठबंधन के लिए बल्कि RJD के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है।
RJD और JDU की बेचैनी
Bihar Chunav 2025: Anand Mohan के बयान पर सबसे तेज़ प्रतिक्रिया RJD खेमे से आई। पार्टी के बाहुबली नेता Ashok Mahto ने इसे सीधी चुनौती मानते हुए नाराज़गी जताई। वहीं, गया जिले में लालू प्रसाद यादव के करीबी एक विधायक ने मंच से ही नारा दोहराते हुए कहा—“भूरा बाल साफ करना है।” यह बयान इस बात का संकेत है कि चुनावी रणनीति में जातीय आधार को लेकर घमासान तेज़ होने वाला है।
दूसरी ओर, JDU के लिए स्थिति असहज है। मुख्यमंत्री Nitish Kumar ने वर्षों से ‘जाति से ऊपर उठकर विकास’ की राजनीति का दावा किया है। लेकिन Anand Mohan की सक्रियता और उनके बयानों ने JDU की साख को सीधे-सीधे जातीय राजनीति से जोड़ दिया है।
Bihar Election 2025: NDA बनाम महागठबंधन की रणनीति
2025 का चुनाव साफ कर रहा है कि जातीय आधार अब भी निर्णायक भूमिका निभा सकता है। NDA के पास सवर्ण और कुछ पिछड़ी जातियों का मजबूत आधार है, जबकि महागठबंधन (RJD–Congress–Left) पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोटबैंक पर भरोसा करता है।
Anand Mohan का “भूरा बाल” बयान इस स्थिति को और उलझा रहा है। अगर राजपूत और अन्य सवर्ण वर्ग उनके साथ मज़बूती से खड़े होते हैं, तो यह समीकरण NDA और RJD दोनों के लिए नई चुनौती बन सकता है।
2025 चुनाव पर असर
Bihar Chunav 2025: राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि Anand Mohan का यह बयान केवल एक भाषण नहीं, बल्कि 2025 चुनाव की बड़ी पोज़िशनिंग है। यह संकेत देता है कि बिहार की राजनीति एक बार फिर पूरी तरह से जातीय ध्रुवीकरण की ओर लौट सकती है।
जहां Nitish Kumar विकास और सुशासन की बात करना चाहेंगे, वहीं RJD फिर से सामाजिक न्याय और पिछड़े–दलित एकजुटता का नारा बुलंद करेगी। Anand Mohan इन दोनों के बीच एक तीसरी शक्ति बनकर उभरते हैं, जो विशेषकर सवर्ण वोटों को प्रभावित कर सकती है।
Bihar Election 2025: “भूरा बाल” का मुद्दा चाहे 31 साल पुराना हो, लेकिन इसकी गूंज अब भी बिहार की राजनीति में असर डाल रही है। Anand Mohan के इस बयान ने साफ कर दिया है कि 2025 का चुनाव केवल विकास और रोजगार का मुद्दा नहीं होगा, बल्कि जातीय समीकरण एक बार फिर निर्णायक भूमिका निभाएंगे।