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Bihar Politics: सीमांचल में एआईएमआईएम का राजनीतिक विस्तार, ओवैसी की पार्टी बढ़ा रही पकड़

AIMIM Expansion
AIMIM Expansion: सीमांचल में ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी महागठबंधन को देगी कड़ी चुनौती (File Photo)
अक्टूबर 22, 2025

सीमांचल में एआईएमआईएम का विस्तार

पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज सहित सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी अपने विस्तार के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गई है। 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत, पार्टी ने इन चार जिलों में उम्मीदवार खड़े कर अपनी ताकत बढ़ाने का निर्णय लिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में सीमांचल से पांच सीटों पर जीत दर्ज करने वाली एआईएमआईएम अब अपना प्रभाव और अधिक गहरा करने का प्रयास कर रही है।

एआईएमआईएम की रणनीति और उम्मीदवारों की सूची

गत चुनाव में बिहार में सिर्फ 19 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली एआईएमआईएम ने इस बार राज्य के 25 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं, जिनमें सीमांचल के 14 सीटें शामिल हैं। पूर्णिया के सात विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम बहुल चार सीटों पर पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है। खासकर अमौर और बायसी सीटों पर पार्टी का विशेष फोकस है

अमौर से वर्तमान विधायक और प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान मैदान में हैं। वहीं, बायसी से पूर्व विजयी विधायक रुकनुद्दीन के राजद में शामिल होने के बाद पार्टी ने वहां जिला परिषद अध्यक्ष वहीदा सरवर के पति गुलाम सरवर को उम्मीदवार बनाया है।

ओवैसी का सीमांचल दौरा और राजनीतिक संकेत

नामांकन शुरू होने से पहले ओवैसी ने सीमांचल के विभिन्न जिलों में रोड शो आयोजित कर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। उन्होंने महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव को गठबंधन में शामिल होने का न्योता भेजा। इस कदम से पार्टी ने मुस्लिम मतदाताओं के बीच यह संदेश दिया कि एआईएमआईएम ही उनका सच्चा हितैषी है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार एआईएमआईएम का प्रभाव महागठबंधन की परेशानियों को और बढ़ा सकता है।

पिछले विधानसभा चुनाव का विश्लेषण

पिछले चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल के पांच विधानसभा क्षेत्रों में सफलता प्राप्त की थी। पूर्णिया के अमौर, बायसी; अररिया के जोकीहाट; किशनगंज के बहादुरगंज और कोचाधामन में पार्टी ने जीत दर्ज की थी। यद्यपि चार विधायक बाद में राजद में शामिल हो गए थे, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान पार्टी में बने रहे।

विशेषज्ञों का मानना है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर एआईएमआईएम का प्रभाव निर्णायक साबित हो सकता है। ओवैसी ने यह स्पष्ट किया है कि उनका ध्यान केवल सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व पर नहीं, बल्कि बिहार के कमजोर और उपेक्षित वर्गों के न्याय पर है।

अमौर और बायसी सीटों पर विशेष संघर्ष

पूर्णिया के अमौर और बायसी विधानसभा क्षेत्रों पर एआईएमआईएम की पकड़ मजबूत है। अमौर में अख्तरूल इमान का मुकाबला कांग्रेस के जलील मस्तान और जदयू के सबा जफर से होगा। बायसी में गुलाम सरवर को राजद के हाजी अब्दुस सुब्हान और भाजपा के विनोद यादव के साथ मुकाबला करना पड़ेगा।

ओवैसी का यह कदम न केवल सीमांचल में पार्टी की पकड़ बढ़ाने के लिए है, बल्कि यह महागठबंधन और एनडीए दोनों को चुनौती देने का संकेत भी है।

सीमांचल में एआईएमआईएम का विस्तार आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है। ओवैसी ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका उद्देश्य धार्मिक पहचान के आधार पर वोट प्राप्त करना नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और गरीब वर्गों के उत्थान पर केंद्रित है। इस बार एआईएमआईएम का प्रदर्शन बिहार के राजनीतिक समीकरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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