घोषणापत्र में नवप्रवर्तित पहल
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भारतीय जनता पार्टी-नेतृत्व वाले भारतीय राष्ट्रीय विकास गठबंधन (एनडीए) के राज्य-घोषणापत्र में शामिल एक प्रमुख प्रावधान के तहत गिग वर्कर्स (स्वतंत्र नौकर-कार) तथा ऑटो चालक वर्ग को वित्तीय सहायता व कौशल विकास की व्यवस्था करने की घोषणा की है। (घोषणापत्र अगले २४ घंटों में जारी होने वाला है)
यह घोषणा बिहार जैसे राज्य में सामाजिक-आर्थिक रूप से संवेदनशील श्रमिक-श्रेणियों को राहत और अवसर देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
क्यों है यह पहल समयोचित?
गिग इकॉनमी (जैसे फ्रीलांसिंग, ऑन-डिमांड सेवाएं) तथा ऑटो एवं टैक्सी चालक का वर्ग पिछले दशक में तेजी से बढ़ा है। लेकिन इस श्रमिक-श्रेणी को अक्सर सामाजिक सुरक्षा, स्थिर आमदनी या उपयुक्त कौशल प्रशिक्षण नहीं मिल पाता।
बिहार जैसे राज्य में जहाँ पारंपरिक रोजगार-मौके सीमित रहे हैं, ऐसे श्रमिकों को समर्थन देना न केवल उनका जीवनस्तर बेहतर करेगा बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका को भी सुदृढ़ करेगा।
उपमुख्यमंत्री का संदेश
सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं को बताया कि इस पहल का उद्देश्य “हमारे गिग वर्कर्स और ऑटो ड्राइवर-बड़ौड़ों को सिर्फ आज नहीं बल्कि आने वाले कल के लिए सक्षम बनाना” है। उन्होंने कहा कि वित्तीय सहायता तत्काल राहत देगी, जबकि कौशल विकास कार्यक्रम उन्हें स्वावलंबी एवं प्रतिस्पर्धात्मक बनाएगा।
सहायता का स्वरूप एवं कार्यान्वयन
घोषणापत्र में बताया गया है कि यह सहायता दो-प्रमुख धारा में होगी:
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वित्तीय सहायता: गिग वर्कर्स एवं ऑटो चालक जिन्हें पारंपरिक बैंकिंग एवं सामाजिक सुरक्षा से जुड़ने में कठिनाई होती रही है, उन्हें एक-समान प्रारंभिक राशि तथा मासिक सहायता देने का प्रस्ताव है। 
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कौशल विकास-कार्यक्रम: राज्य सरकार द्वारा चयनित प्रशिक्षण केंद्रों में उन्हें डिजिटल एप्लिकेशन संचालन, ग्राहक सेवा, वाहन रख-रखाव, माइक्रोबिजनेस प्रबंधन आदि विषयों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे वे बदलते रोजगार-परिदृश्यों में बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। 
चुनौतियाँ और सुझाव
यद्यपि यह घोषणा बड़े पैमाने पर स्वागत योग्य है, लेकिन इसके सफल क्रियाशील होने के लिए कुछ चुनौतियों पर ध्यान देना आवश्यक है:
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प्रशिक्षण-कार्यक्रमों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना: सुनिश्चित करना होगा कि प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षकों, संसाधनों तथा अध्यापन पद्धति का स्तर उत्तम हो। 
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लाभार्थियों का चयन एवं निगरानी तंत्र: गिग वर्कर्स एवं ऑटो चालक बहुत विविध पृष्ठभूमि से हैं — सही-सही चयन एवं समय-समय पर प्रदर्शन-मापन आवश्यक होगा। 
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वित्तीय सहायता का समयबद्ध वितरण: किसी भी समर्थन-योजना का लाभ तभी होता है जब सहायता समय पर लाभार्थियों तक पहुँचती है। 
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सामाजिक सुरक्षा-नेट के साथ समन्वय: यह जरूरी है कि यह योजना सामाजिक सुरक्षा-भित्ति पर आधारित न हो बल्कि अन्य रचनात्मक माध्यमों से इसे समर्थन मिले। 
अपेक्षित परिणाम एवं अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
यदि यह योजना सफल होती है, तो राज्यों में कई सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं:
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गिग वर्कर्स एवं ऑटो चालक वर्ग को स्थिर आमदनी एवं रोजगार-सुरक्षा मिल सकती है, जिससे उनकी जीवन-स्तर में सुधार होगा। 
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कौशल विकास से रोजगार-क्षेत्र में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी — उदाहरण-स्वरूप डिजिटल युग के अनुरूप सेवाएँ देना। 
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राज्य की मशीनीकरण व तकनीकी प्रगति के बावजूद इन श्रमिक-श्रेणियों का रोजगार बनी रहेगा, जिससे सामाजिक असंतुलन कम होगा। 
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लंबी अवधि में राज्य की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा: जब छोटे-छोटे कार्यकर्ता सशक्त होंगे, तो मांग बढ़ेगी, स्थानीय व्यवसाय फलेगे और प्रवासन की समस्या कम होगी। 
बिहार में गिग वर्कर्स तथा ऑटो चालक-श्रेणियों को वित्तीय सहायता व कौशल विकास की दिशा में यह घोषणापत्र एक सकारात्मक कदम है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए — चयन से वितरण तक पारदर्शी प्रक्रिया के साथ — तो यह योजना राज्य की सामाजिक एवं आर्थिक समावेशिता को नए आयाम दे सकती है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की इस पहल से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकार परिवर्तन-प्रवृत्त श्रमिक-श्रेणियों को सिर्फ भुला नहीं रही बल्कि उन्हें विकास-निर्माण के केंद्र में ला रही है।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।
 
            

 
                 Aakash Srivastava
Aakash Srivastava 
         
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                    