साल के आखिरी दिनों में बिहार में एक बार फिर रेल हादसा हो गया है। जसीडीह-झाझा रेल मार्ग पर सीमेंट से भरी मालगाड़ी के कई डिब्बे पटरी से उतरकर नदी में जा गिरे। यह भयानक हादसा बिहार के जमुई जिले में हुआ है। पूर्व रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, कल रात करीब साढ़े ग्यारह बजे जब मालगाड़ी बरुआ नदी के ऊपर से गुजर रही थी, तभी कम से कम छह डिब्बे पटरी से उतर गए। इनमें से तीन डिब्बे सीधे नदी में जा गिरे, जबकि दो डिब्बे पुल से लटके हुए खतरनाक हालत में दिखाई दिए।
इस हादसे के बाद जसीडीह-झाझा रूट पर अप और डाउन दोनों लाइनों पर काफी देर तक ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह बंद रहा। घटनास्थल पर आरपीएफ, रेल पुलिश और वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे और हालात का जायजा लिया। युद्धस्तर पर हादसे में फंसे डिब्बों को हटाने और रेल पटरी साफ करने का काम शुरू किया गया।
हादसे की पूरी जानकारी
मालगाड़ी में सीमेंट की बोरियां भरी हुई थीं। जब यह ट्रेन जमुई जिले में बरुआ नदी के पुल से गुजर रही थी, तभी अचानक छह डिब्बे पटरी से उतर गए। तीन डिब्बे तो सीधे नदी के पानी में जा गिरे, जबकि दो डिब्बे पुल के किनारे लटके रह गए। यह नजारा बेहद डरावना था। स्थानीय लोगों ने बताया कि रात में तेज आवाज सुनाई दी और फिर पता चला कि मालगाड़ी का हादसा हो गया है।
मौके पर पहुंचे अधिकारी
खबर मिलते ही रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी, आरपीएफ की टीम और स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंच गई। अधिकारियों ने बताया कि हादसे में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई है क्योंकि यह मालगाड़ी थी और इसमें कोई यात्री नहीं था। लेकिन सीमेंट के बोरे से भरे डिब्बों का नदी में गिरना और पुल से लटकना काफी चिंताजनक स्थिति थी।
रेलवे प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया। क्रेन और अन्य भारी मशीनें मंगवाई गईं ताकि नदी में गिरे डिब्बों को बाहर निकाला जा सके। साथ ही पटरी पर पड़े डिब्बों को भी हटाने का काम युद्धस्तर पर शुरू हुआ।
रेल यातायात पर असर
इस हादसे की वजह से जसीडीह-झाझा रूट पर रेल यातायात पूरी तरह ठप हो गया। अप और डाउन दोनों लाइनों पर ट्रेनें रोक दी गईं। कई यात्री ट्रेनें रास्ते में खड़ी रहीं और यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि जब तक पटरी पूरी तरह साफ नहीं हो जाती और सुरक्षा की जांच नहीं हो जाती, तब तक ट्रेनों का संचालन शुरू नहीं किया जा सकता।
रेलवे ने यात्रियों से माफी मांगते हुए कहा कि जल्द से जल्द पटरी को दुरुस्त करने की कोशिश की जा रही है। कुछ ट्रेनों को वैकल्पिक रास्ते से भेजने की व्यवस्था भी की गई।
हादसे के कारणों की जांच
रेलवे प्रशासन ने इस हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर डिब्बे पटरी से क्यों उतरे। क्या यह पटरी की खराबी थी, पुल में कोई कमजोरी थी या फिर किसी तकनीकी खामी की वजह से यह हादसा हुआ। एक जांच समिति बनाई गई है जो सभी पहलुओं की विस्तार से जांच करेगी।
रेलवे विशेषज्ञों ने बताया कि पुराने पुलों और पटरियों की नियमित जांच जरूरी होती है। अगर समय पर मरम्मत और रखरखाव नहीं किया जाए तो ऐसे हादसे हो सकते हैं।
बिहार में बढ़ते रेल हादसे
यह इस साल बिहार में हुआ एक और रेल हादसा है। पिछले कुछ महीनों में प्रदेश में कई छोटे-बड़े रेल हादसे हो चुके हैं। इससे रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी पटरियों और पुलों को समय पर बदलना जरूरी है।
बिहार जैसे राज्य में जहां रेल यातायात बहुत महत्वपूर्ण है, वहां ऐसे हादसे न हों, इसके लिए बेहतर रखरखाव और आधुनिकीकरण की जरूरत है।
राहत कार्य जारी
घटना के बाद से राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है। भारी क्रेनों की मदद से नदी में गिरे डिब्बों को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है। पुल से लटके डिब्बों को भी सावधानी से हटाया जा रहा है ताकि कोई और नुकसान न हो।
रेलवे अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जल्द से जल्द पटरी को साफ करके ट्रेनों का संचालन सामान्य किया जाएगा। स्थानीय प्रशासन भी पूरी मदद कर रहा है।
जमुई में हुआ यह रेल हादसा एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। हालांकि इस हादसे में किसी की जान नहीं गई, लेकिन माल का भारी नुकसान हुआ है। रेल यातायात ठप होने से हजारों यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी। अब जरूरत इस बात की है कि ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं। पुरानी पटरियों और पुलों का आधुनिकीकरण किया जाए और नियमित जांच को प्राथमिकता दी जाए।