Bihar Chunav: चंपारण की 21 सीटों पर सवार होने की रणनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 नवंबर को बेतिया में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। चंपारण की राजनीति में यह रैली एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। पश्चिमी और पूर्वी चंपारण की कुल 21 विधानसभा सीटों को साधने के लिए भाजपा ने इस सभा को अपनी रणनीति का हिस्सा माना है। इन सीटों पर भाजपा का मजबूत जनाधार है, लेकिन पार्टी विपक्षी खेमे में सेंध लगाने की योजना भी बना रही है।
चंपारण में भाजपा की स्थिति
बेतिया और चनपटिया के साथ-साथ पश्चिमी चंपारण के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का अच्छा प्रदर्शन रहा है। बेतिया, चनपटिया, नौतन, लौरिया, नरकटियागंज, रामनगर, और बगहा जैसी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। हालांकि, वाल्मीकिनगर सीट पर भाजपा की सहयोगी जदयू का वर्चस्व है, वहीं सिकटा पर भाकपा माले का विधायक है।
पूर्वी चंपारण में भी भाजपा और एनडीए के घटक दलों का प्रभाव बना हुआ है, लेकिन इन क्षेत्रों में राजद का भी असर है। बारह सीटों में से अधिकांश पर भाजपा का प्रभाव है, हालांकि तीन सीटों पर राजद का कब्जा है। ये तीन सीटें सुगौली, नरकटिया और कल्याणपुर हैं, जहां राजद का दबदबा देखा जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी की रैली का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को एनडीए के नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस सभा से एनडीए को ऊर्जा मिलने की उम्मीद है, जबकि विपक्षी दलों के लिए यह चुनौती हो सकती है। बेतिया, गोविंदगंज, रक्सौल और मोतिहारी जैसे इलाकों से बड़ी संख्या में समर्थकों के रैली स्थल पर पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की तैयारियां
प्रधानमंत्री मोदी की सभा को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम शुरू कर दिए हैं। कुड़िया कोठी मैदान में सभा के आयोजन को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए हैं ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
राजनीतिक समीकरण पर प्रभाव
Bihar Chunav: चंपारण की यह रैली न केवल स्थानीय राजनीति में प्रभाव डालेगी, बल्कि सीमावर्ती जिलों जैसे सीतामढ़ी, शिवहर और गोपालगंज पर भी इसका असर पड़ेगा। चुनावी पंडितों का मानना है कि प्रधानमंत्री की यह सभा बिहार के राजनीतिक समीकरण को बदल सकती है। इससे भाजपा अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत करने के साथ-साथ राजद और माले के प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी सेंध लगाने में सफल हो सकती है।
चंपारण की चुनावी स्थिति
इस चुनावी शतरंजी बिसात पर प्रधानमंत्री मोदी विपक्षी दलों को मात देने की रणनीति बना रहे हैं। भाजपा का उद्देश्य न केवल चंपारण की 21 सीटों को अपने पक्ष में करना है, बल्कि राज्य के अन्य महत्वपूर्ण सीटों पर भी अपनी पकड़ मजबूत करना है।
आने वाले चुनाव में नया समीकरण
नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की रैली के बाद चंपारण का राजनीतिक परिदृश्य नया रूप ले सकता है। भाजपा और एनडीए के घटक दलों को उम्मीद है कि इस सभा से उनके अभियान को बल मिलेगा, जबकि विपक्षी दलों के लिए यह एक बड़ी चुनौती हो सकती है।