बेतिया।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में Narkatiaganj Vidhan Sabha Seat पर इस बार मुकाबला और ज्यादा दिलचस्प होता दिख रहा है। मंगलवार को किन्नर समाज की प्रमुख चेहरा Maya Rani ने विशाल Shakti Pradarshan Rally निकालकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।
शक्ति प्रदर्शन ने बदला समीकरण
Narkatiaganj Chunav 2025, Maya Rani: गोपाला ब्रह्मा स्थान से शुरू हुई रैली अस्पताल रोड, शिवगंज, शहीद चौक, बाजार, हरदिया होते हुए धूमनगर तक पहुंची। यह महज एक जुलूस नहीं था, बल्कि एक शक्ति प्रदर्शन था जिसने नरकटियागंज की चुनावी तस्वीर को नया मोड़ दिया। रैली में बेतिया, मैनाताड़, गोपालगंज, गोरखपुर और सिवान से आईं किन्नर रानियों की मौजूदगी ने माहौल को और खास बना दिया। हजारों की संख्या में स्थानीय महिला-पुरुष भी इसमें शामिल हुए।
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सड़कों पर गूंजते नारे – “हमारा नेता कैसा हो, Maya Rani जैसा हो”, “Maya Rani जिंदाबाद”, “Hindustan Zindabad”, और “Narkatiaganj Zindabad” – इस बात का इशारा थे कि माया रानी ने केवल राजनीतिक दांव नहीं चला, बल्कि आम जनता के बीच भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
उपेक्षा से राजनीति तक
Narkatiaganj Chunav 2025, Maya Rani: रैली में उत्साहित Maya Rani ने कहा –
“हम समाज को खुशियां देते हैं, मगर खुद उपेक्षित रहते हैं। अब हम बदलाव और विकास की नेग मांगने निकले हैं।”
उनकी इस अपील ने यह साफ कर दिया कि किन्नर समाज केवल तालियों और आशीर्वाद तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि सत्ता और नीतिगत फैसलों में भी अपनी हिस्सेदारी चाहता है।
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनौती
Maya Rani ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में Independent Candidate के रूप में उतरेंगी। इस तरह उनका सीधा मुकाबला NDA की मौजूदा विधायक रश्मि वर्मा, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष रेणु देवी, बाहुबली नेता राजन तिवारी और महागठबंधन के पूर्व विधायक विनय वर्मा जैसे दिग्गज नेताओं से होगा।

Narkatiaganj Chunav 2025, Maya Rani: इस चुनावी समीकरण ने सभी दलों के रणनीतिकारों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि Maya Rani का मैदान में उतरना वोट समीकरण को बड़ा झटका दे सकता है, खासकर तब जब क्षेत्र की जनता पारंपरिक राजनीति से ऊब चुकी हो।
ऐतिहासिक संदर्भ
भारत में यह पहली बार नहीं है जब किन्नर समाज ने चुनावी राजनीति में दस्तक दी हो। मध्य प्रदेश की Shabnam Mausi देश की पहली किन्नर विधायक रह चुकी हैं। वहीं 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में Munna Kinner ने गोपालगंज की हथुआ सीट से चुनाव लड़ा था और अच्छी-खासी चर्चा बटोरी थी।

Narkatiaganj में Maya Rani का शक्ति प्रदर्शन इस परंपरा को आगे बढ़ाता है और यह बताता है कि अब किन्नर समाज अपने अधिकार और प्रतिनिधित्व के लिए किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है।
कारोबारियों और महिलाओं का समर्थन
रैली में बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाएं और कारोबारी वर्ग भी नजर आए। विशेषज्ञों का कहना है कि Maya Rani ने अपनी छवि “जनता की नेता” के रूप में बनाने की कोशिश की है, जिससे उन्हें अतिरिक्त समर्थन मिल सकता है। महिलाओं और हाशिए पर खड़े तबकों के बीच उनकी पकड़ पारंपरिक नेताओं की तुलना में ज्यादा भावनात्मक और मजबूत हो सकती है।
दलों के लिए सिरदर्द
NDA और महागठबंधन, दोनों ही खेमों में माया रानी की चुनौती को लेकर चिंता बढ़ गई है। दरअसल, Narkatiaganj हमेशा से एक संवेदनशील और हाई-प्रोफाइल सीट रही है। यहां बाहुबली नेताओं और सशक्त महिला प्रत्याशियों का दबदबा रहा है। लेकिन इस बार Maya Rani की Independent Entry से सियासी मुकाबला बहुकोणीय होने की संभावना है।

Narkatiaganj Chunav 2025 अब केवल दिग्गजों की जंग नहीं रहा, बल्कि यह उन आवाजों की लड़ाई भी बन गया है जो अब तक उपेक्षित रही हैं। Maya Rani का शक्ति प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि किन्नर समाज राजनीति में गंभीर हिस्सेदारी चाहता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता उन्हें केवल तालियों तक सीमित रखती है या फिर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाती है।