लोजपा (रामविलास) को बड़ा झटका, चुनाव से पहले प्रदेश उपाध्यक्ष का इस्तीफा
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। इसी बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रविशंकर सिंह अशोक ने सोमवार को न केवल अपने पद से, बल्कि पार्टी की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह कदम उस समय उठाया है जब चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है और प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया जारी है।
रविशंकर सिंह ने अपने त्यागपत्र की एक प्रति प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को भेजते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षों से वे लोजपा के प्रति निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य कर रहे थे, लेकिन पार्टी उनके कार्य से संतुष्ट नहीं थी। इस कारण उन्होंने अपने स्वाभिमान और जनता के सम्मान को ध्यान में रखते हुए इस्तीफा देने का निर्णय लिया।
संगठन से असंतोष और स्वाभिमान की राजनीति
नगर परिषद क्षेत्र स्थित दशरथ नंदन कॉम्प्लेक्स, सूर्यगढ़ा (लखीसराय) में आयोजित प्रेस वार्ता में रविशंकर सिंह अशोक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्होंने संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए दिन-रात मेहनत की। उन्होंने कहा,
“मैंने सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के विस्तार और कार्यकर्ताओं के सशक्तिकरण के लिए पूरी निष्ठा से काम किया। लेकिन जब पार्टी मेरे प्रयासों से संतुष्ट नहीं है, तो मुझे इस पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं दिखता।”
उन्होंने आगे कहा कि राजनीति में स्वाभिमान सर्वोपरि है। “मैंने हमेशा लोगों की सेवा की है और अब जनता के बीच जाकर उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने का संकल्प लिया है,” उन्होंने कहा।
सूर्यगढ़ा से चुनाव लड़ने की तैयारी
रविशंकर सिंह ने इस मौके पर यह भी घोषणा की कि वे आगामी चुनाव में सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि यदि कोई पार्टी उन्हें टिकट देती है तो यह क्षेत्र के सम्मान की बात होगी, अन्यथा वे स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करेंगे।
उन्होंने 17 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने की भी औपचारिक घोषणा की है। उनके इस ऐलान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है, खासकर सूर्यगढ़ा में जहां स्थानीय समीकरण अब नया मोड़ ले सकते हैं।
समर्थकों का भी इस्तीफा, पार्टी में मचा हड़कंप
रविशंकर सिंह अशोक के इस्तीफे के साथ ही उनके कई समर्थकों ने भी पार्टी की सदस्यता छोड़ दी है। मौके पर मौजूद रहे रामाशीष पासवान, सुदामा पासवान, प्रियरंजन सिंह, और इम्तियाज कुरैशी जैसे नेताओं ने भी उनके समर्थन का ऐलान किया।
बताया जा रहा है कि स्थानीय कार्यकर्ताओं में भी असंतोष की स्थिति थी, जो अब खुलकर सामने आ गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम लोजपा (रामविलास) के लिए चुनावी नुकसान साबित हो सकता है, क्योंकि रविशंकर सिंह की स्थानीय स्तर पर अच्छी पकड़ मानी जाती है।
बिहार चुनावी परिदृश्य में बढ़ी सरगर्मी
बिहार में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों में प्रत्याशियों की दौड़ जारी है। ऐसे में लोजपा (रामविलास) के प्रदेश स्तर के नेता का इस्तीफा पार्टी की रणनीति पर असर डाल सकता है।
चिराग पासवान पहले से ही दल को मज़बूत करने और युवा नेताओं को आगे लाने की बात करते रहे हैं, लेकिन रविशंकर सिंह अशोक जैसे सक्रिय नेताओं के पार्टी छोड़ने से यह संदेश जा रहा है कि संगठन के अंदर असंतोष और संवाद की कमी बनी हुई है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अब देखना यह होगा कि क्या रविशंकर सिंह किसी अन्य दल से जुड़ते हैं या स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखते हैं। फिलहाल, सूर्यगढ़ा की राजनीति में यह इस्तीफा एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।
जनता से सीधा संवाद और नई राह की शुरुआत
रविशंकर सिंह अशोक ने कहा कि वे राजनीति में सेवा और विकास की भावना लेकर आए हैं और भविष्य में भी जनता के बीच रहकर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि “मेरे लिए पद से बड़ा जनता का विश्वास है। जो जनता ने मुझे स्नेह दिया, वही मेरी ताकत है।”
उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि वे अब स्वतंत्र राजनीति की ओर बढ़ रहे हैं, जहां उनका फोकस केवल क्षेत्र के विकास और जनता की समस्याओं पर रहेगा।
निष्कर्ष
लोजपा (रामविलास) के प्रदेश उपाध्यक्ष का इस्तीफा न केवल पार्टी के लिए झटका है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय भी खोलता है। सूर्यगढ़ा में यह घटनाक्रम राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि स्थानीय राजनीति में रविशंकर सिंह का प्रभावशाली स्थान रहा है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि 17 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने के बाद उनकी अगली राजनीतिक यात्रा किस दिशा में जाती है।