डिजिटल डेस्क, कैमूर।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। इस बीच बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने बड़ा दांव खेलते हुए कैमूर जिले की चारों विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। एनडीए और महागठबंधन जहां अभी प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप देने में लगे हैं, वहीं बीएसपी ने समय से पहले मैदान में उतरकर चुनावी समीकरणों को और रोचक बना दिया है।
कैमूर की चारों सीटों पर उम्मीदवार घोषित
बीएसपी ने कैमूर जिले की चारों विधानसभा सीटों – रामगढ़, मोहनिया (अनुसूचित), भभुआ और चैनपुर – पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। पार्टी की ओर से घोषित नाम इस प्रकार हैं:
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रामगढ़ (203) विधानसभा सीट से – सतीश यादव उर्फ पिंटू
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मोहनिया (204) [अनुसूचित] विधानसभा सीट से – ओमप्रकाश दीवाना
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भभुआ (205) विधानसभा सीट से – विकास सिंह उर्फ लल्लू पटेल
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चैनपुर (206) विधानसभा सीट से – धीरज सिंह उर्फ भान जी
प्रेस वार्ता में हुई घोषणा
भभुआ जिला मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में बीएसपी जिलाध्यक्ष छोटेलाल राम ने इन नामों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि उम्मीदवारों का चयन बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री कुमारी मायावती के आशीर्वाद से किया गया है। जिलाध्यक्ष ने विश्वास जताया कि कैमूर की जनता बीएसपी के प्रत्याशियों को भारी समर्थन देगी।
कैमूर में क्यों अहम है बीएसपी का कदम?
कैमूर जिला हमेशा से बीएसपी का प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। यहां दलित और पिछड़ा वर्ग की बड़ी आबादी है, जिस पर बीएसपी की पकड़ मजबूत रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी माहौल बनने से पहले ही उम्मीदवार घोषित कर पार्टी ने शुरुआती बढ़त लेने की कोशिश की है। इससे बीएसपी को न केवल संगठनात्मक स्तर पर लाभ मिलेगा, बल्कि कार्यकर्ताओं को भी चुनावी तैयारी का पर्याप्त समय मिल जाएगा।
एनडीए और महागठबंधन पर दबाव
बीएसपी की घोषणा से एनडीए और महागठबंधन दोनों ही गठबंधनों पर दबाव बढ़ गया है। अभी तक दोनों खेमों ने कैमूर की सीटों पर अपने उम्मीदवारों की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीएसपी का यह कदम स्थानीय मतदाताओं पर असर डाल सकता है और इससे अन्य पार्टियों को भी जल्दबाजी में अपने प्रत्याशी घोषित करने पड़ सकते हैं।
सामाजिक समीकरणों पर नजर
कैमूर जिले की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं। बीएसपी ने अपने प्रत्याशियों के चयन में इस पहलू का विशेष ध्यान रखा है। उम्मीदवारों में यादव, दलित और पटेल समुदाय के चेहरों को शामिल किया गया है, जिससे विभिन्न वर्गों में संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि बीएसपी इस समीकरण को मजबूती से साध लेती है, तो वह कैमूर की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर सकती है।
मतदाताओं की प्रतिक्रिया
स्थानीय मतदाताओं में बीएसपी की इस घोषणा को लेकर उत्सुकता देखी जा रही है। ग्रामीण इलाकों में खासकर दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों का मानना है कि बीएसपी ने समय रहते उम्मीदवारों की घोषणा कर यह दिखा दिया है कि वह चुनाव को गंभीरता से ले रही है। वहीं कुछ मतदाता यह भी कह रहे हैं कि वास्तविक तस्वीर तभी सामने आएगी जब सभी प्रमुख दल अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतार देंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए कैमूर की चारों सीटों पर बीएसपी द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। यह कदम न केवल पार्टी की रणनीतिक बढ़त को दर्शाता है बल्कि एनडीए और महागठबंधन के लिए भी चुनौती है। अब देखना यह होगा कि बीएसपी के इस शुरुआती कदम का चुनाव परिणामों पर कितना असर पड़ता है।