बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बीच महागठबंधन के सहयोगी दलों ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल देकर चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। भाकपा-माले ने 2020 में महागठबंधन के हिस्से से मिली सभी 19 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को तैयार रहने को कहा है।
उम्मीदवारों की घोषणा और तैयारी
भाकपा-माले ने खासकर पिछले चुनाव में जीती हुई 12 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को सिंबल दे दिया है। माले कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन द्वारा सीट शेयरिंग की घोषणा होते ही माले के उम्मीदवार अपने नामांकन प्रक्रिया शुरू कर देंगे।
पिछली बार की जीत और उम्मीदवार
2020 में माले ने बिहार के विभिन्न जिलों में अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। प्रमुख जीतें इस प्रकार रही:
- तरारी: सुदामा प्रसाद
- अगियांव: शिव प्रकाश रंजन
- डुमरांव (बक्सर): अजीत कुशवाहा
- काराकट (रोहतास): अरुण सिंह
- अरवल: महानंद सिंह
- घोसी: रामबलि सिंह यादव
- फुलवारी (पटना): गोपाल रविदास
- पालीगंज: संदीप सौरभ
- जीरादेई (सिवान): अमरजीत कुशवाहा
- दरौली: सत्यदेव राम
- सिकटा (पश्चिम चंपारण): वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता
- बलरामपुर (कटिहार): महबूब आलम
इन सीटों पर माले ने पूरी उम्मीद जताई है कि इस बार भी उनके सभी विधायकों को जीत हासिल होगी।
माले का रणनीतिक महत्व
माले के उम्मीदवारों की यह तैयारी महागठबंधन के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पिछले चुनाव में जीती हुई सीटों पर उम्मीदवारों को बनाए रखने का लक्ष्य गठबंधन की ताकत को बनाए रखने और विरोधी दलों के प्रभाव को कम करने के लिए अहम है।
पहले चरण के चुनाव और संभावित प्रभाव
पहले चरण के बिहार विधानसभा चुनाव में माले का यह निर्णय उनके संगठन की सशक्त स्थिति और मैदान में मजबूत पकड़ का संकेत देता है। माले के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यदि सीटिंग विधायकों को बनाए रखा गया तो गठबंधन के लिए अच्छी जीत की संभावनाएँ बनी रहेंगी।
निष्कर्ष
जैसा कि बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, माले के उम्मीदवारों की तैयारी और पिछले विजेताओं पर भरोसा महागठबंधन की रणनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। चुनाव परिणामों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि माले की यह तैयारी गठबंधन की मजबूती और विपक्षी दलों के लिए चुनौती का संकेत देती है।