चनपटिया विधानसभा का चुनावी इतिहास
बेतिया, पश्चिम चंपारण। चनपटिया विधानसभा क्षेत्र हमेशा से राजनीतिक दृष्टि से दिलचस्प रहा है। यह क्षेत्र कभी कांग्रेस और सीपीआइ का गढ़ माना जाता था। 1957 में कांग्रेस की केतकी देवी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद लगातार 1962, 1967 में प्रमोद कुमार मिश्र और 1972 में उमेश प्रसाद वर्मा ने कांग्रेस के लिए जीत हासिल की।
1980 और 1985 में सीपीआइ के वीरबल शर्मा ने जीत हासिल की, जबकि 1990 में जनता दल के कृष्ण कुमार मिश्र विजयी रहे। 1995 में सीपीआइ ने एक बार फिर कब्जा किया।
2000 से अब तक भाजपा का दबदबा जारी है। इस सीट से लगातार छह बार भाजपा विजयी रही है। 2020 में उमाकांत सिंह (भाजपा) ने अभिषेक रंजन (कांग्रेस) को 13,469 मतों से हराया।
चुनावी गणित और मतदाता संरचना
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कुल मतदाता: 2,91,944
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पुरुष: 1,55,603
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महिला: 1,36,332
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मंगलामुखी मतदाता: 9
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सेवा मतदाता: 707
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बुजुर्ग मतदाता: 1,017
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दिव्यांग मतदाता: 2,207
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मतदान केंद्र: 334
मतदाता वर्ग: ब्राह्मण और यादव वोटरों का दबदबा है। मुस्लिम, भूमिहार और कोइरी मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं।
बंद चीनी मिल और किसान मुद्दा
1994 में चनपटिया की चीनी मिल पूरी तरह बंद हो गई थी। इससे स्थानीय किसानों को गन्ना की आपूर्ति में बड़ी समस्या हुई। हर चुनाव में राजनीतिक दल इस मुद्दे को प्रमुखता देते हैं, लेकिन अब तक चीनी मिल चालू नहीं हुई। हाल के दिनों में चनपटिया स्टार्टअप और कुमारबाग टेक्सटाइल पार्क जैसे औद्योगिक प्रयास हुए हैं, पर गन्ना किसानों की पीड़ा बरकरार है।
पिछली चुनावी टक्कर
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2015: भाजपा के प्रकाश राय ने जदयू के एनएन शाही को महज 464 मतों से हराया।
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2010: भाजपा के चंद्रमोहन राय ने बीएसपी के एजाज हुसैन को 23,412 मतों से हराया।
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2020: भाजपा के उमाकांत सिंह ने कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 13,469 मतों से हराया।
चनपटिया विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने ब्राह्मण और यादव बहुल सीट पर कांग्रेस का दबदबा तोड़कर अपनी पकड़ मजबूत की है। किसान मुद्दा, बंद चीनी मिल और औद्योगिक विकास की योजनाएं आगामी चुनावी रणनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। भाजपा के लगातार छः विजयों से यह साफ है कि क्षेत्र में पार्टी की पकड़ अब मजबूत और निर्णायक बन चुकी है।