बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण गुरुवार को होने जा रहा है। इस चरण में 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा और इसी के साथ कई दिग्गजों की सियासी तकदीर ईवीएम में कैद हो जाएगी। चुनाव का यह चरण सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए अहम माना जा रहा है, क्योंकि इन सीटों पर परंपरागत गढ़ों को बचाने, नए क्षेत्रों में पैठ बनाने और जातीय समीकरणों को संतुलित करने की बड़ी चुनौती है।
पहले चरण की अहमियत
वर्ष 2020 के चुनाव में इन 121 सीटों में से 61 पर महागठबंधन, 59 पर एनडीए और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। इस बार राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव हुआ है। लोजपा अब एनडीए का हिस्सा है जबकि वीआईपी महागठबंधन के साथ है। यही बदलाव पहले चरण को संघर्षपूर्ण बनाता है। इस चरण में मतदाता केवल विकास और नेतृत्व पर नहीं, बल्कि साख, स्थानीय प्रभाव, जातीय आधार और गठबंधन की विश्वसनीयता पर भी निर्णय देंगे।
तारापुर में सम्राट चौधरी का इम्तिहान
तारापुर सीट पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी मैदान में हैं। यह सीट पहले जदयू के पास थी। जदयू के सिटिंग विधायक का टिकट कटना, जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी का मुकाबले में होना और राजद का आक्रामक प्रचार, इस सीट को राज्य की सबसे चर्चित सीटों में शामिल करता है।
अलीनगर में मैथिली ठाकुर का प्रवेश
लोकगायिका मैथिली ठाकुर की एंट्री ने अलीनगर को सुर्खियों में ला दिया है। यहां ब्राह्मण, मुस्लिम और यादव मतदाता निर्णायक हैं। भाजपा ने उनसे युवा मतदाताओं और सांस्कृतिक पहचान के आधार पर समर्थन जुटाने का प्रयास किया है, जबकि राजद जातीय आधार पर समीकरण मजबूत करने में लगी है।
लखीसराय में अनुभव बनाम चुनौती
लखीसराय सीट पर उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पांचवीं बार जीत की कोशिश में हैं। कांग्रेस के अमरेश कुमार अनीश उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं। जन सुराज पार्टी भी इस मुकाबले को प्रभावित कर सकती है।
महुआ में तेजप्रताप पर सबकी नजर
महुआ सीट पर चारों ओर से घिरा मुकाबला है। तेजप्रताप यादव जनशक्ति जनता दल से मैदान में हैं। राजद, जदयू से बगावत कर उतरी उम्मीदवार और लोजपा-रामविलास के प्रत्याशी इस सीट को बहुस्तरीय संघर्ष का केंद्र बना रहे हैं।
राघोपुर में तेजस्वी की प्रतिष्ठा
वैशाली की राघोपुर सीट पर तेजस्वी यादव और सतीश कुमार यादव के बीच सीधा मुकाबला है। तेजस्वी इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। उनके लिए जीत, महागठबंधन की विश्वसनीयता और व्यक्तिगत नेतृत्व की प्रतिष्ठा दोनों का सवाल है।
कई सीटों पर त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय जंग
दरभंगा, उजियारपुर, कल्याणपुर, सहरसा, परसा, अलौली और छपरा जैसी सीटें इस बार त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय मुकाबलों की वजह से निर्णायक मोड़ पर हैं। जन सुराज पार्टी का कई क्षेत्रों में उभरना और बागी उम्मीदवारों की सक्रियता, परिणामों को अप्रत्याशित बना सकती है।
जातीय समीकरण अब भी निर्णायक
यादव, ब्राह्मण, भूमिहार, कुशवाहा, पासवान, मुस्लिम, मल्लाह और राजपूत मतदाता अब भी जीत-हार का आधार बने हुए हैं। हालांकि इस बार युवाओं और प्रथम मतदाताओं की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण होने जा रही है।