बक्सर (सिमरी)। Buxar Ramkatha Mahotsav: बिहार के महामहिम राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को सिमरी काली पूजा समिति द्वारा आयोजित रामकथा महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने श्रद्धालुओं और उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र निर्माण का भी मार्गदर्शन करता है।
राज्यपाल ने कहा, “रामकथा केवल कथा नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला और मूल्य आधारित समाज की स्थापना का माध्यम है। भगवान श्रीराम ने अपने जीवन से यह संदेश दिया कि त्याग, मर्यादा और न्याय को अपनाकर ही एक आदर्श समाज और सशक्त राष्ट्र का निर्माण संभव है।”
वेब स्टोरी:
Buxar Ramkatha Mahotsav: भगवान राम का आदर्श समाज निर्माण का संदेश
आरिफ मोहम्मद खान ने अपने संबोधन में कहा कि रामकथा मानव जीवन को दिशा देने वाली अनमोल धरोहर है। इसमें सामाजिक समरसता, परस्पर सहयोग और आत्मिक उत्थान का संदेश छिपा है। उन्होंने उपस्थित लोगों से अपील की कि वे श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करें और उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
समाज को जोड़ने वाली कथा
Buxar Ramkatha Mahotsav: राज्यपाल ने कहा कि रामकथा का मूल भाव है “समाज को जोड़ना, न कि तोड़ना।” भगवान श्रीराम ने अपने जीवनकाल में हर वर्ग, हर समुदाय और हर प्राणी के साथ समान व्यवहार किया। यही कारण है कि वे “मर्यादा पुरुषोत्तम” कहलाते हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि जब तक समाज में एकता और समरसता नहीं होगी, तब तक राष्ट्र मजबूत नहीं हो सकता।
समारोह में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
Buxar Ramkatha Mahotsav: सिमरी में आयोजित इस रामकथा महोत्सव में भारी संख्या में श्रद्धालु और गणमान्य लोग मौजूद रहे। मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और भक्ति गीतों ने कार्यक्रम को और भी भव्य बना दिया। पूरा माहौल भक्ति और आस्था से सराबोर हो गया।
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आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा
राज्यपाल ने यह भी कहा कि आज की नई पीढ़ी को रामकथा से जुड़ना चाहिए क्योंकि यह उनके जीवन में सकारात्मक सोच, नैतिकता और अनुशासन लाने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में जब समाज में कई तरह की चुनौतियाँ हैं, तब रामकथा से प्रेरणा लेकर हम समस्याओं का समाधान खोज सकते हैं।
समापन पर राज्यपाल का संदेश
कार्यक्रम के अंत में राज्यपाल ने कहा कि रामकथा सिर्फ़ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने और इंसान को जोड़ने का महोत्सव है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे रामकथा के संदेश को अपने घर-परिवार और समाज तक पहुँचाएं, ताकि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया और भी सशक्त हो सके।