ओवैसी का सवाल: प्रतिनिधित्व की राजनीति या वोट बैंक की सच्चाई?
गोपालगंज जिले के उचकागांव प्रखंड में मंगलवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार की राजनीति पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने एक भावनात्मक और सशक्त प्रश्न उठाया—“अगर तीन प्रतिशत वाला उपमुख्यमंत्री बन सकता है, तो सत्रह प्रतिशत वाला मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता?” यह सवाल केवल चुनावी भाषण का हिस्सा नहीं था, बल्कि बिहार की सामाजिक-सांख्यिकीय राजनीति पर एक गंभीर टिप्पणी थी।
ओवैसी ने यह बयान गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र से अपनी पार्टी के प्रत्याशी अनस सलाम के समर्थन में आयोजित एक चुनावी सभा के दौरान दिया। सभा स्थल पर ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ी, जो उनके हर शब्द को ध्यानपूर्वक सुन रही थी।
आरएसएस और आजादी की लड़ाई पर ओवैसी का प्रहार
अपने भाषण के दौरान ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर ऐतिहासिक आरोप लगाते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई में संघ का कोई योगदान नहीं रहा। उन्होंने कहा, “आरएसएस का कोई भी सदस्य न जेल गया, न उसने देश के लिए बलिदान दिया।” यह वक्तव्य न केवल संघ की विचारधारा पर सवाल उठाता है बल्कि मौजूदा सत्ता की नैतिक वैधता को भी चुनौती देता है।
मोदी, नीतीश और लालू पर करारा हमला
ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर एक साथ निशाना साधा। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार को राजगीर की चिंता है, मोदी को गुजरात की और लालू प्रसाद को अपने बेटे की। जनता की फिक्र किसी को नहीं।”
यह टिप्पणी एक ऐसे समय पर आई है जब बिहार की जनता बेरोजगारी, महंगाई और जातीय असमानता से जूझ रही है। ओवैसी ने इन मुद्दों को सीधे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों से जोड़कर जनता के सामने पेश किया।
मुसलमानों के वोट बैंक की राजनीति पर तीखी टिप्पणी
ओवैसी ने मुसलमान समुदाय को चेताते हुए कहा कि “अब मुसलमान किसी के झांसे में नहीं आने वाले।” उन्होंने कहा कि दशकों से मुसलमानों के वोट का इस्तेमाल सत्ता हासिल करने के लिए किया गया, पर बदले में उन्हें उपेक्षा ही मिली।
उनके इस बयान से यह स्पष्ट संकेत मिला कि एआईएमआईएम अब बिहार में मुस्लिम मतदाताओं के बीच ‘स्वतंत्र राजनीतिक आवाज़’ बनने की कोशिश में है।
जंगलराज की पुनर्परिभाषा: ओवैसी का दो टूक बयान
ओवैसी ने राजद और एनडीए दोनों पर करारा हमला बोलते हुए कहा, “लालू का 15 साल जंगलराज पार्ट-1 था, और मौजूदा एनडीए सरकार जंगलराज पार्ट-2।”
यह बयान बिहार के शासन तंत्र की विफलताओं को उजागर करता है। बेरोजगारी, शिक्षा की गिरती गुणवत्ता और कानून व्यवस्था की समस्याओं पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि दोनों ही गठबंधन ने मुसलमानों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया।
‘सबका साथ, सबका विकास’ पर सवाल
भाजपा पर हमला बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि “प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास’ की सच्चाई यह है कि भाजपा ने एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया।” यह वक्तव्य सीधे केंद्र सरकार की नीतियों पर प्रहार करता है, विशेषकर प्रतिनिधित्व और समान अवसर के मुद्दे पर।
महागठबंधन पर व्यंग्य: तीन प्रतिशत बनाम सत्रह प्रतिशत की राजनीति
ओवैसी ने महागठबंधन पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “महागठबंधन में तीन प्रतिशत वाला उपमुख्यमंत्री बनने का दावा कर सकता है, लेकिन सत्रह प्रतिशत वाला मुख्यमंत्री बनने का सपना क्यों नहीं देख सकता?”
यह कथन राजनीतिक संतुलन के उस समीकरण को चुनौती देता है, जहाँ अल्पसंख्यक समुदायों की राजनीतिक भागीदारी हमेशा सीमित रखी जाती है।
ओवैसी की चुनौती: अब आर-पार की लड़ाई
अपने भाषण के अंत में ओवैसी ने कहा कि अब मुसलमानों को अपना हक खुद लेना होगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि “यह अब आर-पार की लड़ाई है, जिसमें अपनी राजनीतिक ताकत साबित करनी होगी।”
सभा की अध्यक्षता पूर्व मुखिया रहमत अली ने की, जबकि संचालन पार्टी जिलाध्यक्ष फरहान शेख ने किया। मंच पर पार्टी के कई स्थानीय नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे।