बिहार विधानसभा चुनाव में मिली निराशाजनक हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने अपने ही पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच छिपे भितरघातियों की पहचान करने का अभियान शुरू कर दिया है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि कई सीटों पर अपने ही लोगों की गद्दारी के कारण हार का सामना करना पड़ा। इसी कारण बुधवार से राजद के प्रदेश कार्यालय में प्रमंडलवार समीक्षा बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
समीक्षा बैठकों का आयोजन
राजद ने अपनी समीक्षा प्रक्रिया को दो चरणों में बांटा है। पहले चरण में चार दिसंबर तक सभी प्रमंडलों के जीते हुए विधायकों और हारे हुए प्रत्याशियों के साथ बैठक की जा रही है। इन बैठकों में उम्मीदवारों से उनके क्षेत्र में हुई गतिविधियों की विस्तृत जानकारी मांगी जा रही है। प्रत्याशियों को लिखित रूप में अपनी रिपोर्ट देनी है जिसमें उन्हें यह बताना है कि किन नेताओं ने चुनाव के दौरान पार्टी के खिलाफ काम किया।
पहले दिन बुधवार को मगध प्रमंडल के प्रत्याशियों के साथ बैठक हुई। सुबह ग्यारह बजे शुरू हुई यह बैठक दोपहर तीन बजे तक चली। इस दौरान प्रदेश राजद अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल, पूर्व मंत्री अब्दुलबारी सिद्दिकी और भोला यादव जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। गुरुवार को सारण प्रमंडल और शुक्रवार को पूर्णिया प्रमंडल के प्रत्याशियों के साथ बैठक तय की गई है।
दूसरा चरण और कार्रवाई की योजना
पहले चरण की बैठकों के बाद पांच से नौ दिसंबर के बीच दूसरे चरण की बैठकें होंगी। इस चरण में पार्टी के जिलाध्यक्षों, प्रधान महासचिव और प्रदेश पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। प्रत्याशियों द्वारा दिए गए नामों पर पार्टी के पदाधिकारियों की राय ली जाएगी। जिन लोगों के नाम भितरघात की सूची में आएंगे, उनसे भी सफाई मांगी जाएगी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, यदि किसी नेता का जवाब संतोषजनक नहीं मिलता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे नेताओं को पार्टी से निकाला जा सकता है। राजद नेतृत्व इस बार गंभीरता से भितरघातियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार दिख रहा है।
प्रत्याशियों की शिकायतें
बैठकों में शामिल हुए कई प्रत्याशियों ने अपने क्षेत्रों में हुई गद्दारी की कहानियां सुनाई हैं। कई उम्मीदवारों ने बताया कि पार्टी के कुछ नेताओं ने खुलेआम विरोधी दलों के उम्मीदवारों का समर्थन किया। कुछ ने चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया तो कुछ ने जानबूझकर गलत रणनीति अपनाई। कई मामलों में पार्टी कार्यकर्ताओं ने दूसरे दलों के लिए काम किया।
प्रत्याशियों ने यह भी बताया कि टिकट बंटवारे के समय जिन लोगों की उम्मीदवारी नहीं लगी, उन्होंने चुनाव में साथ देने की जगह विरोधियों का साथ दिया। इससे कई सीटों पर पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा।
भविष्य की रणनीति पर चर्चा
समीक्षा बैठकों में सिर्फ भितरघातियों की पहचान ही नहीं की जा रही है बल्कि भविष्य के लिए रणनीति बनाने पर भी काम हो रहा है। पार्टी नेता अपने प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं से जनहित के मुद्दों पर राय ले रहे हैं। आने वाले समय में किन मुद्दों को उठाना चाहिए, जनता से कैसे जुड़ना है, इन सब बातों पर विचार किया जा रहा है।
पार्टी संगठन को मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। राजद नेतृत्व चाहता है कि जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ मजबूत हो। इसके लिए विश्वासपात्र और समर्पित कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देने की योजना है।
चुनाव में हार का विश्लेषण
बिहार विधानसभा चुनाव में राजद को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। कई सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार बहुत कम अंतर से हारे। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि अगर अपने ही लोगों ने साथ दिया होता तो नतीजे अलग हो सकते थे। इसी वजह से अब पार्टी के भीतर सफाई अभियान चलाया जा रहा है।
गठबंधन में तालमेल की कमी भी एक बड़ा मुद्दा रहा। कई जगहों पर गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच समन्वय नहीं बन पाया। इस बार पार्टी इन सब पहलुओं पर गंभीरता से विचार कर रही है।
पार्टी की साख का सवाल
राजद के लिए यह समीक्षा अभियान सिर्फ चुनावी हार का विश्लेषण भर नहीं है बल्कि पार्टी की साख का सवाल है। अगर भितरघातियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले चुनावों में भी ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि एक स्पष्ट संदेश जाए कि गद्दारी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कार्यकर्ताओं में भी इस कदम को सकारात्मक माना जा रहा है। उनका कहना है कि जो लोग मेहनत करते हैं उन्हें इंसाफ मिलना चाहिए। भितरघातियों की वजह से ईमानदार कार्यकर्ताओं का हौसला टूटता है।
राजद का यह कदम बिहार की राजनीति में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। अगर पार्टी सफलतापूर्वक भितरघातियों की पहचान कर उन्हें बाहर करती है तो इससे पार्टी संगठन मजबूत होगा। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि राजद किन-किन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करती है और इसका पार्टी की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।