Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव के बाद माहौल में सन्नाटा, पर चर्चा में जोश
बेतिया, पश्चिम चंपारण। मतदान समाप्त हो चुका है, पर अब चर्चा की नई शुरुआत हो गई है। बुधवार की सुबह शहर के आईटीआई चौक पर चाय की दुकानों में भीड़ उमड़ी हुई है। चूल्हे पर चाय खौल रही है और लोगों के बीच एक ही सवाल—इस बार 71.38 प्रतिशत मतदान आखिर कैसे हुआ?
कुछ इसे प्रशासनिक सुधार का परिणाम मान रहे हैं, तो कुछ इसे महिलाओं की बढ़ती जागरूकता का असर बता रहे हैं। वरिष्ठ नागरिक रामेश्वर प्रसाद कहते हैं, “इस बार बिहार ने राजनीति की दिशा बदल दी है। महिलाएं जातिवाद की दीवार तोड़कर मतदान करने पहुंचीं, वह भी अपने विवेक से।”
महिलाओं की बढ़ती जागरूकता बनी मुख्य कारण
बेतिया के कई मतदान केंद्रों पर देखा गया कि महिलाएं समूहों में बिना किसी पुरुष मार्गदर्शन के मतदान करने पहुंचीं। यह नजारा पहले कभी नहीं दिखा। महिलाओं ने अब खुद निर्णय लेना शुरू किया है—किसे वोट देना है, क्यों देना है और क्यों नहीं देना है।
सेवानिवृत्त शिक्षक रामेश्वर प्रसाद का कहना है कि यह बदलाव सिर्फ राजनीतिक नहीं, सामाजिक परिवर्तन का संकेत भी है। पहले महिलाएं पुरुषों के साथ मतदान करती थीं, पर अब वे स्वतंत्र हैं और राजनीति के केंद्र में हैं।
गांवों में भी जारी है ‘सरकार कौन बनाएगा’ की बहस
शहर से करीब 11 किलोमीटर दूर नौतन विधानसभा क्षेत्र के कठैया गांव में भी माहौल कुछ ऐसा ही है। चौराहे की चाय दुकान पर लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि “बिहार में कौन सरकार बनाएगा” और “हमारे क्षेत्र का विधायक कौन बनेगा”।
यहां बैठे बुजुर्गों ने कहा, “अब घर की महिलाएं किसी की नहीं सुनतीं। जब से दस हजार रुपए की योजना आई है, वे खुद निर्णय लेती हैं।” इस पर स्नातक छात्र शिवम ने जवाब दिया, “यह तो अच्छी बात है, अब महिलाएं परिवार की आर्थिक और राजनीतिक दोनों जिम्मेदारी निभा रही हैं।”
युवाओं का नजरिया: रोजगार और विकास पर ध्यान
Bihar Chunav 2025: युवाओं का कहना है कि इस बार वोट जातिवाद या धर्म पर नहीं, बल्कि विकास और रोजगार के मुद्दों पर पड़ा है। चाय की दुकान पर मौजूद एक युवक ने कहा, “हमने उस सरकार को वोट दिया जो काम करे, न कि सिर्फ वादे।”
कई ग्रामीणों ने यह भी माना कि मुख्यमंत्री की योजनाओं, विशेषकर महिला रोजगार योजना और भ्रष्टाचार विरोधी कदमों ने जनमानस को प्रभावित किया है। मतदान में यह संदेश स्पष्ट दिखा कि जनता अब विकास आधारित राजनीति चाहती है।
14 नवंबर को आएगा नतीजों का फैसला
अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब मतगणना के बाद यह स्पष्ट होगा कि जनता के इस नए मूड का असर किसे सत्ता तक पहुंचाता है। परंतु इतना तय है कि इस बार महिलाओं की भूमिका निर्णायक रही है और बिहार की राजनीति में नया अध्याय शुरू हो चुका है।
ग्रामीण समाज में बदलाव की झलक
गांवों के चर्चे अब केवल जातीय समीकरण तक सीमित नहीं रहे। अब लोग रोजगार, भ्रष्टाचार और शिक्षा जैसे विषयों पर भी खुलकर बात कर रहे हैं। यह परिवर्तन इस बात का संकेत है कि बिहार की जनता अब केवल भावनाओं पर नहीं, बल्कि मुद्दों पर मतदान कर रही है।