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कैमूर में सीट न मिलने पर कांग्रेस के कद्दावर नेता उपेंद्र प्रताप सिंह का भारी असंतोष

Congress Seat Dispute
Congress Seat Dispute: कैमूर में कांग्रेस के कद्दावर नेता उपेंद्र प्रताप सिंह ने जताई गहरी नाराजगी
अक्टूबर 18, 2025

कैमूर में कांग्रेस नेताओं में गहरी नाराजगी

कैमूर जिले में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व जिला अध्यक्ष उपेंद्र प्रताप सिंह ने हाल ही में अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि महागठबंधन में बार-बार हो रही मनमानी और अनुचित सीट आवंटन कांग्रेस के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहा है। उपेंद्र प्रताप सिंह का यह असंतोष विशेष रूप से इसलिए बढ़ गया क्योंकि कैमूर जिले में कांग्रेस को किसी भी सीट का आवंटन नहीं मिला, जबकि उन्होंने वर्षों तक कांग्रेस को मजबूत बनाने और अपने क्षेत्र से सांसद को सदन तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया।

उपेंद्र प्रताप सिंह ने स्पष्ट किया कि उनके प्रयासों के बावजूद कांग्रेस को स्थानीय स्तर पर उचित मान्यता नहीं दी गई। उन्होंने कहा, “हमने अपने समर्थकों के साथ मिलकर यहां से कांग्रेस के सांसद को संसद तक पहुँचाने का प्रयास किया। इसके बावजूद कैमूर में हमारी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गई। यह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि कांग्रेस की स्थानीय नेतृत्व की असफलता को भी दर्शाता है।”

महागठबंधन के भीतर असंतोष

कांग्रेस के अंदर यह असंतोष अकेले उपेंद्र प्रताप सिंह तक सीमित नहीं है। कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि महागठबंधन में सीट आवंटन के फैसले अक्सर व्यक्तिगत हित और राजनीतिक संतुलन के बजाय प्रभावित होते हैं। इससे स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में निराशा व्याप्त है।

कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने बताया, “कई वर्षों तक पार्टी के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं को नजरअंदाज करना, चुनाव के दृष्टिकोण से अनुचित है। अगर उपेंद्र प्रताप सिंह अपने समर्थकों के साथ इस्तीफा देते हैं, तो पूरे शाहाबाद क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति पर गहरा असर पड़ेगा।”

संभावित राजनीतिक प्रभाव

विश्लेषकों का मानना है कि उपेंद्र प्रताप सिंह का असंतोष केवल व्यक्तिगत भावना तक सीमित नहीं रहेगा। कैमूर जिले और शाहाबाद क्षेत्र में उनका प्रभाव बहुत व्यापक है। यदि वह महागठबंधन और कांग्रेस के निर्णय से संतुष्ट नहीं होते हैं, तो उनकी नाराजगी पार्टी के चुनावी समीकरणों पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि उपेंद्र प्रताप सिंह का इस्तीफा महागठबंधन के लिए गंभीर चुनौती साबित हो सकता है। इसके अलावा, यह स्थिति कांग्रेस की स्थानीय राजनीति को भी कमजोर कर सकती है। इसके परिणामस्वरूप अन्य वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं में भी असंतोष फैल सकता है।

कांग्रेस का अगला कदम

अब कांग्रेस नेतृत्व के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि वे उपेंद्र प्रताप सिंह को कैसे मनाएँ। पार्टी के अंदर कई बैठकें और विचार-विमर्श चल रहे हैं ताकि इस संकट को हल किया जा सके। पार्टी आलाकमान की नजरें इस पर हैं कि कैसे वे वरिष्ठ नेताओं को संतुष्ट करें और महागठबंधन के भीतर संतुलन बनाए रखें।

कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि उपेंद्र प्रताप सिंह की नाराजगी को नजरअंदाज करना पार्टी के लिए आत्मघाती कदम होगा। यदि सही समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे शाहाबाद क्षेत्र में चुनावी रणनीति पर असर डाल सकता है।

स्थानीय व्यापारिक समुदाय की प्रतिक्रिया

कैमूर के भभुआ व्यापार मंडल के अध्यक्ष रमजान अंसारी ने कहा, “उपेंद्र प्रताप सिंह जैसे वरिष्ठ नेता का असंतोष पार्टी और क्षेत्र दोनों के लिए चिंता का विषय है। हम आशा करते हैं कि पार्टी नेतृत्व इस मुद्दे का समाधान शीघ्रता से करेगा। उनकी नाराजगी स्थानीय राजनीति में स्थायी प्रभाव डाल सकती है।”

इस प्रकार, कैमूर जिले में कांग्रेस के भीतर चल रही यह हलचल और महागठबंधन के निर्णयों को लेकर उपेंद्र प्रताप सिंह का असंतोष राजनीतिक दलों के लिए नए संकट का संकेत देता है। अब देखने वाली बात यह है कि पार्टी नेतृत्व और महागठबंधन किस प्रकार इस विवाद को हल करते हैं और वरिष्ठ नेता को संतुष्ट रखते हैं।

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Aakash Srivastava

Writer & Editor at RashtraBharat.com | Political Analyst | Exploring Sports & Business. Patna University Graduate.

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