सुबह 3:40 बजे घटी घटना, RPF rescue operation Darbhanga के तहत तत्काल कार्रवाई
दरभंगा जंक्शन पर बड़ा हादसा टला
दरभंगा जंक्शन पर शुक्रवार तड़के सुबह एक बड़ा हादसा टल गया जब प्लेटफॉर्म संख्या 4/5 की लिफ्ट अचानक बीच में फंस गई। इस लिफ्ट में कुल 9 बच्चे सवार थे और वे लगभग एक घंटे तक अंदर कैद रहे। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि दम घुटने से 3 बच्चे बेहोश हो गए। समय रहते RPF rescue operation Darbhanga और बिहार पुलिस की त्वरित कार्रवाई से सभी बच्चों की जान बच गई।
सुबह 3:40 बजे घटी घटना
घटना सुबह करीब 3:40 बजे की है। प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर गश्त कर रहे RPF सहायक उप निरीक्षक अमित कुमार को 112 पुलिस टीम ने सूचना दी कि स्टेशन की लिफ्ट में बच्चे फंसे हैं। सूचना मिलते ही स्टेशन पर तत्काल अनाउंसमेंट किया गया और लिफ्ट ऑपरेटर व पावर हाउस स्टाफ को बुलाया गया।
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बच्चों की चीखों से मची दहशत
जांच में पता चला कि लिफ्ट FOB और प्लेटफॉर्म के बीच अटक गई थी। अंदर से बच्चों की चीखें सुनाई दे रही थीं। स्थिति अत्यंत गंभीर थी और किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता था। इसी दौरान RPF rescue operation Darbhanga के तहत पुलिस और पावर हाउस स्टाफ ने मिलकर लिफ्ट को खोला और सभी 9 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।
तीन बच्चे बेहोश, तुरंत दी गई प्राथमिक चिकित्सा
जब बच्चे बाहर निकाले गए, तो उनमें से तीन बच्चे बेहोश पाए गए। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने पानी छिड़ककर और प्राथमिक चिकित्सा देकर उन्हें होश में लाया। बाद में सभी बच्चों को GRP पोस्ट लाया गया, जहां उन्हें पानी और बिस्किट दिए गए। स्वास्थ्य जांच के बाद सभी बच्चों को घर भेज दिया गया।
बच्चों ने खुद किया हेल्पलाइन पर कॉल
बच्चों ने बताया कि वे सीतामढ़ी जिले के रहने वाले हैं और मेला देखकर लौट रहे थे। अचानक लिफ्ट फंस गई और वे लगभग एक घंटे तक अंदर कैद रहे। दम घुटने की स्थिति में उन्होंने 112 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर मदद मांगी। यही उनकी सूझबूझ थी, जिसने उनकी जान बचाई।
प्रशासन की सतर्कता से बचीं जिंदगियां
इस घटना ने रेलवे प्रशासन और यात्रियों को चेताया है। अगर समय रहते RPF rescue operation Darbhanga नहीं किया गया होता, तो बड़ा हादसा हो सकता था। रेलवे अधिकारियों ने कहा कि लिफ्ट की तकनीकी खामियों की जांच की जाएगी और ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरती जाएगी।
सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
यात्रियों का कहना है कि लिफ्ट सुरक्षा प्रणाली की नियमित जांच होनी चाहिए। अगर रात में आरपीएफ की गश्ती टीम और पुलिस सतर्क न होती, तो यह घटना जानलेवा साबित हो सकती थी। विशेषज्ञ मानते हैं कि रेलवे को यात्रियों की सुरक्षा के लिए और सख्त कदम उठाने होंगे।
बच्चों की हिम्मत बनी मिसाल
जहाँ एक ओर यह घटना डरावनी थी, वहीं बच्चों की सूझबूझ भी प्रेरणादायक रही। इमरजेंसी नंबर 112 पर कॉल करना और सही समय पर मदद मांगना उनकी हिम्मत को दर्शाता है। इसी वजह से 9 मासूमों की जान सुरक्षित बच सकी।
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